White सुबह से शाम तक,
कोई तलाश जारी है |
सांस कहती है,
जिंदगी भारी है ||
संघर्ष के पथिक हों,
खेल जिंदगी का है |
हां इसी खेल में,
मौत भी शिकारी है ||
गिरे तो उठके फिर,
सम्भलना है |
हताश होना ही,
हार बस तुम्हारी है ||
जो भी खोया है,
उसका ग़म ना करो |
जो भी पाया है,
उसका दम ना भरो |
अहम में जीना ही,
भूल बस हमारी है ||
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
मो.9009247220
गैरतगंज जिला रायसेन
©Manish Shrivastava
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