पल्लव की डायरी
परिवारों की मजबूती ही
समाज मे एकता का मंत्र फूंकती है
पाठशाला संस्कारों की है यहाँ
एक दूसरो के लिये मर मिटती है
खुशहाली की पौध यही से खिलती पनपती है
भले अभावो में रहते हो सदस्य
मगर निश्छल प्रेम प्यार की
मूर्ति यही पर गढ़ती है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
खुशहाली की पौध यही पर खिलती और पनपती है
#nojotohindi