Writer Mamta Ambedkar

Writer Mamta Ambedkar

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White प्रकृति सुंदर रूप धारे, रंग-बिरंगे फूल खिले। हर दिल में प्रेम बसा रहे, यही तो सच्चा जीवन है धरती पर बिखरे मोती जैसे, बगिया में महकते फूल,ऐसे आकाश में सूर्य की किरणें, नदियों में बहती धारा, हर एक सांस में बसता है, प्रेम का गहरा तारा। हवाओं में गूंजे सुख-संदेश, चाँदनी रातों की गहरी नींद, हर दिन एक नयी सुबह हो, जीवन में अमृत जैसे प्रेम की जीत। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #good_night  White प्रकृति सुंदर रूप धारे, 
रंग-बिरंगे फूल खिले।

हर दिल में प्रेम बसा रहे,
 यही तो सच्चा जीवन है 

धरती पर बिखरे मोती जैसे,
 बगिया में महकते फूल,ऐसे

आकाश में सूर्य की किरणें, 
नदियों में बहती धारा,

हर एक सांस में बसता है, 
प्रेम का गहरा तारा।

हवाओं में गूंजे सुख-संदेश,
 चाँदनी रातों की गहरी नींद,

हर दिन एक नयी सुबह हो, 
जीवन में अमृत जैसे प्रेम की जीत।

©Writer Mamta Ambedkar

**खुद की तलाश** मैंने आज तक खुद को समझ नहीं पाया, खुद की परछाईं से भी नाता जुड़ नहीं पाया। हर मोड़ पर सवालों का साया मिला, जवाबों का जहां कभी साफ़ न दिखा। लोग क्या-क्या समझते हैं मुझे, कभी परिंदे, कभी बंदिशें समझते हैं मुझे। मैं एक गूंज हूँ, जो ख़ुद से टकराई, शायद इसलिए, मेरी आवाज़ भी अधूरी रह गई। दुनिया ने जो देखा, वो चेहरा नकाब था, मेरे भीतर का सच तो अनकहा ख़्वाब था। खुद से मिलने की चाह अब भी बाकी है, इस सफर में मंज़िल कहीं धुंधली सी झांकी है। क्या मैं बूँद हूँ, या मैं समंदर का हिस्सा, क्या मैं एक सवाल हूँ, या किसी उत्तर का हिस्सा? खुद को समझने की कशिश जारी है, इस दिल की कहानी अभी अधूरी सारी है। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #allalone  **खुद की तलाश**  

मैंने आज तक खुद को समझ नहीं पाया,  
खुद की परछाईं से भी नाता जुड़ नहीं पाया।  
हर मोड़ पर सवालों का साया मिला,  
जवाबों का जहां कभी साफ़ न दिखा।  

लोग क्या-क्या समझते हैं मुझे,  
कभी परिंदे, कभी बंदिशें समझते हैं मुझे।  
मैं एक गूंज हूँ, जो ख़ुद से टकराई,  
शायद इसलिए, मेरी आवाज़ भी अधूरी रह गई।  

दुनिया ने जो देखा, वो चेहरा नकाब था,  
मेरे भीतर का सच तो अनकहा ख़्वाब था।  
खुद से मिलने की चाह अब भी बाकी है,  
इस सफर में मंज़िल कहीं धुंधली सी झांकी है।  

क्या मैं बूँद हूँ, या मैं समंदर का हिस्सा,  
क्या मैं एक सवाल हूँ, या किसी उत्तर का हिस्सा?  
खुद को समझने की कशिश जारी है,  
इस दिल की कहानी अभी अधूरी सारी है।

©Writer Mamta Ambedkar

#allalone

14 Love

White तूफान में दिया मेरा तूफान में भी दिया जल रहा है, शायद कुछ लोगों को यही खल रहा है। अंधेरों से लड़कर जो रौशनी करे, उसे देखकर अंधकार क्यों जल रहा है? हवा का जोर है, समंदर उफान पर, मगर मेरा हौसला है अपनी पहचान पर। जलती लौ में मेरी उम्मीद छुपी है, हर मुश्किल में छुपी जीत रुकी है। जिन्हें चुभ रहा है मेरा ये उजाला, शायद उनकी रातों का है ये सवाल। पर मैंने तो ठानी है हर अंधेरे से लड़ना, रोशनी की ओर अपने कदम बढ़ना। तूफानों का क्या, वे आते रहेंगे, मेरा दिया, मेरी रूह, जलती रहेगी। जो खल रहा है उन्हें, खलने दो, इस रौशनी से नई राहें निकलने दो। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #Sad_Status  White तूफान में दिया

मेरा तूफान में भी दिया जल रहा है,
शायद कुछ लोगों को यही खल रहा है।
अंधेरों से लड़कर जो रौशनी करे,
उसे देखकर अंधकार क्यों जल रहा है?

