India Love Nojoto
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राहत ने जिस दुर्भावना के साथ ये "सभी का खून है शामिल है" लिखा था उसका और खूबसूरत जवाब "बेचैन मधुपुरी" जी ने दिया है। "बेचैन मधुपुरी"ने बहुत ही बेहतरीन जवाब दिया है, आप भी उनके कायल हो जाएँगे। “ख़फ़ा होते हैं तो हो जाने दो,घर के मेहमान थोड़ी हैं, सारे जहाँ भर से लताड़े जा चुके हैं,इनका मान थोड़ी है. ये कान्हा राम की धरती है,सजदा करना ही होगा, मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है. मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी, जो सिक्कों में बिक जाए, वो मेरा ईमान थोड़ी है. मेरे पुरखों ने सींचा है, इस वतन को अपने लहू के कतरों से, बहुत बांटा मगर अब बस, ख़ैरात थोड़ी है. जो रहजन थे, उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा। मगर अब हम भी' सच्चाई से अनजान थोड़े हैं ? बहुत लूटा फिरंगीयो ने, कभी बाबर के पूतों ने, ये मेरा मेरा घर है, मुफ्त की सराय थोड़ी है. कुछ तो अपने भी शामिल है,वतन तोड़ने में।* अब ये कन्हैया और रविश' देश भक्त मुसलमान थोड़ी है. नहीं शामिल है' तुम्हारा खून इस मिट्टी में। ये तुम्हारे बाप का' हिंदुस्तान थोड़ी है. यकीनन किरायेदार ही ' मालूम पड़ते हैं ये,इस मुल्क में। यूं बेमुरव्वत अपना ही मकान, कोई जलाता थोड़े है ? सभी का खून शामिल था यहाँ की मिट्टी में, हम अनजान थोड़े हैं? किंतु जिनके अब्बा ले चुके पाकिस्तान, अब उनका हिंदुस्तान थोड़े है?🙏 कवि को इन राहत इंदौरी जैसे मक्कारों की असलियत उजागर करने वाली कविता लिखने के लिए कोटिशः साधुवाद 🙏🙏🚩 जय जय भारत माता 🌼🙌🚩 ©Ravi Gupta

#IndiaLoveNojoto  राहत ने जिस दुर्भावना के साथ ये "सभी का खून है शामिल है" लिखा था 
उसका और खूबसूरत जवाब "बेचैन मधुपुरी" जी ने दिया है।

"बेचैन मधुपुरी"ने बहुत ही बेहतरीन जवाब दिया है,
आप भी उनके कायल हो जाएँगे।

“ख़फ़ा होते हैं तो हो जाने दो,घर के मेहमान थोड़ी हैं,
सारे जहाँ भर से लताड़े जा चुके हैं,इनका मान थोड़ी है.

ये कान्हा राम की धरती है,सजदा करना ही होगा,
मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है.

मैं जानता हूँ, घर में बन चुके हैं सैकड़ों भेदी,
जो सिक्कों में बिक जाए, वो मेरा ईमान थोड़ी है.

मेरे पुरखों ने सींचा है, इस वतन को अपने लहू के कतरों से,
बहुत बांटा मगर अब बस, ख़ैरात थोड़ी है.

जो रहजन थे, उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा।
मगर अब हम भी' सच्चाई से अनजान थोड़े हैं ?

बहुत लूटा फिरंगीयो ने, कभी बाबर के पूतों ने,
ये मेरा मेरा घर है, मुफ्त की सराय थोड़ी है.

कुछ तो अपने भी शामिल है,वतन तोड़ने में।*
अब ये कन्हैया और रविश' देश भक्त मुसलमान थोड़ी है.

नहीं शामिल है' तुम्हारा खून इस मिट्टी में।
ये तुम्हारे बाप का' हिंदुस्तान थोड़ी है.

यकीनन किरायेदार ही ' मालूम पड़ते हैं ये,इस मुल्क में।
यूं बेमुरव्वत अपना ही मकान, कोई जलाता थोड़े है ?

सभी का खून शामिल था यहाँ की मिट्टी में, हम अनजान थोड़े हैं?

किंतु जिनके अब्बा ले चुके पाकिस्तान, अब उनका हिंदुस्तान थोड़े है?🙏
कवि को इन राहत इंदौरी जैसे मक्कारों की असलियत उजागर करने वाली कविता लिखने के लिए कोटिशः साधुवाद
🙏🙏🚩
जय जय भारत माता
🌼🙌🚩

©Ravi Gupta

बांग्लादेशी नमकहराम क्यों हैं: 1.1971 में इन नमकहराम बांग्लादेशियों को ISCON ने CONCERT करके 100 करोड़ रुपए दिए थे। 2. अब तक इन सूअरों को बाढ़ और दूसरी त्रासदी आने पर इन्हें प्रसादम और दूसरी मदद करते आए हैं। 3. हजारों नमकहराम लोग मुफ्त का रोज खाते हैं। 4. ये सूअरों की कौम बेगुनाह हिंदुओ को मारते हैं। और भारत से इन्हें बिजली और अनाज दिया जाता है। 5. सूअरों को आर्थिक और दूसरी मदद भारत करता है। 6. हर साल लाखों बांग्लादेशी सुअर पढ़ने और ईलाज करवाने भारत आते हैं। 7.पाकिस्तानी आतंकियों से इन्हें भारत ने ही बचा था। ©Dil_ki.dastaan

