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मैं कल को ढूंढता रहा दिन भर और शाम होते-होते मेरा आज निकल गया
Deepak Bisht
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घर में दो बच्चो को छोड़ कर वो कहा चलि जा रही है? इस आपदा के समय में! जब सब अपने घरों में है, तो ये सड़क पर क्या कर रही है? वो भी नंगे पैर इस धूप में! शायद कूछ ढूंढ रही है! पर क्या ढूंढ रही है? सायद उन लोगो को जो उसके हक़ की बाते करते थे! वो नेता, समाज सेवी, पोलिस कर्मि और तमाम वो लोग जो उसके लिए सोचते थे। जिनको चुना था उसने। चुना था अपने ओर आपने बच्चों की सुरक्षा के लिए। तो फिर आज क्यों नही देखता कोई उसके बच्चों की ओर! आज क्यों उसके बच्चे भूखे है? भूखे है! पर भूखे क्यों है ? कल कुछ युवा कैमरा लेके गए तो थे उसके घर रासन देने। तब तो उसने रासन लेने से मना कर दिया, फिर आज ऐसा क्या हुवा जो उसे घर से बाहर आना पड़ा ? सायद बच्चों की खातिर! है यही वजे रही होगी । ©Deepak Bisht
21 Love
College ke kisse likhu, Ya school ki koi yaad. Ya likhdu me phir koi, Pyar wali baat. Papa ki daat likhu, Ya phir maa ka pyar. Ya likhdu me phir apne, Vo Bachpan wale yaar. Thandi ki duphar likhu Ya garmiyo ki shaam. Ya likhdu me phir apne, Dil ke raaj tamam. ©Deepak Bisht
20 Love
परेशान हो चाहे जितनी, माँ फिरभी मुस्काती है। खुशियों की खातिर वो मेरी, रब से भी लड़जाति है। छाये दुःख के बादल जो, धुप सी वो खिल जाती है। दुख को सारे भूलके अपने, माँ अक्सर मुस्काती है। ©Deepak Bisht
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