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है प्रतीक्षा बड़ी व्यस्तताओं से मुक्ति मिले अवकाश लेकर समस्त मित्रमंडली मिले पर नित नई व्यस्तताओं से जूझने लगें है और ना चाहते हुए भी पीछे छूटने लगे हैं प्रयासों का पराक्रम तेजहीन प्रतीत होता है जब स्वयं के लिए मन अवकाश खोजता है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
Babli BhatiBaisla
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आप सभी को सुबह की राम राम गर्मागर्म मूंगफलियां भगाएं सर्दी तमाम बबली भाटी बैसला🙏 ©Babli BhatiBaisla
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बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
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#5LinePoetry ठिठुरती धूप को भी पूस में दिए का उजाला चाहिए सर्द हवाओं और कोहरे की जकड़ से छूटने को सहारा चाहिए बदल जाते हैं कड़कड़ाती धूप के भी तेवर पूस के बुढ़ापे में माह में नन्हे नन्हे कदमों से आएगी धूप फिर लुकाछिपी खेलने फागुन आते आते धूप का पारा लगातार लग जाएगा बढ़ने चैत्र और बैसाख में तो फिर से लग जाएगी ज्यादा अकड़ने बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
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कैद में खुद की ही व्याकुल रहते हैं आजकल चतुर सियार इसको ठगते उसको ठगते ढूंढते रहते हैं नित्य नए नए शिकार अंत में जोड़ने बैठे जो सारा हिसाब कई कई बार जोड़ कर भी रहे खाली हाथ बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
सुयोग्य की कामना केवल सुयोग्य को शोभती है स्वयं का आंकलन भी महत्वपूर्ण है संबंधों के लिए लज्जाहीन वाचालता संबंधों का शोषण करती है दम्भ का मर्दन भी आवश्यक है स्वाभिमान के लिए बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla
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