White मैं जिंदगी को बदल रहा हूं|
जिंदगी मुझको बदल रही है |
बस इस तरह से ही |
शय मात चल रही है ||
क्यों ये हुआ है ऐसा |
क्यों ये हुआ नहीं है |
फिर आज देखो खुद से ही |
ये बात चल रही है ||
जो कुछ गुज़र गया है |
आना नहीं दुबारा |।
फिर क्यों इस दिल में |
उम्मीद पल रही है ||
कहीं है अश्के ग़म |
कहीं आंसू खुशी के |
आंखों में अश्क लेके |
बरसात चल रही है ||
किसको है इतनी फुर्सत |
सुने जो गैर ग़म को |
कहना तो बहुत कुछ है |
शुरू बात चल रही है ||
इक दिन ये अर्श से हम |
पूछेंगे बात जाके |।
क्यों दिन निकल रहा है |
क्यों रात चल रही है ||
लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श)
गैरतगंज जिला रायसेन
मो.9009247220
©Manish Shrivastava
#sad_shayari