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Engineer by Profession Poet by heart
Unsplash उलझा देते है लोग ज़वाबो के नाम पर एक सवाल दे जाते है ज़वाबो के नाम पर अपनी उलझन खुद ही सुलझाना सीखो उलझा देंगे लोग तुझे सुलझाने के नाम पर मत ढूँढ अपने जख्मों की दवा बाजार में कई मरहम मिलते है दवाओं के नाम पर दिल लगाने से खुद को बचा के रखो बेवफ़ाई करते हैं लोग वफ़ाओ के नाम पर पत्थरों के आगे शीश झुकाकर यहीं जाना हमने सौदा करते है लोग यहाँ खुदाओं के नाम पर अपने किरदार में खुशबू आए ऐसा कोई इत्र नहीं नकली फ़ूलों से घर सजाते है बहारों के नाम पर नहीं चाहिए मुझे अब किसी की सलाह यहाँ परवाह जताते है लोग दिखावो के नाम पर ©Ravikant Dushe
Ravikant Dushe
16 Love
White रिश्ता दिल से रखा ❤ और ये दिल टूटता ही रहा जिसे भी चाहा थामकर रखना वो हाथों से छूटता ही रहा दर्द और आँसू ही रहे पास मेरे मैं भी दिल इसी से भरता ही रहा वो करते रहे जुल्म बिना रुके मैं भी बिना थके सहता ही रहा ©Ravikant Dushe
13 Love
White उन्मुक्त गगन खुली हवा परिंदे को और क्या चाहिए जी सकूँ एक अपनी जिन्दगी एक मुट्ठी भर ही तो आसमान चाहिए आँखों मे हो सितारें ख्वाबों मे चाँद हो दिल मे प्यार का एक अरमान चाहिए दर्दों गम से बेदार कब तक रहूँ मे मुझे भी खुशियो का एक जहान चाहिए एक वो समझ ले बस इतना काफी है दुनियाँ में कहाँ मुझे पहचान चाहिए हर सुख दुख में जो साथ रहे हमेशा जो समझे मुझे अपना वो इंसान चाहिए ©Ravikant Dushe
18 Love
White रास्ते भले ही एक हो मंजिले एक नहीं होती हर किसी के हिस्से में मुश्किलें एक जैसी नहीं होतीं किसी को इम्तिहान आसान मिले किसी को मिले कठिन किसी पर होतीं हैं मेहरबां किस्मत किसी के हाथों में लकीरें नहीं होती कोई लुटा देता है जाँ मोहब्बत मे किसी को दिल की क़ीमत नहीं होती हर किसी की फ़ितरत यहाँ एक जैसी नहीं होती ©Ravikant Dushe
17 Love
White दिन भर तेरे इन्तज़ार मे सूख गई है आँखे अंधेरे दिखाई देते है जैसे बुझ गई है आंखे नहीं आए आप कोई बात जरूर होगी कैसे पूछूं तुझको जो पूछ रहीं है आंखे आ जाना एकबार आँखें बंद होने से पहले रास्ता तेरा ही तो हर दिन ढूँढ रहीं हैं आँखे ©Ravikant Dushe
White हाल मेरा किसी ने समझा ही नहीं क्या महसूस करता हूँ किसी ने करीब से देखा ही नहीं खर्च होता रहा बेहिसाब जिनके लिए उन्होंने इंसान मुझे कभी समझा ही नहीं याद दिलाते रहे मेरे फर्ज की मुझे कर्ज मेरी साँसों का किसी ने चुकाया नहीं आँसू आँखों से ही नहीं दिल से भी निकलते है समुन्दर यूँ ही तो खारा किसी ने बनाया नहीं ठीक हूँ और क्या कहता में बता मैंने भी हाल फिर किसी को बतलाया नहीं कोई अपना नहीं ये खबर थी मुझे मैं ही पागल था किसी को भुलाया नहीं ©Ravikant Dushe
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