White ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं,
हर गली में भंवरे बनकर, फूलों पर मंडराते हैं।
साहिबा को मानकर मूरत, ख़ुद को मिर्ज़ा बताते हैं,
हीर-रांझा की क़िस्सागोई में, अपने दिल बहलाते हैं।
इश्क़ की हक़ीक़त से, ये नादान अनजान हैं,
सिर्फ़ कलियों की ख़ुशबू तक, इनके अरमान हैं।
हमने सदियों इश्क़ के हरम में, वक़्त गुज़ारे हैं,
सब्र-ए-इश्क़ का मतलब, इनसे बेहतर समझे हैं।
ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ को खेल समझते हैं,
हर दर्द-ए-दिल को, बस अफ़साना कहते हैं।
इश्क़ की राहों में, सब्र का इम्तिहान होता है,
हर आशिक़ का दिल, सच्चे इश्क़ का मक़ाम होता है।
इनकी मोहब्बत में, गहराई की कमी है,
सिर्फ़ बाहरी चमक-धमक, दिलों में नर्मी है।
इश्क़ की असलियत, तजुर्बे से समझ आती है,
हर दिल में मोहब्बत की, अलग ही कहानी बसी है।
ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं,
पर इश्क़ की गहराई को, कहां ये समझ पाते हैं।
हमने इश्क़ में सब्र और वफ़ा के क़िस्से लिखे हैं,
इनकी मोहब्बत में, बस ख़्वाबों के सिलसिले हैं।
©theABHAYSINGH_BIPIN
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here