" देकर अनगिनत हसीन यादें ,उम्र का वो दौर गुज़र गया,
दिल ढूँढता ही रह गया ,बचपन का वो छोर किधर गया,
ना वो भोर आती है अब , ना ही शामें हसीन होतीं हैं,
मैं सिमट के रह गई , और मेरा सारा जीवन बिखर गया,
वो लाड़,वो दुलार, वो ममता का आँचल अब नही दिखता,
जीवन का हर एक लम्हा ,अब जद्दोजहद में उलझ गया ।।
पूनम आत्रेय
©poonam atrey
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