Shagun Sharma

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flower sms shayari quotes एक अरसा हो गया इस बात को, जब एक रात रानी का फूल, देना चाहती थी मैं तुम्हें, चांदनी में लपेट कर, प्रेम में गुलाब देते हैं सब, सुगंध बरकरार रखने को, रात रानी के फूल भी, प्रेम की सुगंध के, परिचायक हो सकते हैं। बहुत सारा प्रेम है, जो बस रातों में ही सुगंधित हुआ है, और सुबह होने पर, सूख कर बिखर गया है। हमारा प्रेम भी वैसा ही था, जिसमें रात को, तुम्हारे कमरे में, एक हाथ में बोतल पकड़ कर, दूसरा हाथ मेरे बालों में फिराते हुए, मेरी कविताएं सुन रहे थे तुम, मैंने कहा था उस वक्त तुमसे, सुबह तक यह प्रेम, और यह रात रानी, दोनों सूख जाएंगे, और फिर उस रात रानी से प्रेम की, अमावस कभी नहीं जाएगी, पूर्णिमा कभी नहीं आएगी, तुमने हंस के मेरी बात टाल दी थी, मैंने भी सोचा इसे रात रानी न कहूं, पारिजात कह दूं, शायद सुबह तक नहीं सूखे फिर, शायद अमावस पर भी खिल जाए, शायद इसको पूर्णिमा की जरूरत नहीं पड़े, आज फिर अपने कमरे में, एक बार फिर पारिजात हाथ में लेकर, उसे रात रानी होने से, बचाना चाह रही हूं मैं। प्रेम तो रात रानी बन चुका न, फिर तुम्हारी बातें मेरे अंदर कैसे रह गई हैं? मैं मन में कहीं मान चुकी हूं शायद, यह प्रेम कभी नहीं मिलेगा, मगर प्रेम में, उम्मीद भी तो नहीं छूट पाती न, रात रानी जिसके भी हाथ में होती है, उससे यह प्रेम की उम्मीद नहीं छोड़ी जाती। प्रेम को, किसी नाम या उम्र की नहीं, बस प्रेम की दरकार होती है, प्रेम में प्रेम से बीता हुआ समय, जितना भी हो, हरसिंगार ही होता है। ©Shagun Sharma

 flower sms shayari quotes एक अरसा हो गया इस बात को,
जब एक रात रानी का फूल,
देना चाहती थी मैं तुम्हें,
चांदनी में लपेट कर,
प्रेम में गुलाब देते हैं सब,
सुगंध बरकरार रखने को, 
रात रानी के फूल भी,
प्रेम की सुगंध के,
परिचायक हो सकते हैं।
बहुत सारा प्रेम है,
जो बस रातों में ही सुगंधित हुआ है,
और सुबह होने पर,
सूख कर बिखर गया है।
हमारा प्रेम भी वैसा ही था,
जिसमें रात को,
तुम्हारे कमरे में,
एक हाथ में बोतल पकड़ कर,
दूसरा हाथ मेरे बालों में फिराते हुए,
मेरी कविताएं सुन रहे थे तुम,
मैंने कहा था उस वक्त तुमसे,
सुबह तक यह प्रेम,
और यह रात रानी, 
दोनों सूख जाएंगे, 
और फिर उस रात रानी से प्रेम की,
अमावस कभी नहीं जाएगी,
पूर्णिमा कभी नहीं आएगी,
तुमने हंस के मेरी बात टाल दी थी,
मैंने भी सोचा इसे रात रानी न कहूं,
पारिजात कह दूं,
शायद सुबह तक नहीं सूखे फिर,
शायद अमावस पर भी खिल जाए,
शायद इसको पूर्णिमा की जरूरत नहीं पड़े,
आज फिर अपने कमरे में,
एक बार फिर पारिजात हाथ में लेकर,
उसे रात रानी होने से,
बचाना चाह रही हूं मैं।
प्रेम तो रात रानी बन चुका न,
फिर तुम्हारी बातें मेरे अंदर कैसे रह गई हैं?
मैं मन में कहीं मान चुकी हूं शायद,
यह प्रेम कभी नहीं मिलेगा,
मगर प्रेम में,
उम्मीद भी तो नहीं छूट पाती न,
रात रानी जिसके भी हाथ में होती है, 
उससे यह प्रेम की उम्मीद नहीं छोड़ी जाती।
प्रेम को,
किसी नाम या उम्र की नहीं,
बस प्रेम की दरकार होती है,
प्रेम में प्रेम से बीता हुआ समय,
जितना भी हो,
हरसिंगार ही होता है।

