Intezar
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हर कोई रूह के करीब नहीं हो जाता है तेरा नाम सुनते ही यूहीं दिल जज्बाती नही हो जाता है कुछ तो वक्त गुजारा होगा तेरे दिल की गलियों में वरना यूहीं किसी की तस्वीरें देखने से दिल खुश नही हो जाता है ©कवि- जीतू जान

#intezar  हर कोई रूह के करीब नहीं हो जाता है
तेरा नाम सुनते ही यूहीं दिल जज्बाती नही हो जाता है 
कुछ तो वक्त गुजारा होगा तेरे दिल की गलियों में
वरना यूहीं किसी की तस्वीरें देखने से दिल खुश नही हो जाता है

©कवि- जीतू जान

#intezar poetry

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#‌AbhiJaunpur #hunarbaaz #Trending #intezar #shayri #Shorts  #243

बहुत बदले बदले से हो जनाब!
क्या बात हो गयी?
हमसे नाराज हो आप या,
किसी और से मुलाकात हो गयी!!

©AbhiJaunpur
#विचार #quotesaboutlife #Life_experience #suvichar #Newquote #Zindagi  ठोकर रुकना नहीं सिखाता
 बल्कि संभल कर चलना सिखाता है.

©Shruti Vlogger
#विचार #quotesaboutlife #motivatation #hindiquotes #lovertalk #intezar  उम्मीद के बिना डर नहीं होता,
 और डर के बिना उम्मीद नहीं होती

©Lover Talk
#कविता #intezar  बैठूंगी शांत एकांत में......
जीवन की इस आपा धापी में, भूल सी गई हूँ अपने आप को
मेरी शख्सियत भी अब,अपना वजूद मांगती है मुझसे हर बात पे
क्या थी मैं,अब क्या हूँ मैं, ये सवाल करती है बात बात पे
एक समय अनंत गगन के उन्मुक्त पंक्षी सा किरदार था मेरा
जो अब वक़्त के पन्नों में,कहीं दबा सा प्रतीत होता है
कई दफ़ा सोचती हूँ,फिर से खोलू उन बंद पन्नों को
जिसने समेट रखा है, अपने आगोश में बीते ख़ास पलों को
धुंधली सी यादें बस साथ हैँ, बाकी तो अपने आप में ख़ास हैँ 
कोहरे की धुंधलाहट चारों ओंर है, परत दर परत जो जम सा गया है
 बेवक्त के  शोर में, समय मुझसे दूर कहीं निकल रहा है
ना लौट आने वाले इस वक्त को, खींच कर साथ लाना है
रखना है इसे सहेज़ कर, क्यूंकि सहेज़ रखा है इसने मेरे बीते पलों को
अनमोल हैँ ये, और इससे कहीं अधिक अनमोल है मेरी शख्सियत
जिसे जिया था कभी मैंने, अपने आप में
उसे ही देख देख कर जीऊंगी अपने इस आज को
पर जीने से पहले हर बार, बैठूंगी कहीं शांत,एकांत में
शांत रहकर एकांत में, ब्राह्मण्ड की ऊर्जा को समेटूंगी अपने आप में
कुछ गुफ़्तगू होगी, कुछ नोक झोंक होंगी,दिल की दिमाग़ से
अंत में ,गहरी लम्बी सांस लेकर
 चल पड़ूँगी एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास से 
ख़ुद की बनाई नई दिशा की ओंर...

©Rina

#intezar

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#शायरी #MunawwarRana  थकन को ओढ़ के बिस्तर में जा के लेट गए
हम अपनी क़ब्र-ए-मुक़र्रर में जा के लेट गए

तमाम उम्र हम इक दूसरे से लड़ते रहे
मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गए

हमारी तिश्ना-नसीबी का हाल मत पूछो
वो प्यास थी कि समुंदर में जा के लेट गए

न जाने कैसी थकन थी कभी नहीं उतरी
चले जो घर से तो दफ़्तर में जा के लेट गए

ये बेवक़ूफ़ उन्हें मौत से डराते हैं
जो ख़ुद ही साया-ए-ख़ंजर में जा के लेट गए

तमाम उम्र जो निकले न थे हवेली से
वो एक गुम्बद-ए-बे-दर में जा के लेट गए

सजाए फिरते थे झूटी अना जो चेहरों पर
वो लोग क़स्र-ए-सिकंदर में जा के लेट गए

सज़ा हमारी भी काटी है बाल-बच्चों ने
कि हम उदास हुए घर में जा के लेट गए

- Munawwar Rana

©star...M

R.I.P. MUNAWAR RANA SAHAB #MunawwarRana

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