Manish Shrivastava

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White सुबह से शाम तक, कोई तलाश जारी है | सांस कहती है, जिंदगी भारी है || संघर्ष के पथिक हों, खेल जिंदगी का है | हां इसी खेल में, मौत भी शिकारी है || गिरे तो उठके फिर, सम्भलना है | हताश होना ही, हार बस तुम्हारी है || जो भी खोया है, उसका ग़म ना करो | जो भी पाया है, उसका दम ना भरो | अहम में जीना ही, भूल बस हमारी है || लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) मो.9009247220 गैरतगंज जिला रायसेन ©Manish Shrivastava

#Sad_Status  White सुबह से शाम तक, 
कोई तलाश जारी है |
सांस कहती है,
जिंदगी भारी है ||

संघर्ष के पथिक हों,
खेल जिंदगी का है |
हां इसी खेल में,
मौत भी शिकारी है ||

गिरे तो उठके फिर,
सम्भलना है |
हताश होना ही,
हार बस तुम्हारी है ||

जो भी खोया है,
उसका ग़म ना करो |
जो भी पाया है,
उसका दम ना भरो | 
अहम में जीना ही,
भूल बस हमारी है ||
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
मो.9009247220
गैरतगंज जिला रायसेन

©Manish Shrivastava

#Sad_Status

13 Love

White चल रओ मुकदमा मोरो, देखो मोहल्ला कोर्ट में | कईयन घायल हो गए हैं, बातन-बातन की चोट में || चल रओ ----------- कछु ने कह दई, मोइ-मोइ में , कछु ने मोपे कह दई | कछु ने जाके कह दई, घर आंगन की ओट में || चल रओ------------- कछु तो दिन भर बाट निकारें, कौन से का-का कह दऊ, | कछु के पाउन खुजली मची, घर -घर जाए बुलौआ दे दऊं || चल रओ-------------- बुंदेली लोकगीत लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) गैरतगंज जिला रायसेन म.प्र मो.9009247220 ©Manish Shrivastava

#sad_quotes  White चल रओ मुकदमा मोरो,
देखो मोहल्ला कोर्ट में |
कईयन घायल हो गए हैं,
बातन-बातन की चोट में ||
चल रओ -----------
कछु ने कह दई,
मोइ-मोइ में ,
कछु ने मोपे कह दई |
कछु ने जाके कह दई,
घर आंगन की ओट में ||
चल रओ-------------
कछु तो दिन भर बाट निकारें,
कौन से का-का कह दऊ, |
कछु के पाउन खुजली मची,
घर -घर जाए बुलौआ दे दऊं ||
चल रओ--------------

बुंदेली लोकगीत 
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
गैरतगंज जिला रायसेन म.प्र
मो.9009247220

©Manish Shrivastava

#sad_quotes

16 Love

White कुछ तो तबीयते ख़राब,दिल भी है | और बेगानी सी ये, महफ़िल भी है || कह दिया कि,सर कलम कर दूंगा मैं | वो ज़रा नादान, और बुज़दिल भी है || क्यों गरीबों के , मसीहा बन रहे | बुझते चूल्हों को जलाना, मुश्किल भी है || और फितरत, कब तलक बदलोगे यूं | जिस्म में रहता,फकत इक दिल भी है || जिसको अपना, तुम समझ बैठे हो अर्श | सोच लो वो, आपके काबिल भी है || लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) गैरतगंज जिला रायसेन म.प्र मो.9009247220 ©Manish Shrivastava

#sad_quotes  White कुछ तो तबीयते ख़राब,दिल भी है |
और बेगानी सी ये, महफ़िल भी है ||

कह दिया कि,सर कलम कर दूंगा मैं |
वो ज़रा नादान, और बुज़दिल भी है ||

क्यों गरीबों के , मसीहा बन रहे |
बुझते चूल्हों को जलाना, मुश्किल भी है ||

और फितरत, कब तलक बदलोगे यूं |
जिस्म में रहता,फकत इक दिल भी है ||

जिसको अपना, तुम समझ बैठे हो अर्श |
सोच लो वो, आपके काबिल भी है ||

लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
गैरतगंज जिला रायसेन म.प्र
मो.9009247220

