कवि- जीतू जान

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White अगर तू जो पास होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती भले ही ये मौसम ना बदलते मगर बंजर बागानों में भी कलियां खिलती अगर तू जो पास होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती इस शहर में भी रोज सावन बरसते और ये पूश की शरद राते भी गर्म होती अगर तू जो पास होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती मेरे घर के आईने में भी तेरे प्रतिबिंब होते मेरे आंगन में भी तेरे बदन की खुशबू होती अगर तू जो पास होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती तेरे चेहरे से बालों को मैं संभालता जब तेरे हाथों में मेहंदी मेरे नाम की होती अगर तू पास जो होती मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती तेरे बगैर मेरे घर के सारे रंग फीके हैं जान के कानो में भी तेरी पायल की आहट होती ©कवि- जीतू जान

#Sad_Status  White अगर तू जो पास होती
मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती 
भले ही ये मौसम ना बदलते मगर
बंजर बागानों में भी कलियां खिलती 

अगर तू जो पास होती 
मेरे बिस्तर में भी सिलवटे होती 
इस शहर में भी रोज सावन बरसते
और ये पूश की शरद राते भी गर्म होती

अगर तू जो पास होती 
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती 
मेरे घर के आईने में भी तेरे प्रतिबिंब होते
मेरे आंगन में भी तेरे बदन की खुशबू होती

अगर तू जो पास होती 
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती
तेरे चेहरे से बालों को मैं संभालता जब
तेरे हाथों में मेहंदी मेरे नाम की होती

अगर तू पास जो होती 
मेरे बिस्तर में भी सिलवटें होती 
तेरे बगैर मेरे घर के सारे रंग फीके हैं
जान के कानो में भी तेरी पायल की आहट होती

©कवि- जीतू जान

#Sad_Status poetry in hindi

15 Love

White इन दिनों आसपास तो छाया कोहरा है इस शहर में आकर चांद जो ठहरा है आपकी आपसे शिकायत भी कैसे करूं खूबसूरत लबों पर तिल का जो पहरा है कोहरे की चादर ओढ़ हुआ सवेरा है आसमान में जो छाया अंधेरा है कैसे निहारूं इन आंखों से की तेरी आंखों में काजल कितना गहरा है आज रात अंधेरा कितना गहरा है उस बालकनी पर जुगनू का पहरा है तेरी पाजेब की आहट से तेरे दरवाजे पर ये जुगनू भी ठहरा है भंवरों का फूलों से रिश्ता कितना गहरा है फूलों पर ही भंवरों का बसेरा है बीते दिनों से आपसे शिकायत है की जान के दिल पर तेरे चांद से चेहरे का पहरा है कवि जीतू जान ©कवि- जीतू जान

#GoodMorning  White इन दिनों आसपास तो छाया कोहरा है 
इस शहर में आकर चांद जो ठहरा है
आपकी आपसे शिकायत भी कैसे करूं
 खूबसूरत लबों पर तिल का जो पहरा है

कोहरे की चादर ओढ़  हुआ सवेरा  है 
आसमान में जो छाया अंधेरा है
कैसे निहारूं इन आंखों से की
तेरी आंखों में काजल कितना गहरा है

आज रात अंधेरा कितना गहरा है
उस बालकनी पर जुगनू का पहरा है
तेरी पाजेब की आहट से
तेरे दरवाजे पर ये जुगनू भी ठहरा है

भंवरों का फूलों से रिश्ता कितना गहरा है 
फूलों पर ही भंवरों का बसेरा है
बीते दिनों से आपसे शिकायत  है की 
जान के दिल पर तेरे चांद से चेहरे का पहरा है

कवि जीतू जान

©कवि- जीतू जान

#GoodMorning gajal

11 Love

White मेरी फितरत नहीं उसका नाम लेकर उसे शहर में बदनाम कर दूं उसकी अपनी भी जिंदगी है मैं उसे कैसे नीलाम कर दूं हां उससे मोहब्बत करके मेरी वफा का तमाशा बना है वो अपनी जिंदगी में खुश है बताओ मै कैसे मैं उसको सरेआम कर दूं ©कवि- जीतू जान

