संगीत कुमार

संगीत कुमार Lives in Jabalpur, Madhya Pradesh, India

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(प्राणप्रिया) चंचल मन तू चंचला प्रिया। पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।। दिव्यस्वरुपनी तू दिव्या प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। रमा-रूपी तू कांता प्रिया। हरिप्रिया तू प्राण प्रिया।। श्रृंगार -रूपी तू दारा प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया। अपूर्व (तनय) की तू जननी प्रिया। घर की तु पद्मा प्रिया।। उपवन की तू कुसुम प्रिया चंचल मन तू चंचला प्रिया।। आलय की तू वामा प्रिया । सुख-दुख की तू छवि प्रिया।। आँगन की तू आह्लाद प्रिया । चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। आकांक्षा की तू मयूख प्रिया। समृद्धि की तू लक्ष्मी प्रिया।। घरनी तू घरवाली प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया।। बाग की तू गुल प्रिया। आँगन की तू शोभा प्रिया।। परिवार की तू ऐश्वर्य प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया।। ©संगीत कुमार

#BirthDay #लव  (प्राणप्रिया)
चंचल मन तू चंचला प्रिया।
पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।।
दिव्यस्वरुपनी  तू दिव्या प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

रमा-रूपी तू कांता प्रिया।
हरिप्रिया  तू प्राण प्रिया।।
श्रृंगार -रूपी तू दारा प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।

अपूर्व (तनय) की तू जननी प्रिया।
घर की तु पद्मा प्रिया।।
उपवन की तू कुसुम  प्रिया
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

आलय की तू वामा प्रिया ।
सुख-दुख की तू छवि प्रिया।।
आँगन की तू आह्लाद प्रिया ।
चंचल मन तू चंचला प्रिया ।।

आकांक्षा की तू मयूख प्रिया।
समृद्धि की तू लक्ष्मी प्रिया।।
घरनी तू घरवाली प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

बाग की तू गुल प्रिया।
आँगन की तू शोभा प्रिया।।
परिवार की तू ऐश्वर्य प्रिया।
चंचल मन तू चंचला प्रिया।।

©संगीत कुमार

#BirthDay (प्राणप्रिया) चंचल मन तू चंचला प्रिया। पुष्प-रूपी तू पुष्प लता।। दिव्यस्वरुपनी तू दिव्या प्रिया। चंचल मन तू चंचला प्रिया ।। रमा-रूपी तू कांता प्रिया। हरिप्रिया तू प्राण प्रिया।।

12 Love

(गणेश वंदना) हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। शंकर नन्दन पार्वती दुलारे तुझे मिला प्रथम पूज्य वरदान।। कष्टहरण दुखहरण हे प्रभु भगवान। हर कार्य आरम्भ करू तेरा नाम सुमिरन करू।। हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। मोदक लड्डू तुझे अर्पण करू। लाल वस्त्र भेट करू दुवी दल चढा वंदन करू।। जल तत्व के अधिपति शंकर नन्द भगवान। शुभ -लाभ दो रत्न तुम्हारे करते तुझे प्रणाम।। हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। समुख, एकदंत, विघ्नहरण शंकर पुत्र गणेश। हर संस्कार आरम्भ करू प्रथम नाम ले तेरा प्रभु ।। हर कार्य श्रीगणेश करू ले गणेश का नाम। तेरे प्रतिमा के दर्शन बिन, न शुरू करू कोई काम ।। हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। शीश झुकाये जो जन तेरे चरणों मे आये। दुःख दारिद्रय सब कष्ट मिटे विनती सुनो भगवान।। बुद्धि विधाता सिद्धि के दाता करते तुझे प्रणाम। एक अनुनय मेरी सुनो कर दो भव का कल्याण।। हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। ©संगीत कुमार

#कविता #ganesha  (गणेश वंदना) 
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। 
शंकर नन्दन पार्वती दुलारे  तुझे मिला प्रथम पूज्य वरदान।। 
कष्टहरण दुखहरण हे प्रभु भगवान। 
हर कार्य आरम्भ करू तेरा नाम सुमिरन करू।। 
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। 
मोदक लड्डू तुझे अर्पण करू। 
लाल वस्त्र भेट करू दुवी दल चढा वंदन करू।। 
जल तत्व के अधिपति शंकर नन्द भगवान। 
शुभ -लाभ दो रत्न तुम्हारे करते तुझे प्रणाम।। 
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। 
समुख, एकदंत, विघ्नहरण शंकर पुत्र गणेश। 
हर संस्कार आरम्भ करू प्रथम नाम ले तेरा प्रभु ।। 
हर कार्य श्रीगणेश करू ले गणेश का नाम। 
तेरे प्रतिमा के दर्शन बिन, न शुरू करू कोई काम ।। 
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन। 
शीश झुकाये जो जन तेरे चरणों मे आये। 
दुःख दारिद्रय सब कष्ट मिटे विनती सुनो भगवान।। 
बुद्धि विधाता सिद्धि के दाता करते तुझे प्रणाम।
एक अनुनय मेरी सुनो कर दो भव का कल्याण।।
हे गणपति गजवदन करते हम शत् शत् नमन।

