Naresh singh rawat

Naresh singh rawat Lives in Sunkundi, Uttarakhand, India

मौत के पास भी जा कर देखा है, मैंने भी दिल लगा कर देखा है!! इश्क की कीमत पूछ लो मुझसे, मैंने घर तक लुटा कर देखा है!!

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#शायरी  हे जिंदगी मेरा तुझसे एक वास्ता है।
जन्म से मौत की तरफ ले जा रहा तू एक रास्ता है।।
थोड़े से दर्द, थोड़े से सुकून की दास्तां हैं।
मानो यह एक गहरी आस्था है।।

©Naresh singh rawat

हे जिंदगी मेरा तुझसे एक वास्ता है। जन्म से मौत की तरफ ले जा रहा तू एक रास्ता है।। थोड़े से दर्द, थोड़े से सुकून की दास्तां हैं। मानो यह एक गहरी आस्था है।।

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#कविता  लगी थी हमें, प्यास बुझाने की आस ;
इसलिए बैठे रहे हम, उस झील के पास |
सब्र की भी परीक्षा है ये,
जो बैठे है वो इस मार्ग में आज.....
लगे हम होने क्यों बैचैन,
जो दूर ना होते, इक पल को भी...
उस जल के ख़ास ;
                            -"

©Naresh singh rawat

लगी थी हमें, प्यास बुझाने की आस ; इसलिए बैठे रहे हम, उस झील के पास | सब्र की भी परीक्षा है ये, जो बैठे है वो इस मार्ग में आज..... लगे हम होने क्यों बैचैन, जो दूर ना होते, इक पल को भी... उस जल के ख़ास ; -"

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#कविता  मंजिल
★★★★

ना किसी से ऊपर उठने का इरादा
ना किसी को नीचे करने की फितरत
बह चलों नदी की तरह नाचते झूमते
खुद को सागर बनाने का सपना लेकर।
आसान ना होगा गहरे पानी का ये सफर
पहुँचने की चाहत तुम्हें तैरना सीखा देगी
तुम बस रखो अपनी नजर मंजिल पर
चट्टानें अपना सीना चीर तुम्हें रास्ता बनाकर देगी।।

आवाज दिल की जज्बात कलम से
नरेश सिंह रावत

©Naresh singh rawat

मंजिल

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#कविता  मैं तो  जलने को तैयार  हूँ कोई  जलाए मुझको। 
मेरे सामने  ही  मेरी  चिता  में   सुलाये  मुझको। 

रिश्तेदारों   को  खुश  करने  में  ये  उमर  बीती। 
कैसे  नाराज  होंगे   यह   कोई  बताए  मुझको। 

थक गया हूं दुनिया का  दस्तूर निभाते  निभाते। 
इनकी  आगोश  से  अब  कोई  छुड़ाए  मुझको। 

वजूदो-अदम की फिकर अब करे कौन यहाँ पर। 
इसका खौफ  अब  न   कोई    दिखाए  मुझको। 

अब इस किराये के  मकां  में दम  घुटता है मेरा। 
मेरे अपने घर का रस्ता  तो  कोई बताए मुझको

- ✍🏻...नरेश सिंह रावत

©Naresh singh rawat

मैं तो जलने को तैयार हूँ कोई जलाए मुझको। मेरे सामने ही मेरी चिता में सुलाये मुझको। रिश्तेदारों को खुश करने में ये उमर बीती। कैसे नाराज होंगे यह कोई बताए मुझको। थक गया हूं दुनिया का दस्तूर निभाते निभाते। इनकी आगोश से अब कोई छुड़ाए मुझको।

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#कविता  "जिंदगी ने बहुत कुछ सीखा दिया"
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● गरीब दूर तक चलता है.. खाना खाने           के लिए...!
● अमीर मिलो चलता है..खाना पचाने के लिए..!
● किसी के पास खाने के लिए... एक वक्त की रोटी नहीं है..।
● किसी के पास खाने के लिए.. वक्त नहीं है..।
● कोई लाचार हैं.. इसलिए बीमार है..।
कोई बीमार हैं..।इसलिए लाचार हैं..।
● कोई अपनो के लिए..।रोटी छोड़ देता है..।
● कोई रोटी के लिए..।अपनों को छोड़ देते हैं..।
● ये दुनिया भी कितनी निराली है।कभी वक्त मिले तो सोचना..।
● कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे..आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते हैं..।
● पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे.. आज दोस्तों की यादों में रहते हैं..।
● पहले लड़ना मनाना रोज का काम था..आज एक बार लड़ते हैं तो रिश्ते खो जाते हैं..।
● सच में जिंदगी ने बहुत कुछ सीखा दिया,जाने कब हमको इतना बड़ा बना दिया।

©Naresh singh rawat

जिंदगी बड़ी अलबेली है

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#कविता  मातृभूमि के लिए चाहे मुझे हजार बार भी मृत्यु का सामना करना पड़े, मुझे खेद नहीं होगा। हे प्रभु, मुझे भारतवर्ष में सौ जन्म दे लेकिन मुझे यह भी दे कि मैं हर बार मातृभूमि की सेवा में अपना जीवन त्याग दूं। 

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©Naresh singh rawat

मेरे जज्बातों से,मेरी कलम इसकदर वाकिफ हो जाती हैं में इश्क भी लिखना चाहू, तो इंकलाब लिख जाती हैं

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