©Shagun Sharma

flower sms shayari quotes एक अरसा हो गया इस बात को, जब एक रात रानी का फूल, देना चाहती थी मैं तुम्हें, चांदनी में लपेट कर, प्रेम में गुलाब देते हैं सब, सुगंध बरकरार रखने को, रात रानी के फूल भी, प्रेम की सुगंध के, परिचायक हो सकते हैं। बहुत सारा प्रेम है, जो बस रातों में ही सुगंधित हुआ है, और सुबह होने पर, सूख कर बिखर गया है। हमारा प्रेम भी वैसा ही था, जिसमें रात को, तुम्हारे कमरे में, एक हाथ में बोतल पकड़ कर, दूसरा हाथ मेरे बालों में फिराते हुए, मेरी कविताएं सुन रहे थे तुम, मैंने कहा था उस वक्त तुमसे, सुबह तक यह प्रेम, और यह रात रानी, दोनों सूख जाएंगे, और फिर उस रात रानी से प्रेम की, अमावस कभी नहीं जाएगी, पूर्णिमा कभी नहीं आएगी, तुमने हंस के मेरी बात टाल दी थी, मैंने भी सोचा इसे रात रानी न कहूं, पारिजात कह दूं, शायद सुबह तक नहीं सूखे फिर, शायद अमावस पर भी खिल जाए, शायद इसको पूर्णिमा की जरूरत नहीं पड़े, आज फिर अपने कमरे में, एक बार फिर पारिजात हाथ में लेकर, उसे रात रानी होने से, बचाना चाह रही हूं मैं। प्रेम तो रात रानी बन चुका न, फिर तुम्हारी बातें मेरे अंदर कैसे रह गई हैं? मैं मन में कहीं मान चुकी हूं शायद, यह प्रेम कभी नहीं मिलेगा, मगर प्रेम में, उम्मीद भी तो नहीं छूट पाती न, रात रानी जिसके भी हाथ में होती है, उससे यह प्रेम की उम्मीद नहीं छोड़ी जाती। प्रेम को, किसी नाम या उम्र की नहीं, बस प्रेम की दरकार होती है, प्रेम में प्रेम से बीता हुआ समय, जितना भी हो, हरसिंगार ही होता है। ©Shagun Sharma

15 Love

दिमाग खराब हो चुका है। कुछ सोचने समझने की इच्छा नहीं है। खुद से कोफ्त होने लगी है। लोग व्यस्त होते जा रहे हैं और मैं और खाली होती जा रही हूं। पढ़ने की इच्छा प्रबल नहीं होती दिख रही। लिखने की इच्छा मृत समान है। सिनेमा देखने की लत तो कभी थी ही नहीं। कैमरे से भी डर लगने लगा है। शक्ल जंगलियों सी होती जा रही है। अक्ल घास चरने जा चुकी है। हर कुछ दिन में सबसे दूरी बना लेती हूं। फिर कुछ दिन में वापस आ जाती हूं। किसी का भी कुछ कहना अच्छा नहीं लगता। सुन कर हर बात अनसुनी कर देती हूं। लोग कहते हैं अजीब हो चुकी हूं। हां मैं कहती हूं कि मैं अजीब हो चुकी हूं। इतनी बकवास कोई ऐसे ही करने की हिम्मत नहीं करता। कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं। ये सब तुम्हारे साथ भी हो रहा होगा। मैं अकेली नहीं। तुम सब भी मेरे जैसे ही हो। हम सब खाली हो चुके हैं। कुछ भरा है तो बस ऐसी बकवास जिसे करने से हम कतराते हैं। वो बकवास जो असल में अहसास है जिससे हम भाग रहे हैं और फिर भी हर रात उससे मिलना पड़ता है। यह जिंदगी से मेरी पहली मुलाकात है। आंसू और खून तो निकलते चले आए हैं, आगे अगर इससे मिलना हुआ तो और बहुत कुछ निकलेगा। फिलहाल मुझे एक बार फिर यह दुःख हुआ है कि मैंने एक निरर्थक प्रयास किया लिखने का। मेरी अभिव्यक्ति मर चुकी है। मैं मूक हो जाती हूं और तुम बधिर हो जाओ। अंधे तो हम हैं ही कि सब एक ही हाल में हो कर भी कहते हैं "बस भाई सब बढ़िया है।" ©Shagun Sharma