©संगीत कुमार

#ganesha

8 Love

(नटखट मोहन) नटखट मोहन वासुदेव नन्दन देवकी पुत्र यशोदा सूत राधा प्रिय संत शिरोमणि कृष्ण मोहन सुदर्शनधारी राधा, रुक्मिणी जीवन साथी अद्भुत गुण सम्पन्न मथुरावासी उज्जयिनी में शिक्षा लिए योद्धा, सारथी, देवता बन भक्तों के मानस पर अंकित गीता का उपदेश दिये प्रेम और मित्र का प्रतीक बन सम्पूर्ण ब्रह्मांड में जाने गये द्वारिकाधीश प्रेममोहन प्रेम का प्रतीक बन छा गये सबके मन को भा गये ©संगीत कुमार

#विचार #Krishna  (नटखट मोहन)
नटखट मोहन 
वासुदेव नन्दन 
देवकी पुत्र
यशोदा सूत 
राधा प्रिय 
संत शिरोमणि 
कृष्ण मोहन
सुदर्शनधारी
राधा, रुक्मिणी जीवन साथी
अद्भुत गुण सम्पन्न 
मथुरावासी 
उज्जयिनी में शिक्षा लिए
योद्धा, सारथी, देवता बन
भक्तों के मानस पर अंकित 
गीता का उपदेश दिये
प्रेम और मित्र का प्रतीक बन
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में जाने गये
द्वारिकाधीश प्रेममोहन 
प्रेम का प्रतीक बन छा गये 
सबके मन को भा गये

©संगीत कुमार

#Krishna

11 Love

बेटी होना क्या पाप है क्यों लोग हवसी बन बैठे हैं क्या गुनाह था जो उसका जान लिया दुष्कर्म कर दानव उसको मार दिया शासन प्रशासन सब सो रहा पीड़िता के माँ बाप का न दर्द सुन रहा क्यों बार बार ये घटना हो रहा मानवता को शर्मसार कर रहा बेटी अगर न हो तो बेटा कहाँ से आयेगा फिर भी क्यों ना समझा करते हो बेटा बेटी एक समान, सब मिल करें सम्मान गंदी मानसिकता त्याज दें,अच्छाई का करे सम्मान आवाज कोई न सुन रहा दुष्कर्मी को न दण्ड मिल रहा राम राज कहाँ से आयेगा देश तो कलंकित हो गया बेटी होना क्या पाप है क्यों लोग हवसी बन बैठे हैं ©संगीत कुमार

#कविता  बेटी होना क्या पाप है 
क्यों लोग हवसी बन बैठे हैं 
क्या गुनाह  था जो उसका जान लिया 
दुष्कर्म कर दानव उसको मार दिया 
शासन प्रशासन सब सो रहा 
पीड़िता के माँ बाप का न दर्द सुन रहा
क्यों बार बार ये घटना हो रहा
मानवता को शर्मसार कर रहा 
बेटी अगर न हो तो बेटा कहाँ से आयेगा 
फिर भी क्यों ना समझा करते हो
बेटा बेटी एक समान, सब मिल करें सम्मान 
गंदी मानसिकता त्याज दें,अच्छाई का करे सम्मान
आवाज कोई न सुन रहा 
दुष्कर्मी को न दण्ड मिल रहा 
राम राज कहाँ से आयेगा 
देश तो कलंकित हो गया 
बेटी होना क्या पाप है 
क्यों लोग हवसी बन बैठे हैं

©संगीत कुमार

बेटी होना क्या पाप है क्यों लोग हवसी बन बैठे हैं क्या गुनाह था जो उसका जान लिया दुष्कर्म कर दानव उसको मार दिया शासन प्रशासन सब सो रहा पीड़िता के माँ बाप का न दर्द सुन रहा क्यों बार बार ये घटना हो रहा मानवता को शर्मसार कर रहा बेटी अगर न हो तो बेटा कहाँ से आयेगा फिर भी क्यों ना समझा करते हो बेटा बेटी एक समान, सब मिल करें सम्मान गंदी मानसिकता त्याज दें,अच्छाई का करे सम्मान आवाज कोई न सुन रहा दुष्कर्मी को न दण्ड मिल रहा राम राज कहाँ से आयेगा देश तो कलंकित हो गया बेटी होना क्या पाप है क्यों लोग हवसी बन बैठे हैं ©संगीत कुमार

