Sign in
कवि- जीतू जान

कवि- जीतू जान

कवि- जीतू जान

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video

White इतना भी घमंड सही नहीं की खुद को पारस समझ बैठो और फिर लालची लोगों सोने को भी मिट्टी कर बैठो ©कवि- जीतू जान

#Motivational #Sad_shayri  White इतना भी घमंड सही नहीं की खुद को पारस समझ बैठो
और फिर लालची लोगों सोने को भी मिट्टी कर बैठो

©कवि- जीतू जान

#Sad_shayri motivational story in hindi

14 Love

White जब जब घूरा है दुश्मन ने भारत मां के आंचल को, ना जाने कितने शहीदों की विधवाओं ने मेहंदी लगे हाथों से मंगलसूत्र उतारे होंगे। शहीदों पर राजनीति करने वालों जरा उन आंखों के आंसुओं को तो देखो लो, जिसकी एक एक बूंद किसी समुंद्र से कम ना रही होगी। उन मेहंदी लगे हाथों ने सफेद साड़ी पहन कर , मेहंदी लगे हाथों से मांग का सिंदूर मिटाया होगा। क्या गुजरी होगी उनके सीने पर। शहीदों पर राजनीति करने वालों, उन बहनों की दिल की धड़कन किसी बिजली की गड़गड़ाहट से कम ना रही होगी। उन मेहंदी लगे हाथों ने कैसे उतारे होंगे पांव के बिछुआ, कांप उठा होगा रूह रूह क्या गुजरी होगी उनके सीने पर। जब जब घूरा है दुश्मन ने भारत मां के आंचल को, ना जाने कितने शहीदों की विधवाओं ने मेहंदी लगे हाथों से मंगलसूत्र उतारे होंगे। ©कवि- जीतू जान

#Indian_flag  White जब जब घूरा है दुश्मन ने भारत मां के आंचल को,
ना जाने कितने शहीदों की विधवाओं ने मेहंदी लगे हाथों से मंगलसूत्र उतारे होंगे।
शहीदों पर राजनीति करने वालों जरा उन आंखों के आंसुओं को तो देखो लो, जिसकी एक एक बूंद किसी समुंद्र से कम ना रही होगी।

उन मेहंदी लगे हाथों ने सफेद साड़ी पहन कर , 
मेहंदी लगे हाथों से मांग का सिंदूर मिटाया होगा।
क्या गुजरी होगी उनके सीने पर।
शहीदों पर राजनीति करने वालों, उन बहनों की दिल की धड़कन किसी बिजली की गड़गड़ाहट से कम ना रही होगी।

उन मेहंदी लगे हाथों ने कैसे उतारे होंगे पांव के बिछुआ,
कांप उठा होगा रूह रूह क्या गुजरी होगी उनके सीने पर।
जब जब घूरा है दुश्मन ने भारत मां के आंचल को, 
ना जाने कितने शहीदों की विधवाओं ने मेहंदी लगे हाथों से मंगलसूत्र उतारे होंगे।

©कवि- जीतू जान

#Indian_flag

20 Love

White मेरे दोस्त इश्क मे सब कुछ अच्छा लगता है जेठ का महीना भी सावन लगता है इश्क में समुंदर पर भी सेतु बांध देते हैं ये इश्क है साहब भला किस देवदास को महल छोड़कर कोठे पर रहना अच्छा लगता है तेरे कदमों पर सर रख देना तेरा यूं इतरा कर चला जाना रातों में अकेले रोना ये सिर्फ इश्क में अच्छा लगता है doctor engineer PCS बनने की ख्वाहिश रखने वाले अचानक शायर बन जाते हैं ये सब इश्क अच्छा लगता है मेरे दोस्तों ये सिर्फ मां का इश्क है भला किसे पेशाब से भीगे बिस्तर में सोना अच्छा लगता है भारत मां के आंचल की हिफाजत करने का इश्क है साहब किसे 30-35 हजार के लिए सरहद पर सीने में गोली खाना अच्छा लगता है इस महफिल का ये जान पिछले वर्ष से सोच रहा है इश्क में बर्बाद होना भी कितना अच्छा लगता है ©कवि- जीतू जान

#good_night  White  मेरे दोस्त इश्क मे सब कुछ अच्छा लगता है
जेठ का महीना भी सावन लगता है

इश्क में समुंदर पर भी सेतु बांध देते हैं
ये इश्क है साहब भला किस देवदास को महल छोड़कर कोठे पर रहना अच्छा लगता है

तेरे कदमों पर सर रख देना तेरा यूं इतरा कर चला जाना
रातों में अकेले रोना ये सिर्फ इश्क में अच्छा लगता है

doctor engineer PCS  बनने की ख्वाहिश रखने वाले
 अचानक शायर बन जाते हैं ये सब इश्क  अच्छा लगता है

मेरे दोस्तों ये सिर्फ मां का इश्क है
भला किसे पेशाब से भीगे बिस्तर में सोना अच्छा लगता है

भारत मां के आंचल की हिफाजत करने का इश्क है साहब
किसे 30-35 हजार के लिए सरहद पर सीने में गोली खाना अच्छा लगता है

इस महफिल का ये जान पिछले वर्ष से सोच रहा है
इश्क में बर्बाद होना भी कितना अच्छा लगता है