#bangladeshihindu #savehindutemples #sanatandharm #Hindu #iskon  बांग्लादेशी नमकहराम क्यों हैं:
1.1971 में इन नमकहराम बांग्लादेशियों को ISCON ने CONCERT करके 100 करोड़ रुपए दिए थे। 
2. अब तक इन सूअरों को बाढ़ और दूसरी त्रासदी आने पर इन्हें प्रसादम और दूसरी मदद करते आए हैं। 
3. हजारों नमकहराम लोग मुफ्त का रोज खाते हैं।
4. ये सूअरों की कौम बेगुनाह हिंदुओ को मारते हैं। और भारत से इन्हें बिजली और अनाज दिया जाता है। 
5. सूअरों को आर्थिक और दूसरी मदद भारत करता है। 
6. हर साल लाखों बांग्लादेशी सुअर पढ़ने और ईलाज करवाने भारत आते हैं।
7.पाकिस्तानी आतंकियों से इन्हें भारत ने ही बचा था।

©Dil_ki.dastaan

हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार, थार के रेगिस्तान में, रेत का अद्भुत संसार। केदारनाथ-बद्रीनाथ की भूमि का आशीर्वाद, अमरनाथ के मेले में उमड़ी श्रद्धा की याद। काशी की दीयों वाली दिवाली, प्रेम की सौगात, अमृतसर के लंगर में, भक्ति की होती बात। ब्रज की होली में रंगों का मस्ती भरा शोर, दुर्गा पूजा की रौनक से सजा कोलकाता का हर छोर। पुष्कर का मेला और कुंभ का स्नान, बैसाखी, लोहड़ी, पोंगल, बसा सबका सम्मान। हर पर्व में झलके संस्कृति का एक ताज, इस विविधता पर हर दिल को है नाज़। तमिल में मिठास, संस्कारों का मान, बंगाली की पूजा, भक्ति का वरदान। मराठी की जय-जयकार, बाप्पा का सजीला रूप, पंजाबी लोहड़ी की धुन, संग खुशियों की धूप। भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, सबका सुंदर संगम, बिहू की थाप पे थिरके असमिया मन का रंगम। गरबा, घूमर, लावणी से सजी ये धरती महान, इस विविधता में एकता, यही है हिंदुस्तान। त्योहार, मेला, भाषा-नृत्य, सब है भारत की शान, संस्कृति के हर रंग में बसता ये हिंदुस्तान। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #हर  हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार,
थार के रेगिस्तान में, रेत का अद्भुत संसार।
केदारनाथ-बद्रीनाथ की भूमि का आशीर्वाद,
अमरनाथ के मेले में उमड़ी श्रद्धा की याद।
काशी की दीयों वाली दिवाली, प्रेम की सौगात,
अमृतसर के लंगर में, भक्ति की होती बात।
ब्रज की होली में रंगों का मस्ती भरा शोर,
दुर्गा पूजा की रौनक से सजा कोलकाता का हर छोर।
पुष्कर का मेला और कुंभ का स्नान,
बैसाखी, लोहड़ी, पोंगल, बसा सबका सम्मान।
हर पर्व में झलके संस्कृति का एक ताज,
इस विविधता पर हर दिल को है नाज़।
तमिल में मिठास, संस्कारों का मान,
बंगाली की पूजा, भक्ति का वरदान।
मराठी की जय-जयकार, बाप्पा का सजीला रूप,
पंजाबी लोहड़ी की धुन, संग खुशियों की धूप।
भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, सबका सुंदर संगम,
बिहू की थाप पे थिरके असमिया मन का रंगम।
गरबा, घूमर, लावणी से सजी ये धरती महान,
इस विविधता में एकता, यही है हिंदुस्तान।
त्योहार, मेला, भाषा-नृत्य, सब है भारत की शान,
संस्कृति के हर रंग में बसता ये हिंदुस्तान।

©नवनीत ठाकुर

#हर दिल में बसता हिंदुस्तान है

14 Love

कितना भी भारत में सफाई अभियान दिवस चला लो, भारत तब तक साफ नहीं होगा, जब तक भारत के लोग अपने घर का कूड़ा गलियों नालियों और सड़कों पर डालना बंद नहीं कर देते। ©Pradeep Kumar

#विचार  कितना भी भारत में सफाई अभियान 
दिवस चला लो, भारत तब तक साफ नहीं
 होगा, जब तक भारत के लोग अपने
 घर का कूड़ा गलियों नालियों और सड़कों 
पर डालना बंद नहीं कर देते।

