White किसी दिन आवारा बादल सा
घुमड़ता घुमड़ता बरस जाऊंगा
भीगो दूंगा बाहर से अंदर तक
ढूंदते रहना मेरे लफ्जों की गीली गीली खुशबू में..........
अपना ही महकता पिघलता वज़ूद
सौंधी सौंधी महक होश में नहीं रहने देगी
कोई मद्धम सा सुर खुल जाएगा
मन अनजान हरकतों संग गायेगा
कोई करीब आकर बुलाएगा
एक सुर तेरा एक सुर मेरा ..... साथ साथ
समवेत स्वर में आलाप लगाएगा
कोई बादल फिर बरसने आएगा
माज़ी के संग वक़्त ठहर जाएगा
मन भीगा भीगा खुल कर .....
बस घुलता जाएगा.....घुलता जाएगा
घुलते घुलते एक बूंद हो जाएगा
एक बूंद में एक ही अक्स
कोई नहीं पहचान पाएगा
मोती की चमक में कैद हो जाएगी
एकात्म मुस्कान हमारी
दूर आसमान से कोई बादल मुस्कुराएगा
©सुरेश सारस्वत