नवरात्रि पर्व पर सभी मित्रों को शुभ कामनाएँ "माँ" के प्रति अपने भावों के साथ
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माँ सुनो ....माँ सुनो ........द्वार तेरे मैं खड़ा
प्रार्थना आराधना के लिए दीप तेरे मैं खड़ा ।
तू ही दुर्गा,तू ही लक्ष्मी तू ही माँ सरस्वती
दरस अंतर देती तू जब कृपा बन बरसती
देख आँखें माँ मेरी तेरे दरस को तरसती
सुर स्वरों में लिए तुझे माँ द्वार तेरे मैं खड़ा
नाम तेरे हैं सहस्त्र, पर मैं तो जानूँ एक नाम
होता है सब दरस जब मैं पुकारूँ माँ ही नाम
प्रेम, करुणा,स्नेह ,ममता तुझसे है तेरा नाम
सिर पे रख दे हाथ माँ कब से झुकाये मैं खड़ा
अद्भुत अलौकिक रूप तेरे देखता अंतर में जब
नयन भरे भरे नेह जल बहती है तू माँ गंगा बन
मूढ़ हूँ ,अज्ञानी मैं,आलोक उज्जवल मन में भर
सब तिमिर अंतर के काट माँ द्वार तेरे मैं खड़ा
©सुरेश सारस्वत
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