Lal Ishq
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जो छूट जाए किसी के खौफ से वो लत नहीं हुआ करती, जहां मिले गुनहगारों को रिहाई और बेगुनाहों को सजा वो अदालत नहीं हुआ करती | और अक्सर पानी से पानी पर पानी लिखना पड़ता है ग़ालिब...... समझौतों में सिमट कर रह जाए वो हर आशिकी मोहब्बत नहीं हुआ करती|| ©' मुसाफ़िर '

#mohabbat #lalishq #Heart #Pyar  जो छूट जाए किसी के खौफ से वो लत नहीं हुआ करती, 
जहां मिले गुनहगारों को रिहाई और बेगुनाहों को सजा वो अदालत नहीं हुआ करती |
और अक्सर पानी से पानी पर पानी लिखना पड़ता है ग़ालिब......
समझौतों में सिमट कर रह जाए वो हर आशिकी मोहब्बत नहीं हुआ करती||

©'  मुसाफ़िर '
#hoth  करेंगे बातें किसी के रसीले होंटों की
महकती ज़ुल्फ़ों की काजल की उस की बिंदिया की

©Sam

#hoth raseelein

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'स्त्री' म्हणजे, बंद कपाटासारखी कितीही उघडली तरी न सापडणारी.. आणि कठीण विषयासारखी कितीही वाचलं तरी न समजणारी... ©अश्लेष माडे (प्रीत कवी )

#मराठीविचार #lalishq  'स्त्री'
म्हणजे, बंद कपाटासारखी 
कितीही उघडली तरी न सापडणारी..
आणि कठीण विषयासारखी 
कितीही वाचलं तरी न समजणारी...

©अश्लेष माडे (प्रीत कवी )

#lalishq

23 Love

प्रेत पर सवार हो वो नरभक्षी के स्पर्श को झेलती छीर लगा दी अंग - अंग को मधुरसपान से वो खेलती तृप्त हो गई काया शैतान की अमृत अंग की जो बिखेरती नमन है हे! जगत प्रिय जग तवायफ़ के नाम जिसे बोलती ©चाँदनी

#lalishq  प्रेत पर सवार हो
वो नरभक्षी के स्पर्श को झेलती


छीर लगा दी अंग - अंग को
मधुरसपान से वो खेलती


तृप्त हो गई काया शैतान की
अमृत अंग की जो बिखेरती


नमन है हे! जगत प्रिय
जग तवायफ़ के नाम जिसे बोलती

©चाँदनी

#lalishq

18 Love

**औरत को भी मिलनी चाहिए छुट्टी** चौके में हर दिन खटती है, खुद को हर पल बांध रखती है। सपने उसके दिल में गहरे, पर फुर्सत कहां, खुद से कहे रे। सुबह से लेकर रात तलक, संसार सजाती, काम की ललक। सबके चेहरों पर हंसी लाए, पर अपनी थकान किसे दिखाए? क्या वह मशीन है, जो थमती नहीं? क्या उसकी जिंदगी उसकी लगती नहीं? हर दिल का बोझ उठाने वाली, खुद के लिए भी एक दिन तो खाली! आज उसे दो यह छुट्टी प्यारी, चौका-बर्तन की मत दो जिम्मेदारी। जी ले वह भी कुछ पल सुकून के, खुद के सपने, अपने जूनून के। मत कहो यह उसका फर्ज है, उसके जीवन का यही मर्ज़ है। औरत भी है इंसान प्यारे, उसे भी चाहिए पल सहारे। तो एक दिन के लिए ठहर जाओ, उसके हिस्से का काम संभाल जाओ। खुश होगी वह, खिल जाएगी, थोड़ी सी आज़ादी पा जाएगी। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #lalishq  **औरत को भी मिलनी चाहिए छुट्टी**  

चौके में हर दिन खटती है,  
खुद को हर पल बांध रखती है।  
सपने उसके दिल में गहरे,  
पर फुर्सत कहां, खुद से कहे रे।  

सुबह से लेकर रात तलक,  
संसार सजाती, काम की ललक।  
सबके चेहरों पर हंसी लाए,  
पर अपनी थकान किसे दिखाए?  

क्या वह मशीन है, जो थमती नहीं?  
क्या उसकी जिंदगी उसकी लगती नहीं?  
हर दिल का बोझ उठाने वाली,  
खुद के लिए भी एक दिन तो खाली!  

आज उसे दो यह छुट्टी प्यारी,  
चौका-बर्तन की मत दो जिम्मेदारी।  
जी ले वह भी कुछ पल सुकून के,  
खुद के सपने, अपने जूनून के।  

मत कहो यह उसका फर्ज है,  
उसके जीवन का यही मर्ज़ है।  
औरत भी है इंसान प्यारे,  
उसे भी चाहिए पल सहारे।  

तो एक दिन के लिए ठहर जाओ,  
उसके हिस्से का काम संभाल जाओ।  
खुश होगी वह, खिल जाएगी,  
थोड़ी सी आज़ादी पा जाएगी।

©Writer Mamta Ambedkar

#lalishq

12 Love

मेरे लहजे पागलपन वाले लग सकते है पर कभी मेरे शब्दों पर गौर करना एक बार गुजर जाओगे ©चाँदनी

#lalishq  मेरे लहजे पागलपन वाले लग सकते है
पर कभी मेरे शब्दों पर गौर करना

एक बार गुजर जाओगे

©चाँदनी

#lalishq

17 Love

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