Parastish

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White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें देखे जो भी कर देती हैं उस को घायल वो आँखें दिल में पसरे सन्नाटे को बाँध के अपने पोरों से बन के धड़कन छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें शाम सवेरे डोले ऐसे मन के वीराँ आँगन में दूर गगन में गोया कोई उड़ता झाँकल वो आँखें बचने को मुश्ताक़ जहां से मस्त रुपहली क़ामत पे शर्म हया का पैराहन या कह लो आँचल वो आँखें उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना आलम सारा कर दे आबी बरखा, बादल वो आँखें तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें ©Parastish

#lovepoetry #parastish #ghazal #sher  White कितनी प्यारी कितनी सुन्दर कितनी अजमल वो आँखें
देखे  जो  भी  कर  देती  हैं  उस  को  घायल वो आँखें 

दिल  में  पसरे  सन्नाटे  को  बाँध  के  अपने  पोरों  से 
बन के धड़कन  छम-छम करती जैसे पायल वो आँखें 

शाम   सवेरे   डोले  ऐसे   मन   के   वीराँ   आँगन  में 
दूर  गगन   में  गोया  कोई  उड़ता  झाँकल  वो  आँखें

बचने  को  मुश्ताक़  जहां से मस्त रुपहली  क़ामत  पे 
शर्म  हया  का  पैराहन या  कह लो आँचल  वो आँखें 

उन की शोख़-निगाही के अफ़्सूँ का भी है क्या कहना 
आलम  सारा  कर  दे  आबी  बरखा, बादल वो आँखें 

तीर-ए-मिज़्गाँ ऐसे कितने अहल-ए-दिल नख़चीर हुए 
कितने बिखरे कितने तड़पे कलवल कलवल वो आँखें

©Parastish

अजमल- रूपवान,अत्यधिक सुंदर गोया - मानो, जैसे । झाँकल- परिंदों का झुंड मुश्ताक़ - शौक रखने वाला, अभिलाषी रुपहली - चाँदी जैसी । क़ामत - शरीर पैराहन - चोला, पोशाक। अफ़्सूँ- जादू आबी - पानी का बना हुआ। मिज़्गाँ - पलकें नख़चीर - शिकार । कलवल - मुसीबत, आपदा, बला #ghazal #sher #parastish #Poetry #lovepoetry

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#parastish #ghazal #sher  शराब  जैसी  हैं  उसकी  आँखें,  है  उसका  चेहरा  किताब  जैसा
बहार  उस  की  हसीं  तबस्सुम,  वो  इक   शगुफ़्ता  गुलाब  जैसा

वो ज़ौक़-ए-पिन्हाँ, वो सबसे वाहिद, वो एक इज़्ज़त-मआब जैसा
वो रंग-ए-महफ़िल, वो नौ बहाराँ, वो नख़-ब-नख़ है  नवाब  जैसा 

उदास  दिल  की  है  सरख़ुशी  वो,  वो  ज़िन्दगी के  सवाब  जैसा
वो  मेरी  बंजर सी  दिल  ज़मीं  पर,  बरसता है  कुछ सहाब जैसा

कभी   लगे    माहताब   मुझ  को,  कभी   लगे   आफ़ताब  जैसा
हक़ीक़तों की  तो  बात  छोड़ो, वो  ख़्वाब में भी  है  ख़्वाब  जैसा

न वो शफ़क़ सा, न बर्ग-ए-गुल सा, न रंग वो  लाल-ए-नाब जैसा 
जुदा  जहां का  वो रंग  सबसे,  है  उसके  लब  का  शहाब  जैसा

उसी  से  शेर-ओ-सुख़न  हैं  मेरे, उसी  से  तख़्लीक़  मेरी   सारी 
वो अक्स-ए-रू  है  मेरी  ग़ज़ल का,  मेरे  तसव्वुर के  बाब जैसा

©Parastish

शगुफ़्ता - cheerful ज़ौक़-ए-पिन्हाँ - hidden desire वाहिद - unique इज़्ज़त-मआब- most esteemed; respected नख़-ब-नख़ - row by row, line by line सरख़ुशी - happiness सवाब - reward सहाब - a cloud

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#lovepoetry #गजल #parastish #ghazal #sher  किसने दर पर ये आहटें कर दीं!
तेज़ दिल की ये धड़कनें कर दीं!

