"अब लब नही ,मेरी बोलती हैं आँखें ,
दिल के सारे राज खोलती हैं आँखे,
तुम्हारा नशा इनपर कुछ ऐसा चढ़ा है,
एक सुक़ून सा दिल में घोलती हैं ऑंखें,
दीदार-ए-यार को अब यूँ तड़प रहीं हैं,
मदहोश होकर इत उत डोलती हैं आँखें,
ज़मानें की निगाहों का ख्याल अब कहाँ है,
यार की आँखों मे इश्क़ टटोलती हैं आँखें,
ना ख़्वाहिशें बची हैं ,ना अरमान ही है कोई,
जब मुस्कुराके नाम उनका बोलती हैं आँखें ।।
-पूनम आत्रेय
©poonam atrey
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