White जीवन और मृत्यु
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जीवन और मृत्यु तो इंसान के अपने हाथों में होता है, जब किसी बुरी आदतों या किसी घटना
को ना दोहराते हुए अगर कोई नये सिरे से जीवन को शुरू करना चाहे तो वो कर सकता है
लेकिन अगर खत्म करना हो तो इंसान अपने जन्म से लेकर अब तक के जितने भी अच्छे या
बुरे वक्त को एक बार जरूर सोचना चाहिए अपने लिए ना सही मगर अपने परिवार , बच्चें, पत्नी,
एवं गृहस्थी इन सब पर एक बार जरूर सोच विचार कर लेने चाहिए, क्यूंकि एक ही बार में
खत्म की गई जीवन एक बार में कितनी जीवन तबाह कर सकता है इसका अंदाजा नहीं लगाया
जा सकता ! क्यूंकि जीना क्या होता है उनसे पूछो जो मौत के मुंह से बचकर आता है !
जीवन जीना बहुत मुश्किल है मगर बिना सोचे जीवन को एक ही पल में समाप्त
कर देना बहुत आसान! कभी कभी इंसान के किए गए कुछ बुरे कर्म फिर से अच्छे
कर्म करके उस जीवन को सफल बना सकते है ! जीवन आपको बहुत मौका देती है
जीने के लिए मगर मृत्यु मौका नहीं देती ! जब कोई विवाहित व्यक्ति की बच्चे
सहित सह परिवार हो तो उस व्यक्ति के लिए वह जीवन सिर्फ एकल जीवन नही है
बल्कि उसके परिवार और उसके बच्चे का जीवन भी उस व्यक्ति के साथ जुड़ जाता है
कभी कभी जिंदगी आपको हमेशा मौका देती है जीवन को अच्छे से शुरू करने के
जीवन का एक पल में त्याग करने से आपको सुकून नहीं मिलेगा क्योंकि मृत्यु का
दूसरा नाम कष्ट हैं, जब कोई रोग पीड़ित व्यक्ति चाहता है हर एक पल को खुश
होकर जीना! डाक्टर किसी भी मरीज़ को हर संभवत हर प्रयासों से
उसे बचाना चाहता है ताकि उसके परिवार वाले कभी निराश न हो! एक बात
ध्यान रखें कि चाहे कितनी भी कठिन समस्या क्यू ना हो हर समस्या का
समाधान उस ऊपरवाले के हाथ में होता है , हर उस व्यक्ति के पास होता है
जो आपके लिए प्रार्थना करता है उस भगवान से की कुछ बुरा ना हो, कोई
अनहोनी ना हो ! सब सही हो, सब भला हो !
मैं तो बस यही कहूंगा की जो व्यक्ति मृत्य के बारे में सोचता है मगर फिर भी
वो नही मर सकता ! क्योंकि कोई है जो उस काल को रोकता है , कुछ अनहोनी को
टाल देता है ! जो व्यक्ति सोचता है कि जीते जी जीवन में इतना तकलीफ़, पीड़ा,
परेशानी, झेलना पड़ता है इससे अच्छा तो मृत्यु ही हो जाए !
मगर ये सोचना और करना सरा सर गलत हैं !
क्योंकि मृत्यु कष्ट, निराशा, पीड़ा, अफसोस, पछतावा और पाप है !
जिन्हें जीवन घुटन सा लगता हैं वे मृत्यु के बाद भी घुटन में ही रहते हैं!
क्योंकि एक वक्त के बाद सब कुछ समाप्त कर लेना सब कुछ समाप्त नहीं होता !
- अभय
©Abhay Shaw (8100233007)
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