#bekhudi  दिमाग खराब हो चुका है। कुछ सोचने समझने की इच्छा नहीं है। खुद से कोफ्त होने लगी है। लोग व्यस्त होते जा रहे हैं और मैं और खाली होती जा रही हूं। पढ़ने की इच्छा प्रबल नहीं होती दिख रही। लिखने की इच्छा मृत समान है। सिनेमा देखने की लत तो कभी थी ही नहीं। कैमरे से भी डर लगने लगा है। शक्ल जंगलियों सी होती जा रही है। अक्ल घास चरने जा चुकी है।

हर कुछ दिन में सबसे दूरी बना लेती हूं। फिर कुछ दिन में वापस आ जाती हूं। किसी का भी कुछ कहना अच्छा नहीं लगता। सुन कर हर बात अनसुनी कर देती हूं। लोग कहते हैं अजीब हो चुकी हूं। हां मैं कहती हूं कि मैं अजीब हो चुकी हूं। इतनी बकवास कोई ऐसे ही करने की हिम्मत नहीं करता। कोशिशें नाकाम होती जा रही हैं।

ये सब तुम्हारे साथ भी हो रहा होगा। मैं अकेली नहीं। तुम सब भी मेरे जैसे ही हो। हम सब खाली हो चुके हैं। कुछ भरा है तो बस ऐसी बकवास जिसे करने से हम कतराते हैं। वो बकवास जो असल में अहसास है जिससे हम भाग रहे हैं और फिर भी हर रात उससे मिलना पड़ता है। यह जिंदगी से मेरी पहली मुलाकात है। आंसू और खून तो निकलते चले आए हैं, आगे अगर इससे मिलना हुआ तो और बहुत कुछ निकलेगा।

फिलहाल मुझे एक बार फिर यह दुःख हुआ है कि मैंने एक निरर्थक प्रयास किया लिखने का। मेरी अभिव्यक्ति मर चुकी है। मैं मूक हो जाती हूं और तुम बधिर हो जाओ। अंधे तो हम हैं ही कि सब एक ही हाल में हो कर भी कहते हैं "बस भाई सब बढ़िया है।"

©Shagun Sharma

#bekhudi

14 Love

यह कैसी जमघट है, यह इतनी भीड़ क्यों है, उसकी एक झलक की खातिर, इतना हंगामा तो नहीं होना चाहिए। ऐसी भी क्या अकीदत, ऐसी भी क्या इबादत, खुदा वो ही है अगर, उसका ज़माना तो नहीं होना चाहिए। उसकी नज़र उठे तो सुबह, झुके तो शाम हो जाए, यूं एक अदा में लम्हों का, ऐसे आना जाना तो नहीं होना चाहिए। अंधेरी रातें हैं उससे रोशन, उम्मीद उसी से है, शमा वो ही है अगर, सबको परवाना तो नहीं होना चाहिए। वो है मोहब्बत, बंदगी भी वही है, हर एक दिल में मगर, उसका ठिकाना तो नहीं होना चाहिए। वो जिसे चाहे, नज़र भर कर चाहे देखे जिसको, ऐसे इस ज़माने भर को, उसका दीवाना तो नहीं होना चाहिए। ©Shagun Sharma