#शायरी #Sad_Status  White मेरी फितरत नहीं उसका नाम लेकर उसे शहर में बदनाम कर दूं
उसकी अपनी भी जिंदगी है मैं उसे कैसे नीलाम कर दूं
हां उससे मोहब्बत करके मेरी वफा का तमाशा बना है 
वो अपनी जिंदगी में खुश है बताओ मै कैसे मैं उसको सरेआम कर दूं

©कवि- जीतू जान

#Sad_Status @Anshu writer @Rajesh rajak शायरी लव रोमांटिक

16 Love

White मुझे पता चला है कि वो शहर में वापस आई है मेरे लबों पर आज फिर से शायरी आई है बाजार से मेरे घर आने के रास्ते और भी थे मगर आज फिर से मेरी मोटरसाइकिल उसे गली से गुजर कर आई है ©कवि- जीतू जान

#bike_wale  White  मुझे पता चला है कि वो शहर में वापस आई है 
मेरे लबों पर आज फिर से शायरी आई है
बाजार से मेरे घर आने के रास्ते और भी थे
मगर आज फिर से मेरी मोटरसाइकिल उसे गली से गुजर कर आई है

©कवि- जीतू जान

#bike_wale

16 Love

White मैं और मेरी तन्हाई जब एकांत में होते है तेरे साथ गुजारे हर लमहे का हिसाब करते है मेरे फोन की गैलरी में आज भी तेरे नाम का फोल्डर है हम तुम्हें सोने से पहले याद कर लेते है ©कवि- जीतू जान

#Sad_shayri  White मैं और मेरी तन्हाई जब एकांत में होते है 
तेरे साथ गुजारे हर लमहे का हिसाब करते है
मेरे फोन की गैलरी में आज भी तेरे नाम का फोल्डर है
हम तुम्हें सोने से पहले याद कर लेते है

©कवि- जीतू जान

#Sad_shayri

16 Love

भारत की लाडली बेटी हिंदी है संस्कृत भाषा से जन्मी बेटी हिंदी है दिनकर की दीवानगी हिंदी है मीरा के गीतों की सरगम हिंदी है शब्दों से जुड़-जुड़ कर भाषा बनती है भाषायें मनुष्य को मनुष्यता सिखलाती है भाषा निराला का जीवन दर्शन बन जाती है भाषा वसुधैव कुटुंबकम् का पाठ पढ़ती है गंगा की धारा सी शीतल है हिंदी हिंदुस्तानियों का समर्पण भाव है हिंदी बिस्मिल्लाह खान की शहनाई है हिंदी तानसेन का राग है हिंदी सियासतगीरो भाषाओं को धर्मों में मत बांटो हिंद के गुलिस्तां की खुशबू को मत बांटो अरबी, फारसी, हिंदी, उर्दू हिंदुस्तान में जन्मी बहने हैं इन्हें सरहदों में मत बांटो हिंदी हमारी मां है दो भाइयों में मत बांटो ©कवि- जीतू जान

#Hindidiwas  भारत की लाडली बेटी हिंदी है
संस्कृत भाषा से जन्मी बेटी हिंदी है 
दिनकर की दीवानगी हिंदी है 
मीरा के गीतों की सरगम हिंदी है

शब्दों से जुड़-जुड़ कर भाषा बनती है
भाषायें मनुष्य को मनुष्यता सिखलाती है
भाषा निराला का जीवन दर्शन बन जाती है
भाषा वसुधैव कुटुंबकम् का पाठ पढ़ती है 

गंगा की धारा सी शीतल है हिंदी
हिंदुस्तानियों का समर्पण भाव है हिंदी
बिस्मिल्लाह खान की शहनाई है हिंदी 
तानसेन का राग है हिंदी

सियासतगीरो भाषाओं को धर्मों में मत बांटो
हिंद के गुलिस्तां की खुशबू को मत बांटो
अरबी, फारसी, हिंदी, उर्दू  हिंदुस्तान में जन्मी बहने हैं 
इन्हें सरहदों में मत बांटो
हिंदी हमारी मां है दो भाइयों में मत बांटो

©कवि- जीतू जान

#Hindidiwas poetry in hindi

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