White "टूटे हुए अरमान"
सपनों का शहर हमने बसाया था,
हर ख्वाब को दिल से सजाया था।
पर वक्त ने ऐसा खेल दिखाया,
सब कुछ होते हुए भी कुछ न पाया।
जिनसे दिल लगाया, वो दूर हो गए,
जिन्हें अपना समझा, वो गैर हो गए।
हम हर मोड़ पर संभलने की कोशिश करते रहे,
पर जिंदगी के थपेड़े हमें तोड़ते रहे।
अब बस यादों का बोझ लिए चलते हैं,
खामोश रहकर हर दर्द सहते हैं।
मगर एक आस दिल में बाकी है,
शायद किसी मोड़ पर फिर से खुशी झांकेगी।
©Ashish Bhagat
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