White तुम्हारे शहर से अक्सर गुजर जाता था मैं....
वो पेड़, वो नदी, वो सड़क।
अब भी निकलने की कोशिश करता हूं,,,,,,,,,
सब पूँछ रहे हैं,
क्यों अकेले हो?
फिर
किसी ने गीता सामने रख दी
बोले, पढ़ो......
तुम अकेले ही थे
फिर किसी ने कायनात सजाई।
बोले और पढ़ो..............
आत्मा सबकी एक जैसी ही थी
....................
बहुत सी आत्माएं जुड़ कर
तुम्हारी आंख बनीं
तुम्हारी चमड़ी बनीं
तुम्हारी हड्डी बनीं
तुम्हारे बाल बनें
तुम्हारा मांस बनीं।।।।।।।
जानते हो
तब, तुम बनें।।।।।।।।।।।
जरा फिर से........
अपने मां बाप तक पहुंचो।।।
और फिर वापस आओ😒
तुम्हारे शहर से, अक्सर गुजर जाता था मैं😏
जरा फिर से पूछों, जानते हो, क्यों तुम बनें?
©Ram Yadav
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