#lonelynight  यह कैसी जमघट है,
यह इतनी भीड़ क्यों है,
उसकी एक झलक की खातिर, 
इतना हंगामा तो नहीं होना चाहिए।

ऐसी भी क्या अकीदत,
ऐसी भी क्या इबादत,
खुदा वो ही है अगर,
उसका ज़माना तो नहीं होना चाहिए।

उसकी नज़र उठे तो सुबह,
झुके तो शाम हो जाए,
यूं एक अदा में लम्हों का,
ऐसे आना जाना तो नहीं होना चाहिए।

अंधेरी रातें हैं उससे रोशन,
उम्मीद उसी से है,
शमा वो ही है अगर,
सबको परवाना तो नहीं होना चाहिए।

वो है मोहब्बत,
बंदगी भी वही है,
हर एक दिल में मगर,
उसका ठिकाना तो नहीं होना चाहिए।

वो जिसे चाहे,
नज़र भर कर चाहे देखे जिसको,
ऐसे इस ज़माने भर को,
उसका दीवाना तो नहीं होना चाहिए।

©Shagun Sharma

#lonelynight

12 Love

It was another night. Terrific but dark and hopeless. He was already 5 pegs down and making the 6th one when I stared at him. He knew why I was staring him. It's been 3 months since I first asked him to meet. I have been continuously playing the same message in my ears every day that he wants to meet me too. Finally we met. And all this happened. He was so drunk, he didn't know when he fell asleep. But how could I sleep. I just kept looking at him. He looked like a cute innocent child in his sleep. Somewhere I knew it would never be worth seeing him like this again. I wanted to hold him in my eyes. I need to understand that he's not an alcoholic. He drink because he enjoy it. And it has now become a habit. He drink almost every day but he is not an alcoholic. 2 hours later, he put his hand on my hand. I was so scared that I closed my eyes tight. I didn't dare to open my eyes anymore. I knew it was him. I didn't bother him to take his hand. I kept on pressing my eyes and my heart kept on beating fast. I didn't know when I fell asleep then. All l remember is when I woke up I found him close to me. And the story ends here but the love is not over. Finally, he has decided to ignore me. It was more of an ego tussle now. I used to text him, please don't go away from me, don't leave me, talk to me. I salute my guts to text him, to love him, expecting him to love me. He didn't bother to respond. Yeah I know he has other better and beautiful priorities and I respect that too. I don't want to comment on those better and beautiful priorities. I just want to write him, to write us. I stood there for almost a month and left after that. He kept on drinking, enjoying and all. A few more such days and nights I finally gave up on him. I used to think that he needed to detox himself and his life. But he is all fine. He removed from his life by forcing me to leave him because he has other better and beautiful priorities. I gave up on him. But still I love him. I don't know why. All I do is pray every day for his success, happiness, prosperity and joy. All the boys who claim to love me like moon and back and all, need to know this. Tonight, while writing all this, I'm full of tears in my eyes and he must have half bottle down or must be busy with his better and beautiful priorities. I wish we could meet again sometime. One thing I need to repeat - he drink almost every day but he is not an alcoholic. ©Shagun Sharma

#WritersSpecial  It was another night. Terrific but dark and hopeless. He was already 5 pegs down and making the 6th one when I stared at him. He knew why I was staring him.

It's been 3 months since I first asked him to meet. I have been continuously playing the same message in my ears every day that he wants to meet me too.

Finally we met. And all this happened. He was so drunk, he didn't know when he fell asleep. But how could I sleep. I just kept looking at him. He looked like a cute innocent child in his sleep. Somewhere I knew it would never be worth seeing him like this again. I wanted to hold him in my eyes.

I need to understand that he's not an alcoholic. He drink because he enjoy it. And it has now become a habit. He drink almost every day but he is not an alcoholic.

2 hours later, he put his hand on my hand. I was so scared that I closed my eyes tight. I didn't dare to open my eyes anymore. I knew it was him. I didn't bother him to take his hand. I kept on pressing my eyes and my heart kept on beating fast. I didn't know when I fell asleep then. All l remember is when I woke up I found him close to me.

And the story ends here but the love is not over.

Finally, he has decided to ignore me. It was more of an ego tussle now.