©कवि- जीतू जान

#good_night

21 Love

White वो मेरी अंधेरों से पहरेदारी आज भी करती है अपने प्यार का जलता चिराग आज भी दिखाया करती है मुझे हवाओं की झूठी कसमें आज भी खिलाया करती है आले में तो कभी दहलीज पर बैठकर मेरे इश्क के गीत आज भी गुनगुनाया करती है मुझ पतंगे को अपनी आग में आज भी जलाया करती है उसको मेरी आज भी याद आया करती है ऐसा मुझे संदेशों में बताया करती है मुझे तेल तो खुद को बाती बताया करती है अंधेरी रातों से अपना रिश्ता बताया करती है इस इश्क को मुकम्मल चिराग बताया करती है ©कवि- जीतू जान

#moon_day  White वो मेरी अंधेरों से पहरेदारी आज भी करती है 

अपने प्यार का जलता चिराग आज भी दिखाया करती है 

मुझे हवाओं की झूठी कसमें आज भी खिलाया करती है 

आले में तो कभी दहलीज पर बैठकर मेरे इश्क के गीत आज भी गुनगुनाया करती है

मुझ पतंगे को अपनी आग में आज भी जलाया करती है

उसको मेरी आज भी याद आया करती है 

ऐसा मुझे संदेशों में बताया करती है

मुझे तेल तो खुद को बाती बताया करती है 

अंधेरी रातों से अपना रिश्ता बताया करती है

इस इश्क को मुकम्मल चिराग बताया करती है

©कवि- जीतू जान

#moon_day hindi poetry

19 Love

Narendra Modi says मोदी जी अमेरिकी ट्रंप को मित्र कहकर सीना चौड़ा करते हैं मोदी जी आस्तीन में विषधर नहीं पाला करते हैं मैं विदेशनीति को नहीं पहचानता मगर भारतीयों के हाथों में हथकड़ियां पैरों में बेड़ियां तो पहचानता मान लिया कुछ भारतीय प्रवासी है भूल गए अमेरिकी संसद में बैठे 6 सांसद भारतवासी है मोदी जी भारत को विश्व गुरु बनाने की बात करते फिर भी कर्ण सा मित्र पहचानने की भूल करते ©कवि- जीतू जान

 Narendra Modi says मोदी जी अमेरिकी ट्रंप को मित्र कहकर सीना चौड़ा करते हैं 
मोदी जी आस्तीन में विषधर नहीं पाला करते हैं 
मैं विदेशनीति को नहीं पहचानता
मगर भारतीयों के हाथों में हथकड़ियां पैरों में बेड़ियां तो पहचानता
मान लिया कुछ भारतीय प्रवासी है 
भूल गए अमेरिकी संसद में बैठे 6 सांसद भारतवासी है 
मोदी जी भारत को विश्व गुरु बनाने की बात करते 
फिर भी कर्ण सा मित्र पहचानने की भूल करते

©कवि- जीतू जान

Narendra Modi says मोदी जी अमेरिकी ट्रंप को मित्र कहकर सीना चौड़ा करते हैं मोदी जी आस्तीन में विषधर नहीं पाला करते हैं मैं विदेशनीति को नहीं पहचानता मगर भारतीयों के हाथों में हथकड़ियां पैरों में बेड़ियां तो पहचानता मान लिया कुछ भारतीय प्रवासी है भूल गए अमेरिकी संसद में बैठे 6 सांसद भारतवासी है मोदी जी भारत को विश्व गुरु बनाने की बात करते फिर भी कर्ण सा मित्र पहचानने की भूल करते ©कवि- जीतू जान

16 Love

White अगर तू जो पास होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती भले ही ये मौसम ना बदलते मगर बंजर बागानों में भी कलियां खिलती अगर तू जो पास होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती इस शहर में भी रोज सावन बरसते और ये पूस की शरद राते भी गर्म होती अगर तू जो पास होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती मेरे घर के आईने में भी तेरे प्रतिबिंब होते मेरे आंगन में भी तेरे बदन की खुशबू होती अगर तू जो पास होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती तेरे चेहरे से बालों को मैं संभालता जब तेरे हाथों में मेहंदी मेरे नाम की होती अगर तू पास जो होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती तेरे बगैर मेरे घर के सारे रंग फीके हैं जान के कानो में भी तेरी पायल की आहट होती ©कवि- जीतू जान

#Sad_Status  White  अगर तू जो पास होती
मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती 
भले ही ये मौसम ना बदलते मगर
बंजर बागानों में भी कलियां खिलती 

अगर तू जो पास होती 
मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती 
इस शहर में भी रोज सावन बरसते
और ये पूस की शरद राते भी गर्म होती

अगर तू जो पास होती 
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती 
मेरे घर के आईने में भी तेरे प्रतिबिंब होते
मेरे आंगन में भी तेरे बदन की खुशबू होती

अगर तू जो पास होती 
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती
तेरे चेहरे से बालों को मैं संभालता जब
तेरे हाथों में मेहंदी मेरे नाम की होती

अगर तू पास जो होती 
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती 
तेरे बगैर मेरे घर के सारे रंग फीके हैं
जान के कानो में भी तेरी पायल की आहट होती

©कवि- जीतू जान

#Sad_Status poetry in hindi

18 Love

Trending Topic