White कुछ तो तबीयते ख़राब,दिल भी है |
और बेगानी सी ये, महफ़िल भी है ||
कह दिया कि,सर कलम कर दूंगा मैं |
वो ज़रा नादान, और बुज़दिल भी है ||
क्यों गरीबों के , मसीहा बन रहे |
बुझते चूल्हों को जलाना, मुश्किल भी है ||
और फितरत, कब तलक बदलोगे यूं |
जिस्म में रहता,फकत इक दिल भी है ||
जिसको अपना, तुम समझ बैठे हो अर्श |
सोच लो वो, आपके काबिल भी है ||
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
गैरतगंज जिला रायसेन म.प्र
मो.9009247220
©Manish Shrivastava
#sad_quotes