जहाँ की भीड़ में यकता दिखाई देता है
वो एक शख़्स जो प्यारा दिखाई देता है
कभी वो चाँद जमीं का मुझे है आता नज़र
कभी वो आईना रब का दिखाई देता है
वो ख़ामुशी भी है सुनता मिरी सदा की तरह
वो रूह तक से शनासा दिखाई देता है
उसी के प्यार में है दिल की धड़कनें रेहन
फ़सील-ए-दिल पे जो बैठा दिखाई देता है
वो साज़-ए-हस्ती की छिड़ती हुई कोई सरगम
लब- ए- हयात का बोसा दिखाई देता है
©Parastish
यकता - अनुपम, अनोखा
सदा - आवाज़
शनासा- परिचित
रेहन - क़ब्ज़े में होना
फ़सील-ए-दिल - दिल की मुंडेर
साज़-ए-हस्ती - ज़िन्दगी का संगीत
हयात - ज़िन्दगी, बोसा - चुंबन