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https://youtube.com/@KK-Opinion?si=N_1vAdm45WaJVBX-
मुल्क की तकदीर की उम्मीद आजकल के सियास्तदां से करना बेईमानी हैं कोई हिन्दू है ,तो कोई मुस्लिम है यहाँ के बाशिन्दे कौन कहता है कि,वह दिलोजान से हिन्दोस्तानी है ©Kamlesh Kandpal
Kamlesh Kandpal
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पानी से वाष्प उठी उससे हुआ हिमपात धरती घूमी अपनी धुरी पर उससे हुए दिन रात ©Kamlesh Kandpal
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रेत पर लिखा मिट जाएगा ,ये हकीकत है मगर जब सीमेंट से मिलेगी रेत तो, ईमारत बनना है तय ©Kamlesh Kandpal
आँखें न होती तो कहाँ नजर आता फूल सब कुछ काला होता लगता जैसे सब हो फिजूल इन्द्रियों से ही यह तन है वरना हो जैसे मिट्टी की धूल मन की जगह पता नहीं बदन में जो ही रचता सच, झूठ, उल जुलूल ©Kamlesh Kandpal
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किताबों में पेड़ बनाने से हरियाली नहीं आती दूसरे को दुःख पहुंचाकर कभी खुशहाली नहीं आती ©Kamlesh Kandpal
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कमियाँ मुझमेँ थी, दुनियां को देता रहा दोष ऐबों का नशा इस कदर था कि खो गया होश ©Kamlesh Kandpal
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