©Pradeep Kumar

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12 Love

लोकतंत्र की धज्जियां, उड़ रही हर ओर ! चारों खंबे मिले जुले, लूट रहे चारों चोर !! कलम को चारों ओर, दिख रहा अंधकार ! लुट रही जनता सारी, जनहित तार तार !! जीना मुश्किल हो रहा, बजट बैठ ही न रहा ! रोज़गार लापता, पांच किलो बस मिल रहा !! कमाना तो चाहत सारे, पढ़े लिखे फ़िरत मारे मारे ! अपराधियों के आज-कल, चहुँ ओर है वारे न्यारे !! ईमान की कदर नहीं, भ्रष्टाचार का बोलबाला ! काम कोई भी हो तो, नोट और परोसो बाला !! मिट चुका है जड़ मूल से, नैतिकता का नाम निशां ! रोज़ परोस रहे हैं जुआ, हर गली में उपलब्ध नशा !! शादी की सोच घट रही, घट रही संतान की लालसा ! बुजुर्गों का सम्मान नहीं, घटा वृद्धाश्रम का फ़ासला !! बुद्धिजीवियों की बुद्धि भी, डरी सहमी दुबकी है ! जिनमें भी हिम्मत थी उनकी जान तक जा चुकी है !! जुल्मों सितम की पराकाष्ठा जब जब हुई ज़माने में ! उम्मीद की किरणें ओझल हुई जब कभी ज़माने से !! युवाओं ने नए हौंसले से मुकाबले का बीड़ा उठाया है ! युवाओं का जोश और होश ही माहौल बदल पाया है !! - आवेश हिंदुस्तानी 23.10.2024 ©Ashok Mangal

#कविता #IndiaLoveNojoto #JanMannKiBaat #AaveshVaani #Politics  लोकतंत्र की धज्जियां, उड़ रही हर ओर !
चारों खंबे मिले जुले, लूट रहे चारों चोर !!

कलम को चारों ओर, दिख रहा अंधकार !
लुट रही जनता सारी, जनहित तार तार !!

जीना मुश्किल हो रहा, बजट बैठ ही न रहा !
रोज़गार लापता, पांच किलो बस मिल रहा !!

कमाना तो चाहत सारे, पढ़े लिखे फ़िरत मारे मारे !
अपराधियों के आज-कल, चहुँ ओर है वारे न्यारे !!

ईमान की कदर नहीं, भ्रष्टाचार का बोलबाला !
काम कोई भी हो तो, नोट और परोसो बाला !!

मिट चुका है जड़ मूल से, नैतिकता का नाम निशां !
रोज़ परोस रहे हैं जुआ, हर गली में उपलब्ध नशा !!

शादी की सोच घट रही, घट रही संतान की लालसा !
बुजुर्गों का सम्मान नहीं, घटा वृद्धाश्रम का फ़ासला !!

बुद्धिजीवियों की बुद्धि भी, डरी सहमी दुबकी है !
जिनमें भी हिम्मत थी उनकी जान तक जा चुकी है !!

जुल्मों सितम की पराकाष्ठा जब जब हुई ज़माने में !
उम्मीद की किरणें ओझल हुई जब कभी ज़माने से !!



युवाओं ने नए हौंसले से मुकाबले का बीड़ा उठाया है !
युवाओं का जोश और होश ही माहौल बदल पाया है !!

- आवेश हिंदुस्तानी 23.10.2024

©Ashok Mangal

मातृभूमि है भारत अपना दुनिया में है सबसे न्यारा ऋषि संतो की धरती भारत मंदिर घाटो की स्थली भारत ज्ञान विज्ञान की पहचान भारत सभ्यता की जननी है भारत वीर सपूतो की धरती भारत धरती का स्वर्ग है भारत विविधता में एकता की स्थली भारत योग आयुर्वेद की भूमि भारत दूनिया को पाठ पढाती भारत विश्व पटल का सौन्दर्य भारत पर्वत पठारो से भरा परा नदि नहर से हरा भरा खेत खलिहान से सजाधजा सुगंध से संसार को महका रहा मानचित्र पर खूब दिख रहा मातृभूमि है भारत अपना दूनियां में है सबसे न्यारा ©संगीत कुमार

#कविता #IndiaLoveNojoto  मातृभूमि है भारत अपना
दुनिया में है सबसे न्यारा
ऋषि संतो की धरती भारत
मंदिर घाटो की स्थली भारत
ज्ञान विज्ञान की पहचान भारत
सभ्यता की जननी है भारत
वीर सपूतो की धरती भारत
धरती का स्वर्ग है भारत
विविधता में एकता की स्थली भारत
योग आयुर्वेद की भूमि भारत
दूनिया को पाठ पढाती भारत 
विश्व पटल का सौन्दर्य भारत
पर्वत पठारो से भरा परा
नदि नहर से हरा भरा
खेत खलिहान से सजाधजा
सुगंध से संसार को महका रहा
मानचित्र पर खूब दिख रहा
मातृभूमि है भारत अपना
दूनियां में है सबसे न्यारा

©संगीत कुमार
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