White मंथन ....
मंथन ...
मंथन ....
कब तक करे कोई मंथन ....
चिंतन...
चिंतन...
चिंतन....
कब तक करे मनन चिंतन ...
सत्य प्रदीप्त रहे ....
आलोकित .मन अंतर ....
सतत गतिमय जीवन में
नव-नव अभिनव ......
नित्य परिवर्तन....
अहं मुक्त हों,
छंद मुक्त हों ...
महके कविता में चन्दन
प्रेम प्रणय के....
भाव सृजन में
आत्मीय भाव का वंदन
कालजयी हो सृजन निरंतर
प्रहरी काल बन
मुक्त समस्त बंधन
स्थित मन में सृजन सृजन
सृजन रहे अभ्यंतर .....
©सुरेश सारस्वत