10 Love

(मनुज कवि बन जाता है) जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके अधरों पे मुसकान रूक जाये आँखों से अश्क बन बह जाये और जब कलपित उर रो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है व्यथा जब अपना न किसी से कह सके लज्जा से मन भर जाये काली रातों की अंधियारी में जब सारा भुवन सो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके पीड़ित हो अपनो से जब हाथों में कलम उठा लेते हैं शब्दों के सरिता में रम जाते हैं तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब सामने अंधेरा छा जाये अकेला बेसहारा मन होने लगे तब नैनो के नीर स्याही से निज व्यथा को लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है संघर्ष भरा जब जीवन हो लोगों के बीच समर्पण हो तब साहित्य में खो जाता है अपनी भावना उकेर डालता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब भुलेबिसरे याद आये उर में दर्द की कसक उठे वेदना से मन काँप जाये तब हाथो में कलम उठाता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब अपने प्रिय से न मिल सके यादों की व्यथा में खो जाये साहित्य की सरिता में बह जाये एक लेखनी लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके मन गगन की उड़ान तो भरता है अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है मन की भावना खूबसूरती से निखारता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है ©संगीत कुमार

#कविता #pen  (मनुज कवि बन जाता है) 
जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके
अधरों पे मुसकान रूक जाये 
आँखों से अश्क बन बह जाये
और जब कलपित उर रो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

व्यथा जब अपना न किसी से कह सके
लज्जा से मन भर जाये 
काली रातों की अंधियारी में 
जब सारा भुवन सो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके
पीड़ित हो अपनो से जब
हाथों में कलम उठा लेते हैं 
शब्दों के सरिता में रम जाते हैं 
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

जब सामने अंधेरा छा जाये
अकेला बेसहारा मन होने लगे
तब नैनो के नीर स्याही से 
निज व्यथा को लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

संघर्ष भरा जब जीवन हो
लोगों के बीच समर्पण हो
तब साहित्य में खो जाता है
अपनी भावना उकेर डालता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब भुलेबिसरे याद आये
उर में दर्द की कसक उठे
वेदना से मन काँप जाये
तब हाथो में कलम उठाता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब अपने प्रिय से न मिल सके 
यादों की व्यथा में खो जाये
साहित्य की सरिता में बह जाये
एक लेखनी लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके
मन गगन की उड़ान तो भरता है
अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है 
मन की भावना खूबसूरती से निखारता है
		तो समझो मनुज कवि बन जाता है

©संगीत कुमार

#pen

12 Love

मातृभूमि है भारत अपना दुनिया में है सबसे न्यारा ऋषि संतो की धरती भारत मंदिर घाटो की स्थली भारत ज्ञान विज्ञान की पहचान भारत सभ्यता की जननी है भारत वीर सपूतो की धरती भारत धरती का स्वर्ग है भारत विविधता में एकता की स्थली भारत योग आयुर्वेद की भूमि भारत दूनिया को पाठ पढाती भारत विश्व पटल का सौन्दर्य भारत पर्वत पठारो से भरा परा नदि नहर से हरा भरा खेत खलिहान से सजाधजा सुगंध से संसार को महका रहा मानचित्र पर खूब दिख रहा मातृभूमि है भारत अपना दूनियां में है सबसे न्यारा ©संगीत कुमार

#कविता #IndiaLoveNojoto  मातृभूमि है भारत अपना
दुनिया में है सबसे न्यारा
ऋषि संतो की धरती भारत
मंदिर घाटो की स्थली भारत
ज्ञान विज्ञान की पहचान भारत
सभ्यता की जननी है भारत
वीर सपूतो की धरती भारत
धरती का स्वर्ग है भारत
विविधता में एकता की स्थली भारत
योग आयुर्वेद की भूमि भारत
दूनिया को पाठ पढाती भारत 
विश्व पटल का सौन्दर्य भारत
पर्वत पठारो से भरा परा
नदि नहर से हरा भरा
खेत खलिहान से सजाधजा
सुगंध से संसार को महका रहा
मानचित्र पर खूब दिख रहा
मातृभूमि है भारत अपना
दूनियां में है सबसे न्यारा

©संगीत कुमार
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