Kamlesh Kandpal

Kamlesh Kandpal Lives in Haldwani, Uttarakhand, India

https://youtube.com/@KK-Opinion?si=N_1vAdm45WaJVBX-

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शायद जानते हैं लोग यह चंद कार्तिकेय का एक नाम हैं सकंद शिव पुत्र के हाथों मरने का मांग वरदान सकंद के हाथों ही तरकासुरु की गईं जान सकंद की माता होने के कारण ही भवानी सकंदमाता के नाम से जाती हैं पहचानी ©Kamlesh Kandpal

#कविता #navratri  शायद जानते हैं लोग यह चंद 
कार्तिकेय का एक नाम हैं सकंद
शिव पुत्र के हाथों मरने का मांग वरदान 
सकंद के हाथों ही तरकासुरु की गईं जान 
सकंद की माता होने के कारण ही भवानी 
सकंदमाता के नाम से जाती हैं पहचानी

©Kamlesh Kandpal

#navratri

15 Love

वजूद खो रहा है कमलेश , इनसान शायद छूटी कलम, गरजती बंदूक यही करती है बयाँ ©Kamlesh Kandpal

#शायरी  वजूद खो रहा है कमलेश , 
इनसान शायद
छूटी कलम, गरजती बंदूक 
यही करती है बयाँ

©Kamlesh Kandpal

vjud

18 Love

मां कुष्मांडा, देवी दुर्गा का चौथा रूप भक्तों पर कृपा करती, उनके इच्छा अनुरूप अष्टभुजा वाली माता, अति मन मोहक स्वीकारती पुष्प फल, और छोटे मोदक प्रकृति मे ही हैं नवदुर्गा के अवतार अगर करो चिंतन मनन और विचार। ©Kamlesh Kandpal

#कविता #navratri  मां कुष्मांडा, देवी दुर्गा का चौथा रूप
भक्तों पर कृपा करती, उनके इच्छा अनुरूप 
अष्टभुजा वाली माता, अति मन मोहक 
स्वीकारती पुष्प फल, और छोटे मोदक 
प्रकृति मे ही हैं नवदुर्गा के अवतार 
अगर करो चिंतन मनन और विचार।

©Kamlesh Kandpal

#navratri

18 Love

Red sands and spectacular sandstone rock formations प्रातःकाल लेकर सवाल सूर्य हुआ उदित फिर से अनुचित, उचित उलझेंगे,बेवजह, नाहक राग, द्वेष, प्यार और शक पैसा, रुतबा, अहं व धन उलझे दिमाग़ और मन सूर्य हुआ अस्त इंसान हुआ पस्त किस्सा कर घर मे बयान सो जाता फिर चादर तान ©Kamlesh Kandpal

#कविता #swal  Red sands and spectacular sandstone rock formations प्रातःकाल
लेकर सवाल 
 सूर्य हुआ उदित 
फिर से अनुचित, उचित 
उलझेंगे,बेवजह, नाहक
राग, द्वेष, प्यार और शक  
पैसा, रुतबा, अहं व धन 
उलझे दिमाग़ और मन 
सूर्य हुआ अस्त 
इंसान हुआ पस्त 
किस्सा कर घर मे बयान 
सो जाता फिर चादर तान

©Kamlesh Kandpal

#swal

14 Love

सृष्टि के उद्धार को तारने इस संसार को माँ ने बदले कई रूप छाया बनी कभी,कभी धूप चंद्रघंटा माँ भी बड़ी महान भक्तों पर होती है मेहरबान ©Kamlesh Kandpal

#कविता #navratri  सृष्टि के उद्धार को 
तारने इस संसार को 
माँ ने बदले कई रूप 
छाया बनी कभी,कभी धूप 
चंद्रघंटा माँ भी बड़ी महान 
भक्तों पर होती है मेहरबान

©Kamlesh Kandpal

#navratri

12 Love

पतझड़ भी है बहार भी है। विजय भी हैं तो हार भी है। कोई दुनियां की हर खुशी पाया है तो कोई मुश्किलों से दो चार भी है। कोई हर किसी का दिल लुभाता है तो किसी के हर रिश्ते में दरार भी है ©Kamlesh Kandpal

#शायरी #Bhaar  पतझड़ भी है बहार भी है।
विजय भी हैं तो हार भी है।

कोई दुनियां की हर खुशी पाया है 
तो कोई मुश्किलों से दो चार भी है।

कोई हर किसी का दिल लुभाता है 
तो किसी के हर रिश्ते में दरार भी है

©Kamlesh Kandpal

#Bhaar

20 Love

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