Lal Ishq
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प्रेत पर सवार हो वो नरभक्षी के स्पर्श को झेलती छीर लगा दी अंग - अंग को मधुरसपान से वो खेलती तृप्त हो गई काया शैतान की अमृत अंग की जो बिखेरती नमन है हे! जगत प्रिय जग तवायफ़ के नाम जिसे बोलती ©चाँदनी

#lalishq  प्रेत पर सवार हो
वो नरभक्षी के स्पर्श को झेलती


छीर लगा दी अंग - अंग को
मधुरसपान से वो खेलती


तृप्त हो गई काया शैतान की
अमृत अंग की जो बिखेरती


नमन है हे! जगत प्रिय
जग तवायफ़ के नाम जिसे बोलती

©चाँदनी

#lalishq

18 Love

**औरत को भी मिलनी चाहिए छुट्टी** चौके में हर दिन खटती है, खुद को हर पल बांध रखती है। सपने उसके दिल में गहरे, पर फुर्सत कहां, खुद से कहे रे। सुबह से लेकर रात तलक, संसार सजाती, काम की ललक। सबके चेहरों पर हंसी लाए, पर अपनी थकान किसे दिखाए? क्या वह मशीन है, जो थमती नहीं? क्या उसकी जिंदगी उसकी लगती नहीं? हर दिल का बोझ उठाने वाली, खुद के लिए भी एक दिन तो खाली! आज उसे दो यह छुट्टी प्यारी, चौका-बर्तन की मत दो जिम्मेदारी। जी ले वह भी कुछ पल सुकून के, खुद के सपने, अपने जूनून के। मत कहो यह उसका फर्ज है, उसके जीवन का यही मर्ज़ है। औरत भी है इंसान प्यारे, उसे भी चाहिए पल सहारे। तो एक दिन के लिए ठहर जाओ, उसके हिस्से का काम संभाल जाओ। खुश होगी वह, खिल जाएगी, थोड़ी सी आज़ादी पा जाएगी। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #lalishq  **औरत को भी मिलनी चाहिए छुट्टी**  

चौके में हर दिन खटती है,  
खुद को हर पल बांध रखती है।  
सपने उसके दिल में गहरे,  
पर फुर्सत कहां, खुद से कहे रे।  

सुबह से लेकर रात तलक,  
संसार सजाती, काम की ललक।  
सबके चेहरों पर हंसी लाए,  
पर अपनी थकान किसे दिखाए?  

क्या वह मशीन है, जो थमती नहीं?  
क्या उसकी जिंदगी उसकी लगती नहीं?  
हर दिल का बोझ उठाने वाली,  
खुद के लिए भी एक दिन तो खाली!  

आज उसे दो यह छुट्टी प्यारी,  
चौका-बर्तन की मत दो जिम्मेदारी।  
जी ले वह भी कुछ पल सुकून के,  
खुद के सपने, अपने जूनून के।  

मत कहो यह उसका फर्ज है,  
उसके जीवन का यही मर्ज़ है।  
औरत भी है इंसान प्यारे,  
उसे भी चाहिए पल सहारे।  

तो एक दिन के लिए ठहर जाओ,  
उसके हिस्से का काम संभाल जाओ।  
खुश होगी वह, खिल जाएगी,  
थोड़ी सी आज़ादी पा जाएगी।

©Writer Mamta Ambedkar

#lalishq

12 Love

मेरे लहजे पागलपन वाले लग सकते है पर कभी मेरे शब्दों पर गौर करना एक बार गुजर जाओगे ©चाँदनी

#lalishq  मेरे लहजे पागलपन वाले लग सकते है
पर कभी मेरे शब्दों पर गौर करना

एक बार गुजर जाओगे

©चाँदनी

#lalishq

17 Love

प्रतीक्षा की प्रतिज्ञा में यादों का उपवास चलता है, 'आमरण' ©Parul Sharma

#lalishq  प्रतीक्षा की प्रतिज्ञा में 
यादों का उपवास 
चलता है, 'आमरण'

©Parul Sharma

#lalishq

14 Love

#lalishq  सुनो!

मुझे तुमसे आखिरी बार
पहली बार की तरह मिलना है

©Shikkha Sharrma

#lalishq love shayari shayari on love shayari in hindi sad shayari alone shayari girl

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वो बडे करीब आकर दूर हुये हैं मुझसे ,, इसलिए अब किसी से नजदीकियां सहन नही होती,,,,, वहां से दर्द मिला है , जहां सुकून की उम्मीद की ,,, वादे भी आधे रहे, मुलाकातें भी आधी रही,,, कमबख्त इन्तज़ार आज भी जारी रहा,,,, सुना था , हर चीज मिल जाती है , दुआ से,, पूछती हूं रोज खुदा से ... आखिर कहां कमी रह गई ? मेरी चाहत में,,,,,,,,,? सूखे पत्तों- सी बिखरी थी मैं ,, बड़े ही प्यार से समेटा उनने ,,,, और फिर आग लगा दी.... भरोसा किया खूब मैंने ,,, दिल को समझाया खूब मैंने ,की सही क्या है,,,,? दिल ने कहा ,,,,अब बस ,, खिलौना ना बना मुझे,,,,,,,। ©Nehu Dee.kalam

#lalishq  वो बडे करीब आकर दूर हुये हैं मुझसे ,, इसलिए अब किसी से नजदीकियां सहन नही होती,,,,, 
वहां से दर्द मिला है , जहां सुकून की उम्मीद की ,,,
वादे भी आधे रहे, मुलाकातें भी आधी रही,,, कमबख्त इन्तज़ार आज भी जारी रहा,,,,
सुना था , हर चीज मिल जाती है , दुआ से,, पूछती हूं रोज खुदा से ...
 आखिर  कहां कमी रह गई ? मेरी चाहत में,,,,,,,,,?
सूखे पत्तों- सी बिखरी थी मैं ,, बड़े ही प्यार से समेटा उनने ,,,, और फिर आग लगा दी.... 
भरोसा किया खूब मैंने ,,, दिल को समझाया खूब मैंने ,की सही क्या है,,,,?
दिल ने कहा ,,,,अब बस ,, खिलौना ना बना मुझे,,,,,,,।

©Nehu Dee.kalam

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16 Love

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