यही होता है हर बार अक्सर !
मुझे भूल जाता है यार अक्सर !
अब कैसे छुपाऊं हर बार सबसे !
दिख जाता है मिरा ग़ार अक्सर !
इक मिला न बोसा जबीं का !
पीछे रह गया तलबगार अक्सर !
हंसों की तरह संभलता नहीं !
टूट जाता है हर तार अक्सर !
मसला वही हर बार की तरह !
मैं ही होता हूं गुनहगार अक्सर !
बदन पर ज़ख्म लिए ,दर्द लिए !
तेरे दर पर आए बीमार अक्सर !
भाव अच्छा मिले तो ले लेना !
बिकते देखा है प्यार अक्सर !
उसके जाने की इक खबर से !
गया सब्र-ओ-क़रार अक्सर !
पायलों की सदा सुनने को !
सहारा देती है दीवार अक्सर !
बे-पर्दा हुए पर्दा-नशीं जब से !
रहता है दिल बे-क़रार अक्सर !
©Darshan Raj
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यही होता है हर बार अक्सर !
मुझे भूल जाता है यार अक्सर !
अब कैसे छुपाऊं हर बार सबसे !
दिख जाता है मिरा ग़ार अक्सर !
इक मिला न बोसा जबीं का !
बहुत खूबसूरत शानदार लाजवाब पंक्तियां वाह जी 👏 👏 👏 👏 👏