I used to text him, please don't go away from me, don't leave me, talk to me. 

I salute my guts to text him, to love him, expecting him to love me. He didn't bother to respond. Yeah I know he has other better and beautiful priorities and I respect that too. I don't want to comment on those better and beautiful priorities. I just want to write him, to write us.

I stood there for almost a month and left after that. He kept on drinking, enjoying and all. A few more such days and nights I finally gave up on him.

I used to think that he needed to detox himself and his life. But he is all fine. He removed from his life by forcing me to leave him because he has other better and beautiful priorities. 

I gave up on him. But still I love him. I don't know why. All I do is pray every day for his success, happiness, prosperity and joy. 

All the boys who claim to love me like moon and back and all, need to know this. 

Tonight, while writing all this, I'm full of tears in my eyes and he must have half bottle down or must be busy with his better and beautiful priorities.

I wish we could meet again sometime.

One thing I need to repeat - he drink almost every day but he is not an alcoholic.

©Shagun Sharma

पहाड़ी पगडंडियां, अल्हड़ प्रभात प्रस्फुटित होती पत्तियां चाय की हिम शिखर धौलाधार। चीड़ तरु से शोभित देवदार आभा से मंडित दिल का करार सौरभ वन बिहार न्यूगल कैफे और मां विंध्यवासिनी का प्यार। खिलती कपोलता, उमड़ते विचार अनुदित वात्सल्यता का होता संचार। विद्या मंदिर में उपज रहे बीज ज्ञान गंगा से सींच सींच कृषि विश्विद्यालय, साई विश्वविद्यालय डिग्री कॉलेज, होल्टा पशु चिकित्सालय सेंट पॉल सह शिक्षा विद्यालय और अन्य सभी गर्वित शिक्षालय। अनुसंधान में बढ़ाता शान हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान। निर्मल सजल लोग यहां हृदय पुष्प में स्नेह लिए पाप कपट से विरक्त हुए भक्ति भाव आसक्त हुए। श्यामलता, कोमलता और सजलता मधुमय वाणी जन की, जैसे हिम की शीतलता। शहर भी है और है एक ऐसा गांव रेगिस्तान में जैसे ठूंठ वृक्ष की छांव। न कोई पराया न कोई अजनबी प्रेम परस्पर एक दूजे का देते सहयोग सभी। कितना प्रस्फुटन कितना आलंबन कितना है प्रीतिकर अनुराग चिंतन में भी चेतन शील जल रहा नन्हा सा चिराग।। भारत माता की सेवा में समर्पित वीरता शौर्य जन जन गौरवान्वित। शेरशाह कैप्टन विक्रम बत्रा सौरभ कालिया, मेजर सोमनाथ शर्मा। सदा रहे पथ पर आरूढ़ आत्मविश्वास और निडरता भरपूर। प्रेम प्रतीक पग पग सुंदर बहते झरने लगे समुंदर है देवस्थली यह पर्यटन भूमि इसकी गरिमा का न कोई पार होली लोहड़ी सैर यहां के त्यौहार मन मेरा करता पालमपुर जन्म लूं बार बार।। ©Shagun Sharma

