मैं तो जलने को तैयार हूँ कोई जलाए मुझको।
मेरे सामने ही मेरी चिता में सुलाये मुझको।
रिश्तेदारों को खुश करने में ये उमर बीती।
कैसे नाराज होंगे यह कोई बताए मुझको।
थक गया हूं दुनिया का दस्तूर निभाते निभाते।
इनकी आगोश से अब कोई छुड़ाए मुझको।
वजूदो-अदम की फिकर अब करे कौन यहाँ पर।
इसका खौफ अब न कोई दिखाए मुझको।
अब इस किराये के मकां में दम घुटता है मेरा।
मेरे अपने घर का रस्ता तो कोई बताए मुझको
- ✍🏻...नरेश सिंह रावत
©Naresh singh rawat
मैं तो जलने को तैयार हूँ कोई जलाए मुझको।
मेरे सामने ही मेरी चिता में सुलाये मुझको।
रिश्तेदारों को खुश करने में ये उमर बीती।
कैसे नाराज होंगे यह कोई बताए मुझको।
थक गया हूं दुनिया का दस्तूर निभाते निभाते।
इनकी आगोश से अब कोई छुड़ाए मुझको।