Praveen Jain

Praveen Jain "पल्लव" Lives in New Delhi, Delhi, India

अंतर मन जब हो उदास , कीजिये पल्लव की कविता का रसपान।

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पल्लव की डायरी परिवारों की मजबूती ही समाज मे एकता का मंत्र फूंकती है पाठशाला संस्कारों की है यहाँ एक दूसरो के लिये मर मिटती है खुशहाली की पौध यही से खिलती पनपती है भले अभावो में रहते हो सदस्य मगर निश्छल प्रेम प्यार की मूर्ति यही पर गढ़ती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #nojotohindi  पल्लव की डायरी
परिवारों की मजबूती ही
समाज मे एकता का मंत्र फूंकती है
पाठशाला संस्कारों की है यहाँ
एक दूसरो के लिये मर मिटती है
खुशहाली की पौध यही से खिलती पनपती है
भले अभावो में रहते हो सदस्य 
मगर निश्छल प्रेम प्यार की 
मूर्ति यही पर गढ़ती है
                                  प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

खुशहाली की पौध यही पर खिलती और पनपती है #nojotohindi

12 Love

पल्लव की डायरी हालातो का ठीकरा हम लक के हवाले छोड़ देते है सफलता हमारे खुद की होती असफलता रव के हवाले छोड़ देते है बहकाते रहते ज्योतिष ग्रहों की चाल को जीवन से जोड़ देते है हाथों की लकीरो को पढ़ कर उपायों की फेरिस्ट खड़ी कर देते है संकेतो का है ये विज्ञान डराकर,दुविधाओं में फंसा कर जातक को आतंकित करते रहते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #HandsOn  पल्लव की डायरी
हालातो का ठीकरा हम
लक के हवाले छोड़ देते है
सफलता हमारे खुद की होती
असफलता रव के हवाले छोड़ देते है
बहकाते रहते ज्योतिष 
ग्रहों की चाल को जीवन से जोड़ देते है
 हाथों की लकीरो को पढ़ कर
उपायों की फेरिस्ट खड़ी कर देते है
संकेतो का है ये विज्ञान
डराकर,दुविधाओं में फंसा कर जातक को
आतंकित करते रहते है
                                    प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#HandsOn ग्रहों की चाल को जीवन से जोड़ देते है

18 Love

White पल्लव की डायरी अध्ययन और अध्यापन स्तरहीन हुये गति देश समाज को दे नही पा रहे है आचरण और संस्कार की बाट लगा दी चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है त्याग संयम गुरुओ का आकर्षण था जो छात्रों में नैतिकबल भरता था एक टीचर अपने ज्ञान से सौ सौ सूरज की प्रज्ञा प्रज्वलित करता था दिशाहीन को दिशा देकर भविष्य का नव निर्माण करता था प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #teachers_day  White पल्लव की डायरी
अध्ययन और अध्यापन  स्तरहीन हुये
गति देश समाज को दे नही पा रहे है
आचरण और संस्कार की बाट लगा दी
चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है
त्याग संयम गुरुओ का आकर्षण था
जो छात्रों में नैतिकबल भरता था
एक टीचर अपने ज्ञान से
सौ सौ सूरज की प्रज्ञा प्रज्वलित करता था
दिशाहीन को दिशा देकर
भविष्य का नव निर्माण करता था
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#teachers_day चरित्रों के चित्र खिल नही पा रहे है

13 Love

पल्लव की डायरी चिंतवन और मनन की धारा विस्फोटक है नैतिकबल कमजोर हो रहा है जब से सुख सुविधाओं ने आवरण विकास का पहना खोखला समाज परिवार हो रहा है लोभ लालच हक खा गया अपनो का तूफान घरो को उजाड़ रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #AloneInCity  पल्लव की डायरी
चिंतवन और मनन की धारा
विस्फोटक है 
नैतिकबल कमजोर हो रहा है
जब से सुख सुविधाओं ने आवरण
 विकास का पहना
खोखला समाज परिवार हो रहा है
लोभ लालच हक खा गया अपनो का
तूफान घरो को उजाड़ रहा है
                                  प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#AloneInCity तूफान घरो को उजाड़ रहा है

17 Love

White पल्लव की डायरी रप्तार की चपेट में जिंदगी आ चुकी है बहकी हुयी हर मंजिले जीवन को निपटा रही है विकारों से विगड़े है विचार तन मन मे तन्दुरुस्ती नही आ रही है हम हम की रट लगाकर रिश्तों की गाड़ी पटरी से उतरी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Sad_Status  White पल्लव की डायरी
रप्तार की चपेट में
जिंदगी आ चुकी है
बहकी हुयी हर मंजिले
जीवन को निपटा रही है
विकारों से विगड़े है विचार
तन मन मे तन्दुरुस्ती नही आ रही है
हम हम की रट लगाकर
रिश्तों की गाड़ी पटरी से उतरी जा रही है
                                               प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_Status तन मन मे तन्दुरुस्ती नही आ रही है

18 Love

White पल्लव की डायरी पहचान परिचय की मोहताज हो रही है अनजानी सफर जैसी जिंदगी हो रही है ना कोई रोक टोक ना कोई मानमनोबल है बिना दुआ बिना आशीर्वाद लिये आज की पीढ़ी आगे बढ़ रही है बदलाव के नाम पर दुनिया चल रही है टूट चुकी है सामाजिक व्यवस्था चौखते घरों की घायल है जिम्मेदारी कौन किसकी उठाये अपनी कमी जब पूरी हो, तब गरीब भाई बन्धुओं के प्रति संवेदना की अलख जग रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #sad_quotes  White पल्लव की डायरी
पहचान परिचय की मोहताज हो रही है
अनजानी सफर जैसी जिंदगी हो रही है
ना कोई रोक टोक ना कोई मानमनोबल है
बिना दुआ बिना आशीर्वाद लिये
आज की पीढ़ी आगे बढ़ रही है
बदलाव के नाम पर दुनिया चल रही है
टूट चुकी है सामाजिक व्यवस्था
चौखते घरों की घायल है
जिम्मेदारी कौन किसकी उठाये
अपनी कमी जब पूरी हो,
तब गरीब भाई बन्धुओं के प्रति 
संवेदना की अलख जग रही है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#sad_quotes पहचान परिचय की मोहताज हो रही है

12 Love

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