#Hill  पहाड़ी पगडंडियां, अल्हड़ प्रभात
प्रस्फुटित होती पत्तियां चाय की
हिम शिखर धौलाधार।
चीड़ तरु से शोभित 
देवदार आभा से मंडित
दिल का करार सौरभ वन बिहार
न्यूगल कैफे और मां विंध्यवासिनी का प्यार।
खिलती कपोलता, उमड़ते विचार
अनुदित वात्सल्यता का होता संचार।
विद्या मंदिर में उपज रहे बीज 
ज्ञान गंगा से सींच सींच
कृषि विश्विद्यालय, साई विश्वविद्यालय
डिग्री कॉलेज, होल्टा पशु चिकित्सालय
सेंट पॉल सह शिक्षा विद्यालय 
और अन्य सभी गर्वित शिक्षालय।
अनुसंधान में बढ़ाता शान
हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान।
निर्मल सजल लोग यहां
हृदय पुष्प में स्नेह लिए
पाप कपट से विरक्त हुए
भक्ति भाव आसक्त हुए।
श्यामलता, कोमलता और सजलता
मधुमय वाणी जन की, जैसे हिम की शीतलता।
शहर भी है और है एक ऐसा गांव
रेगिस्तान में जैसे ठूंठ वृक्ष की छांव।
न कोई पराया न कोई अजनबी 
प्रेम परस्पर एक दूजे का देते सहयोग सभी।
कितना प्रस्फुटन कितना आलंबन
कितना है प्रीतिकर अनुराग
चिंतन में भी चेतन शील
जल रहा नन्हा सा चिराग।।
भारत माता की सेवा में समर्पित 
वीरता शौर्य जन जन गौरवान्वित।
शेरशाह कैप्टन विक्रम बत्रा
सौरभ कालिया, मेजर सोमनाथ शर्मा।
सदा रहे पथ पर आरूढ़ 
आत्मविश्वास और निडरता भरपूर।
प्रेम प्रतीक पग पग सुंदर
बहते झरने लगे समुंदर
है देवस्थली यह पर्यटन भूमि
इसकी गरिमा का न कोई पार 
होली लोहड़ी सैर यहां के त्यौहार
मन मेरा करता पालमपुर जन्म लूं बार बार।।

©Shagun Sharma

#Hill

15 Love

मैं कई बार सोचती हूं कि हर वो चीज जो मेरे बहुत अंदर तड़प रही है, उसको किसी बैरंग लिफाफे में डाले हुए एक बेनाम ख़त में लिख कर भेज दूं। सोचती हूं, कहीं तो पहुंचेगी, कोई तो पढ़ेगा वो सब जो मुझे जानने वालों का नहीं जानना ज़रूरी था। जो पढ़ेगा एक बार को सोचेगा तो ज़रूर उन तमाम बातों पर कि आख़िर इस शख्स ने कैसे गम पाल रखे थे। ऐसी तकलीफें किसको होती हैं भला। शायद पढ़कर मेरे बारे में कुछ राय भी बनाएगा। हो सकता है कि उसको मुझ पर तरस आ जाए या मेरी मासूमियत पर खिलखिला कर हंस पड़े। यह भी संभव है कि पूरा पढ़े बिना ही खीझ में खत फाड़ दे। और यह भी संभव है कि उसके गम भी मेरे जैसे ही हों और उसे वो खत पढ़कर मुझसे अपनापन लगने लगे। हो सकता है कि वो उस खत का जबाब लिख कर भेज दे मुझे। हो सकता है कि लिखने से उसकी भी तकलीफ़ कम हो जाए। हो सकता है मुझसे पहले वही खत भेज दे। हो सकता है कि मुझसे पहले वही मुझे तलाश ले। मैं, जो अपनी तकलीफों की इंतहा तलाश रही हूं, शायद किसी की तकलीफें मुझे तलाश रही हों। शायद किसी रोज़ मैं कोई बेनाम ख़त पा लूं और उसे पढ़ कर किसी के बारे में कुछ राय बना लूं। शायद लिखने वाले पर तरस खाऊं या उसकी मासूमियत पर खिलखिला कर हंस पड़ूं। शायद यह सोच कर किसी ने मुझसे बेहूदा मज़ाक किया है, मैं फाड़ दूं उसे। इंतजार है मुझे बेनाम ख़त का जो मेरे लिए न लिखे गए हों, मगर वो मुझे तलाश लें। सुनो, तुम भी एक बेनाम ख़त ही हो। आओ अब तलाश भी लो मुझे।। ©Shagun Sharma

 मैं कई बार सोचती हूं कि हर वो चीज जो मेरे बहुत अंदर तड़प रही है, उसको किसी बैरंग लिफाफे में डाले हुए एक बेनाम ख़त में लिख कर भेज दूं। सोचती हूं, कहीं तो पहुंचेगी, कोई तो पढ़ेगा वो सब जो मुझे जानने वालों का नहीं जानना ज़रूरी था।

