"ये कौन सी दुनिया है ,जिसमें हम क़ैद होकर रह गए,
सारे रिश्ते नाते , इस नई दुनिया की रौ में बह गए।
बंध गए हैं हाथ सबके , परवाह ना ख़ुद की रही,
यही है जीवन आधारा , हम इसके होकर रह गए।
ना रही वार्ता अपनों से, पड़ोसी तो खैर ग़ैर ही थे,
कर दरकिनार सम्बन्धों को ,नई तकनीक में रह गए,
माँ बाप भाई बहन ,अब हर रिश्ता यही निभाता है,
ये छोटा सा जादूगर ,जग में मोबाइल कहलाता है ।।
पूनम आत्रेय
©poonam atrey
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