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#sad_quotes

15 Love

अजीब शख्स है, हर बात मान जाता है | क्या है सच, क्या है झूठ, ये भी जान जाता है || क्यों गुनाहों से मियां, अब भी तोबा करते नहीं | खुदा के घर पे, सुना है, सबका खाता है || ये इरादे, ये हुनर, अपने खानदानी हैं | मेरी गज़लों को सुना, वो भी गुनगुनाता है || रहमते दिल है तो क्या, सर को झुकाना होगा | करके नेकी तू, एहसान क्यों जताता है || यू तो हम दर्द ज़माने में, बहुत मिलते हैं | वक्त पढ़ने पे देखें, काम कौन आता है || अर्श हर बात का मतलब हो, जरूरी तो नहीं | अनकही बात का भी, दिल से गहरा नाता है || लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) गैरतगंज जिला रायसेन मो.9009247220 ©Manish Shrivastava

#कविता #good_night  अजीब शख्स है, हर बात मान जाता है |
क्या है सच, क्या है झूठ, ये भी जान जाता है ||

क्यों गुनाहों से मियां, अब भी तोबा करते नहीं |
खुदा के घर पे, सुना है, सबका खाता है  ||

ये इरादे, ये हुनर, अपने खानदानी हैं |
मेरी गज़लों को सुना, वो भी गुनगुनाता है ||

रहमते दिल है तो क्या, सर को झुकाना होगा |
करके नेकी तू, एहसान क्यों जताता है ||

यू तो हम दर्द ज़माने में, बहुत मिलते हैं |
वक्त पढ़ने पे देखें, काम कौन आता है ||

अर्श हर बात का मतलब हो, जरूरी तो नहीं |
अनकही बात का भी, दिल से गहरा नाता है ||

लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) 
गैरतगंज जिला रायसेन
मो.9009247220

©Manish Shrivastava

#good_night

15 Love

#कविता #sad_shayari  White मैं जिंदगी को बदल रहा हूं|
जिंदगी मुझको बदल रही है |
बस इस तरह से ही |
शय मात चल रही है ||
           क्यों ये हुआ है ऐसा |
          क्यों ये हुआ नहीं है |
            फिर आज देखो खुद से ही |
      ये बात चल रही है ||
जो कुछ गुज़र गया है | 
आना नहीं दुबारा |।    
फिर क्यों इस दिल में | 
उम्मीद पल रही है ||  
       कहीं है अश्के ग़म |
      कहीं आंसू खुशी के |
      आंखों में अश्क लेके |
     बरसात चल रही है ||
किसको है इतनी फुर्सत |  
सुने जो गैर ग़म को |     
कहना तो बहुत कुछ है |    
शुरू बात चल रही है ||      
    इक दिन ये अर्श से हम |
पूछेंगे बात जाके |।   
  क्यों दिन निकल रहा है |
क्यों रात चल रही है ||
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
गैरतगंज जिला रायसेन 
मो.9009247220

©Manish Shrivastava

#sad_shayari

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#शायरी #love_shayari  White मुझे बचपन का,वही गांव नज़र आता है |
बूंद बारिश, पेड़ की छांव, नज़र आता है ||

आके मुंडेर पे,कागा भी शोर करता था |
गंध गोबर की,छबे पांव, नज़र आता है ||

भरी बारिश में, घर ताल सा बन जाता था |
फिर वो मेंढक की,टर्र टावं नज़र आता है ||

एक राजा-रानी थी,बस यही एक ये कहानी थी |
फिर उसी पल में, डूब जाओ, नज़र आता है ||

चार लकड़ी से रोज़, घर नया बनाते थे |
आसयां फिर वही बनाओ,नज़र आता है ||

रोज़ का लड़ झगड़,भुकर जाना |
तुम मुझे फिर ज़रा मनाओ नज़र आता है ||

लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
गैरतगंज जिला रायसेन म.प्र
मो.9009247220

©Manish Shrivastava

#love_shayari

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