White मेरे दोस्त इश्क मे सब कुछ अच्छा लगता है
जेठ का महीना भी सावन लगता है
इश्क में समुंदर पर भी सेतु बांध देते हैं
ये इश्क है साहब भला किस देवदास को महल छोड़कर कोठे पर रहना अच्छा लगता है
तेरे कदमों पर सर रख देना तेरा यूं इतरा कर चला जाना
रातों में अकेले रोना ये सिर्फ इश्क में अच्छा लगता है
doctor engineer PCS बनने की ख्वाहिश रखने वाले
अचानक शायर बन जाते हैं ये सब इश्क अच्छा लगता है
मेरे दोस्तों ये सिर्फ मां का इश्क है
भला किसे पेशाब से भीगे बिस्तर में सोना अच्छा लगता है
भारत मां के आंचल की हिफाजत करने का इश्क है साहब
किसे 30-35 हजार के लिए सरहद पर सीने में गोली खाना अच्छा लगता है
इस महफिल का ये जान पिछले वर्ष से सोच रहा है
इश्क में बर्बाद होना भी कितना अच्छा लगता है
©कवि- जीतू जान
#good_night