kavi Raj ,writter & poet नुसरत _ए __मौहब्बत नुसरत_ ए_ _मौहब्बत सबका साथ बांटने चला हूं। तकल्लुफ करके देखना जरा पहरों को आठ बांटने चला हूं। खुशामद तो मैंने बहुत की थी चांद _सूरज की रात को दिन और दिन को रात बांटने चला हूं।
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