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Never make someone a priority when all you are to them is an option. ©Rajavarapu Teja

#Dark #SAD  Never make someone
 a priority when all you 
are to them is an option.

©Rajavarapu Teja

#Dark

9 Love

#Videos #Dark  लोग खुद की अजादी के चक्कर में 
बर्बादी की गलियों में पहुंच जाते हैं

©RUPESH Kr SINHA

#Dark

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રવિ, કરેલ કર્મના વળી ક્યાં કદી કોઈ કાગળ હોય છે ?? એતો બસ નાભિને જ ખબર કે કોણે કોને દુભાવ્યા હોય છે ©Mena Ravi

#Dark  રવિ, કરેલ કર્મના વળી ક્યાં કદી કોઈ કાગળ હોય છે ??
એતો બસ નાભિને જ ખબર કે કોણે કોને દુભાવ્યા હોય છે

©Mena Ravi

#Dark

13 Love

#मराठीकविता  मुलगा म्हणुन आम्ही 
काय केला गुन्हा..
साहेब -एक तरी योजना 
एकदा आमच्यासाठी पुन्हा..

शिकून सवरूनी सगळं 
तुम्ही लावलाय चुना..
कंत्राटी धोरण काढून 
आधीच आणा पुन्हा..

लग्न होईना म्हणून
गाठला मुंबई पुणा..
१२ घंटे काम करून 
खिशात दमडी उरेना..

मुलगा म्हणून आम्ही 
खरंच काय केला गुन्हा..
भाऊ माझा लाडका
साहेब आमच्यासाठी आणा..

भाऊ माझा लाडका 
साहेब आमच्यासाठी आणा..

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

भाऊ माझा लाडका

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🍁मन के भाव 🍁 मजबूरी यह दुनिया क्या समझेगी पेट की भूख यहां सब है बहरे और मूक भूख के आगे सब हो जाते लाचार यहां हर बात पर होता हर चीज़ का व्यापार हवस के भूखे भेड़िए ना छोड़े एक भी मौका दुनिया है बड़ा बाजार जहां हर पल होता धोखा इस जमाने से इज्जत का सौदा कर अपनो की भूख तो को मिटा ली पर अपनी इज्जत दांव पर लगा ली कौन समझेगा हमारी मजबूरी अपनो के लिए यह करना था बहुत जरूरी अपनो के आंसू और भूख सह ना पाए मजबूरी क्या-क्या ना कराये बुरे वक्त में कोई काम ना आए गम के घूंट पीकर बस चुप रहे और आंसू बहाये अपनी मनशा किसी से कह भी ना पाये मजबूर की यहां सुनता है कौन सब मुंह फेर कर चल देते रहते मौन हम तो है इस दुनिया का छोटा सा है हिस्सा यहां तो रोज होता है यह किस्सा रोज नीलाम होती इज्जत रोज बिकते है यहां ज़मीर नारी को समझते है अपनी जागीर स्वरचित_ सुरमन_✍️ 31/1/2022 ©Mansha Sharma

#सुरमन_✍️ #मजबूरी #शायरी #मन #nojato  🍁मन के भाव 🍁
मजबूरी 
यह दुनिया  क्या समझेगी   पेट की भूख 
यहां सब है  बहरे  और मूक 
 भूख के आगे  सब हो जाते  लाचार 
यहां हर बात पर होता  हर चीज़ का व्यापार 
हवस के भूखे भेड़िए  ना छोड़े एक भी मौका 
दुनिया है बड़ा बाजार  जहां हर पल होता धोखा 
  इस जमाने से  इज्जत का  सौदा कर  
अपनो की भूख तो  को मिटा ली पर
  अपनी इज्जत  दांव पर लगा ली 
कौन समझेगा  हमारी मजबूरी
 अपनो के लिए  यह करना था  बहुत जरूरी 
अपनो के आंसू  और भूख सह ना पाए 
मजबूरी  क्या-क्या  ना कराये 
बुरे वक्त में  कोई काम ना आए 
गम के घूंट पीकर  बस चुप रहे  और आंसू बहाये 
 अपनी  मनशा  किसी से  कह भी ना पाये 
मजबूर  की  यहां सुनता है कौन 
सब मुंह फेर कर  चल देते रहते मौन 
हम तो है इस दुनिया का  छोटा सा है हिस्सा
 यहां तो रोज होता है  यह किस्सा 
रोज नीलाम होती इज्जत  रोज बिकते है यहां ज़मीर 
नारी को समझते है अपनी जागीर 
 स्वरचित_ सुरमन_✍️
31/1/2022

©Mansha Sharma
#urduhindi_poetry #holi_diwali #urdupoetry #muflisi #Aliem  उनकी होली ईद दिवाली फीकी है
उनकी ख़ातिर सभी मिठाई तीखी है
वो क्या जाने सूरज चांद सितारे जुगनूं
उनकी आंखों में गहरी तारीकी है!

©Aliem U. Khan
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