कवि- जीतू जान

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White मेरी फितरत नहीं उसका नाम लेकर उसे शहर में बदनाम कर दूं उसकी अपनी भी जिंदगी है मैं उसे कैसे नीलाम कर दूं हां उससे मोहब्बत करके मेरी वफा का तमाशा बना है वो अपनी जिंदगी में खुश है बताओ मै कैसे मैं उसको सरेआम कर दूं ©कवि- जीतू जान

#शायरी #Sad_Status  White मेरी फितरत नहीं उसका नाम लेकर उसे शहर में बदनाम कर दूं
उसकी अपनी भी जिंदगी है मैं उसे कैसे नीलाम कर दूं
हां उससे मोहब्बत करके मेरी वफा का तमाशा बना है 
वो अपनी जिंदगी में खुश है बताओ मै कैसे मैं उसको सरेआम कर दूं

©कवि- जीतू जान

#Sad_Status @Anshu writer @Rajesh rajak शायरी लव रोमांटिक

15 Love

White मैं और मेरी तन्हाई जब एकांत में होते है तेरे साथ गुजारे हर लमहे का हिसाब करते है मेरे फोन की गैलरी में आज भी तेरे नाम का फोल्डर है हम तुम्हें सोने से पहले याद कर लेते है ©कवि- जीतू जान

#Sad_shayri  White मैं और मेरी तन्हाई जब एकांत में होते है 
तेरे साथ गुजारे हर लमहे का हिसाब करते है
मेरे फोन की गैलरी में आज भी तेरे नाम का फोल्डर है
हम तुम्हें सोने से पहले याद कर लेते है

©कवि- जीतू जान

#Sad_shayri

15 Love

भारत की लाडली बेटी हिंदी है संस्कृत भाषा से जन्मी बेटी हिंदी है दिनकर की दीवानगी हिंदी है मीरा के गीतों की सरगम हिंदी है शब्दों से जुड़-जुड़ कर भाषा बनती है भाषायें मनुष्य को मनुष्यता सिखलाती है भाषा निराला का जीवन दर्शन बन जाती है भाषा वसुधैव कुटुंबकम् का पाठ पढ़ती है गंगा की धारा सी शीतल है हिंदी हिंदुस्तानियों का समर्पण भाव है हिंदी बिस्मिल्लाह खान की शहनाई है हिंदी तानसेन का राग है हिंदी सियासतगीरो भाषाओं को धर्मों में मत बांटो हिंद के गुलिस्तां की खुशबू को मत बांटो अरबी, फारसी, हिंदी, उर्दू हिंदुस्तान में जन्मी बहने हैं इन्हें सरहदों में मत बांटो हिंदी हमारी मां है दो भाइयों में मत बांटो ©कवि- जीतू जान

#Hindidiwas  भारत की लाडली बेटी हिंदी है
संस्कृत भाषा से जन्मी बेटी हिंदी है 
दिनकर की दीवानगी हिंदी है 
मीरा के गीतों की सरगम हिंदी है

शब्दों से जुड़-जुड़ कर भाषा बनती है
भाषायें मनुष्य को मनुष्यता सिखलाती है
भाषा निराला का जीवन दर्शन बन जाती है
भाषा वसुधैव कुटुंबकम् का पाठ पढ़ती है 

गंगा की धारा सी शीतल है हिंदी
हिंदुस्तानियों का समर्पण भाव है हिंदी
बिस्मिल्लाह खान की शहनाई है हिंदी 
तानसेन का राग है हिंदी

सियासतगीरो भाषाओं को धर्मों में मत बांटो
हिंद के गुलिस्तां की खुशबू को मत बांटो
अरबी, फारसी, हिंदी, उर्दू  हिंदुस्तान में जन्मी बहने हैं 
इन्हें सरहदों में मत बांटो
हिंदी हमारी मां है दो भाइयों में मत बांटो

©कवि- जीतू जान

#Hindidiwas poetry in hindi

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White मुझसे दूर रहकर क्या समझोंगे मेरे बदन की सरसराहट मुझे सताती है बरसते सावन की तेज बूंदों की थरथराहट इन सरहदों पर कब मोहब्बत के गुलिस्तां खिलेंगे मेरी जान मुझे सताती है मेरे एकाकी पन की आहट ©कवि- जीतू जान

#sad_shayari  White मुझसे दूर रहकर  क्या समझोंगे मेरे  बदन की सरसराहट
मुझे सताती है बरसते सावन की तेज बूंदों की थरथराहट
इन  सरहदों  पर कब  मोहब्बत के  गुलिस्तां खिलेंगे 
मेरी जान मुझे सताती है मेरे एकाकी पन की आहट

©कवि- जीतू जान

#sad_shayari

11 Love

White जब जनता का सब्र टूटता है तो तानाशाही से हुकूमत पर कब्जा करने वालो को जनता देश से खदेण देती है ©कवि- जीतू जान

#Motivational #election2024  White जब जनता का सब्र टूटता है 
तो तानाशाही से हुकूमत पर कब्जा करने वालो
 को जनता देश से खदेण देती है

©कवि- जीतू जान

#election2024 motivational thoughts in hindi

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White मेरा परिचय :— मैं सूरज से उगती किरण हूं मैं दिवाकर कुल का चिराग हूं मैं कवि कल्पना एहसासों और अंतर्मन को पढ़ता हूं मैं सारे दिन की आंखों की नमी को हर शाम लिखता हूं मैं भारत माता के रोते दिल की धड़कन की अभिलाषा हूं जहां हर घर में सियासत जन्मती है मैं इटावा की धरती में जन्मा हूं मैं अध्यापक पुत्र हूं मैं मां के आंचल की मर्यादा हूं मैं 9 नदियों का पानी पिया हूं मैं भ्रमण कर-कर के जल बचाओ की बात बतलाता हूं मैं गुलाब राय को पढ़ता हूं मैं नीरज के गीतों को गाता हूं मैं अपनों के दिल में रहता हूं मैं गैरों के दिल में आशियाना बना लेता हूं मैं दयालु हृदय का हूं मैं दुख- सुख को भावुक होकर लिखता हूं मैं दबती आवाजों को समाज तक ले जाने की छोटी डगर हूं ©कवि- जीतू जान

#short_shyari  White मेरा परिचय :—
मैं  सूरज से उगती किरण हूं 
मैं दिवाकर कुल का चिराग हूं
मैं कवि कल्पना एहसासों और अंतर्मन को पढ़ता हूं
मैं सारे दिन की आंखों की नमी को हर शाम लिखता हूं
मैं भारत माता के रोते दिल की धड़कन की अभिलाषा हूं
जहां हर घर में सियासत जन्मती है
मैं इटावा की धरती में जन्मा हूं 
मैं अध्यापक पुत्र हूं
मैं मां के आंचल की मर्यादा हूं
मैं 9 नदियों का पानी पिया हूं
मैं भ्रमण कर-कर के जल बचाओ की बात बतलाता हूं
मैं गुलाब राय को पढ़ता हूं 
मैं नीरज के गीतों को गाता हूं
मैं अपनों के दिल में रहता हूं 
मैं गैरों के दिल में आशियाना बना लेता हूं
मैं दयालु हृदय का हूं 
मैं  दुख- सुख को भावुक होकर लिखता हूं
मैं दबती आवाजों को समाज तक ले जाने की छोटी डगर हूं

©कवि- जीतू जान

#short_shyari

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