flower sms shayari quotes एक अरसा हो गया इस बात को,
जब एक रात रानी का फूल,
देना चाहती थी मैं तुम्हें,
चांदनी में लपेट कर,
प्रेम में गुलाब देते हैं सब,
सुगंध बरकरार रखने को,
रात रानी के फूल भी,
प्रेम की सुगंध के,
परिचायक हो सकते हैं।
बहुत सारा प्रेम है,
जो बस रातों में ही सुगंधित हुआ है,
और सुबह होने पर,
सूख कर बिखर गया है।
हमारा प्रेम भी वैसा ही था,
जिसमें रात को,
तुम्हारे कमरे में,
एक हाथ में बोतल पकड़ कर,
दूसरा हाथ मेरे बालों में फिराते हुए,
मेरी कविताएं सुन रहे थे तुम,
मैंने कहा था उस वक्त तुमसे,
सुबह तक यह प्रेम,
और यह रात रानी,
दोनों सूख जाएंगे,
और फिर उस रात रानी से प्रेम की,
अमावस कभी नहीं जाएगी,
पूर्णिमा कभी नहीं आएगी,
तुमने हंस के मेरी बात टाल दी थी,
मैंने भी सोचा इसे रात रानी न कहूं,
पारिजात कह दूं,
शायद सुबह तक नहीं सूखे फिर,
शायद अमावस पर भी खिल जाए,
शायद इसको पूर्णिमा की जरूरत नहीं पड़े,
आज फिर अपने कमरे में,
एक बार फिर पारिजात हाथ में लेकर,
उसे रात रानी होने से,
बचाना चाह रही हूं मैं।
प्रेम तो रात रानी बन चुका न,
फिर तुम्हारी बातें मेरे अंदर कैसे रह गई हैं?
मैं मन में कहीं मान चुकी हूं शायद,
यह प्रेम कभी नहीं मिलेगा,
मगर प्रेम में,
उम्मीद भी तो नहीं छूट पाती न,
रात रानी जिसके भी हाथ में होती है,
उससे यह प्रेम की उम्मीद नहीं छोड़ी जाती।
प्रेम को,
किसी नाम या उम्र की नहीं,
बस प्रेम की दरकार होती है,
प्रेम में प्रेम से बीता हुआ समय,
जितना भी हो,
हरसिंगार ही होता है।
©Shagun Sharma
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