है प्रतीक्षा बड़ी व्यस्तताओं से मुक्ति मिले अवकाश | हिंदी कविता

"है प्रतीक्षा बड़ी व्यस्तताओं से मुक्ति मिले अवकाश लेकर समस्त मित्रमंडली मिले पर नित नई व्यस्तताओं से जूझने लगें है और ना चाहते हुए भी पीछे छूटने लगे हैं प्रयासों का पराक्रम तेजहीन प्रतीत होता है जब स्वयं के लिए मन अवकाश खोजता है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla"

 है प्रतीक्षा बड़ी व्यस्तताओं से मुक्ति मिले
अवकाश लेकर समस्त मित्रमंडली मिले 

पर नित नई व्यस्तताओं से जूझने लगें है 
और ना चाहते हुए भी पीछे छूटने लगे हैं 

प्रयासों का पराक्रम तेजहीन प्रतीत होता है 
जब स्वयं के लिए मन अवकाश खोजता है 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla

है प्रतीक्षा बड़ी व्यस्तताओं से मुक्ति मिले अवकाश लेकर समस्त मित्रमंडली मिले पर नित नई व्यस्तताओं से जूझने लगें है और ना चाहते हुए भी पीछे छूटने लगे हैं प्रयासों का पराक्रम तेजहीन प्रतीत होता है जब स्वयं के लिए मन अवकाश खोजता है बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla

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