मंजिल
★★★★
ना किसी से ऊपर उठने का इरादा
ना किसी को नीचे करने की फितरत
बह चलों नदी की तरह नाचते झूमते
खुद को सागर बनाने का सपना लेकर।
आसान ना होगा गहरे पानी का ये सफर
पहुँचने की चाहत तुम्हें तैरना सीखा देगी
तुम बस रखो अपनी नजर मंजिल पर
चट्टानें अपना सीना चीर तुम्हें रास्ता बनाकर देगी।।
आवाज दिल की जज्बात कलम से
नरेश सिंह रावत
©Naresh singh rawat
मंजिल