दश्ते दिल सब्ज़ हो उठा फिर से,
आपने  कुछ यूँ  बारिशें  कर दीं!

थी उदासी  फ़क़त  मिरे  घर  में,
आप  आए  तो  रौनकें  कर दीं!

उन की नज़रों ने यूँ तराशा मुझे,
जों  ख़ुदा  ने   इनायतें  कर  दीं!

उसकी चाहत में, मैं हूँ वारफ़्ता,
लो  बयाँ  मैंने, हसरतें  कर  दीं!

©Parastish

दश्त-ए-दिल = दिल का रेगिस्तान/जंगल सब्ज़ = हरा वारफ़्ता = बेसुध, बेखु़द #गजल #sher #ghazal #Poetry #parastish #lovepoetry

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#parastish #ghazal #sher  कैसे  बिगड़े  मिरे  हालात  न मालूम मुझे 
वक़्त ने क्या किए ज़ुल्मात न मालूम मुझे

बिखरे रिश्ते मिरे क्यूँ काँच के पैकर जैसे 
दरमियाँ क्या हुए ख़दशात न मालूम मुझे 

मैं हूँ  खोई हुई  माज़ी की किन्हीं यादों में 
क्या अभी गुज़रे हैं लम्हात न मालूम मुझे 

साथ तन्हाई है औ' ग़म की  फ़रावानी है 
कैसे कटते हैं  ये दिन-रात न मालूम मुझे 

उसको चाहा ही नहीं,मैंने परस्तिश'की है 
वस्ल की होती है क्या रात न मालूम मुझे

©Parastish

पैकर= आकृति/body, figure ख़दशात= शंकाएं/ doubts माज़ी= अतीत/past फ़रावानी= अधिकता/abundance,plenty परस्तिश= इबादत,पूजा/worship #ghazal #sher #Poetry #parastish

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#parastish #nojohindi #ghazal #sher  कितने ताइर  क़ैद है उसकी  आँखों के  ज़िंदानों में 
चर्चा  ज़ोरों  पर  है  इक  सय्यादी  की  काशानों में 

नशा असल में तो बस उसके शीरीं लब ही रखते हैं 
पागल हैं  वो लोग  जो  पीने  जाते हैं  मयख़ानों  में 

बात  हसीं  शामों की  हो या  तन्हा भीगी  रातों की 
बस उसका ही  ज़िक्र मिलेगा मेरे  इन अफ़्सानों में 

नहीं  मिला  वो  सूना-पन  जो  टूटे दिल में  होता है 
मैंने   जा  कर  देखा  है,  सहराओं  में,  वीरानों  में 

ख़्वाब परस्तिश' जिसके देखे वो सच से वाबस्ता हो 
एक  यही  अरमाँ  है  शामिल  मेरे  सब अरमानों में

©Parastish

ताइर - पंछी ज़िंदानों - क़ैद ख़ानों सय्यादी - शिकारी काशानों - घरों शीरीं लब - मीठे लब सहराओं - रेगिस्तानों वाबस्ता - जुड़ा हुआ

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#happyindependenceday #IndependenceDay #15thAugust #parastish #nojohindi

कितने चढ़े हैं सूली औ' कितनों ने लहू बहाया है ऐसे ही नहीं ये अपना झण्डा ऊँचा लहराया है होकर आज़ाद जहाँ से हमको आज़ाद कराया है तब जाके कहीं हमने आज़ादी का जश्न मनाया है नमन है ऐसे वीरों को जो हँस कर फन्दे झूल गए बर्बाद किया घर अपना हमको आबाद कराया है

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