जो पढ़ेगा एक बार को सोचेगा तो ज़रूर उन तमाम बातों पर कि आख़िर इस शख्स ने कैसे गम पाल रखे थे। ऐसी तकलीफें किसको होती हैं भला। शायद पढ़कर मेरे बारे में कुछ राय भी बनाएगा। हो सकता है कि उसको मुझ पर तरस आ जाए या मेरी मासूमियत पर खिलखिला कर हंस पड़े। यह भी संभव है कि पूरा पढ़े बिना ही खीझ में खत फाड़ दे। और यह भी संभव है कि उसके गम भी मेरे जैसे ही हों और उसे वो खत पढ़कर मुझसे अपनापन लगने लगे।

हो सकता है कि वो उस खत का जबाब लिख कर भेज दे मुझे। हो सकता है कि लिखने से उसकी भी तकलीफ़ कम हो जाए। हो सकता है मुझसे पहले वही खत भेज दे। हो सकता है कि मुझसे पहले वही मुझे तलाश ले। मैं, जो अपनी तकलीफों की इंतहा तलाश रही हूं, शायद किसी की तकलीफें मुझे तलाश रही हों।

शायद किसी रोज़ मैं कोई बेनाम ख़त पा लूं और उसे पढ़ कर किसी के बारे में कुछ राय बना लूं। शायद लिखने वाले पर तरस खाऊं या उसकी मासूमियत पर खिलखिला कर हंस पड़ूं। शायद यह सोच कर किसी ने मुझसे बेहूदा मज़ाक किया है, मैं फाड़ दूं उसे।

इंतजार है मुझे बेनाम ख़त का जो मेरे लिए न लिखे गए हों, मगर वो मुझे तलाश लें।

सुनो, तुम भी एक बेनाम ख़त ही हो। आओ अब तलाश भी लो मुझे।।

©Shagun Sharma

मैं कई बार सोचती हूं कि हर वो चीज जो मेरे बहुत अंदर तड़प रही है, उसको किसी बैरंग लिफाफे में डाले हुए एक बेनाम ख़त में लिख कर भेज दूं। सोचती हूं, कहीं तो पहुंचेगी, कोई तो पढ़ेगा वो सब जो मुझे जानने वालों का नहीं जानना ज़रूरी था। जो पढ़ेगा एक बार को सोचेगा तो ज़रूर उन तमाम बातों पर कि आख़िर इस शख्स ने कैसे गम पाल रखे थे। ऐसी तकलीफें किसको होती हैं भला। शायद पढ़कर मेरे बारे में कुछ राय भी बनाएगा। हो सकता है कि उसको मुझ पर तरस आ जाए या मेरी मासूमियत पर खिलखिला कर हंस पड़े। यह भी संभव है कि पूरा पढ़े बिना ही खीझ में खत फाड़ दे। और यह भी संभव है कि उसके गम भी मेरे जैसे ही हों और उसे वो खत पढ़कर मुझसे अपनापन लगने लगे। हो सकता है कि वो उस खत का जबाब लिख कर भेज दे मुझे। हो सकता है कि लिखने से उसकी भी तकलीफ़ कम हो जाए। हो सकता है मुझसे पहले वही खत भेज दे। हो सकता है कि मुझसे पहले वही मुझे तलाश ले। मैं, जो अपनी तकलीफों की इंतहा तलाश रही हूं, शायद किसी की तकलीफें मुझे तलाश रही हों। शायद किसी रोज़ मैं कोई बेनाम ख़त पा लूं और उसे पढ़ कर किसी के बारे में कुछ राय बना लूं। शायद लिखने वाले पर तरस खाऊं या उसकी मासूमियत पर खिलखिला कर हंस पड़ूं। शायद यह सोच कर किसी ने मुझसे बेहूदा मज़ाक किया है, मैं फाड़ दूं उसे। इंतजार है मुझे बेनाम ख़त का जो मेरे लिए न लिखे गए हों, मगर वो मुझे तलाश लें। सुनो, तुम भी एक बेनाम ख़त ही हो। आओ अब तलाश भी लो मुझे।। ©Shagun Sharma

15 Love

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