हवा का जोर है, समंदर उफान पर,
मगर मेरा हौसला है अपनी पहचान पर।
जलती लौ में मेरी उम्मीद छुपी है,
हर मुश्किल में छुपी जीत रुकी है।

जिन्हें चुभ रहा है मेरा ये उजाला,
शायद उनकी रातों का है ये सवाल।
पर मैंने तो ठानी है हर अंधेरे से लड़ना,
रोशनी की ओर अपने कदम बढ़ना।

तूफानों का क्या, वे आते रहेंगे,
मेरा दिया, मेरी रूह, जलती रहेगी।
जो खल रहा है उन्हें, खलने दो,
इस रौशनी से नई राहें निकलने दो।

©Writer Mamta Ambedkar

#Sad_Status

15 Love

White "जाति का जाल" अच्छे हैं हमसे जानवर, सादगी से जीते हैं जीवन। न जात-पात का करते बखान, न मन में रखते किसी का अपमान। वे तो जंगल में भी साथ रहते हैं, एकता के सुर में गीत कहते हैं। न भेदभाव, न कोई दीवार, सबका जीवन समान अधिकार। पर इंसान ने बनाई ये रेखाएँ, जाति-धर्म की ऊँची दीवारें खड़ी कराएँ। अपने ही हाथों बँधा ये संसार, हर कोने में छूट रहा है प्यार। क्यों भूल गए हम इंसानियत को, क्यों बाँट दिया अपने ईश्वर को? नदी, पहाड़, ये धरती सिखाती, सबके लिए है ये प्रकृति बाँटी। चलो, अब तोड़ें ये जंजीरें, जाति-धर्म की सब दीवारें। फिर से गाएँ एकता का गीत, सजाएँ मिलकर एक नया मीत। अच्छे हैं हमसे जानवर, पर इंसान हो सकता है बेहतर। प्यार और समानता का संदेश फैलाएँ, इस दुनिया को सचमुच इंसान बनाएँ। 💙जय भीम जय संविधान 🙏🏻 ©Writer Mamta Ambedkar

#मोटिवेशनल #CAT  White "जाति का जाल"

अच्छे हैं हमसे जानवर,  
सादगी से जीते हैं जीवन।  

न जात-पात का करते बखान,  
न मन में रखते किसी का अपमान।  

वे तो जंगल में भी साथ रहते हैं,  
एकता के सुर में गीत कहते हैं।  

न भेदभाव, न कोई दीवार,  
सबका जीवन समान अधिकार।  

पर इंसान ने बनाई ये रेखाएँ,  
जाति-धर्म की ऊँची दीवारें खड़ी कराएँ।  

अपने ही हाथों बँधा ये संसार,  
हर कोने में छूट रहा है प्यार।  

क्यों भूल गए हम इंसानियत को,  
क्यों बाँट दिया अपने ईश्वर को?  

नदी, पहाड़, ये धरती सिखाती,  
सबके लिए है ये प्रकृति बाँटी।  

चलो, अब तोड़ें ये जंजीरें,  
जाति-धर्म की सब दीवारें।  

फिर से गाएँ एकता का गीत,  
सजाएँ मिलकर एक नया मीत।  

अच्छे हैं हमसे जानवर,  
पर इंसान हो सकता है बेहतर।  

प्यार और समानता का संदेश फैलाएँ,  
इस दुनिया को सचमुच इंसान बनाएँ।

💙जय भीम जय संविधान 🙏🏻

©Writer Mamta Ambedkar

#CAT प्रेरणादायक मोटिवेशनल कोट्स सायरी मोटिवेशन

17 Love

**समझदार और मूर्ख का भेद** समझदार वह, जो जमाने से लड़े, अपनी औरत की खातिर हर कदम बढ़े। हर आँधी-तूफान से टकराए, उसके सम्मान को सदा बचाए। मूर्ख वह, जो औरत से लड़े, उसकी ही बातों में उलझा रहे। उसके आँसुओं का मोल न जाने, सिर्फ अपने अहम को पहचाने। एक सच्चा साथी, जो ढाल बन जाए, हर मुश्किल घड़ी में साथ निभाए। दुनिया की हर ठोकर से उसे बचाए, उसके सपनों में अपना संसार बसाए। पर जो मूर्ख हो, वह राह भटक जाए, अपनों से ही बैर कर जाए। अपने अहंकार में चूर रहे, उस रिश्ते की डोर को तोड़ दे। समझदार जमाने से टकराता है, अपनी औरत को अपना बनाता है। मूर्ख अपने स्वार्थ में खो जाता है, सच्चे रिश्ते का मोल भूल जाता है। तो तय करो, समझदार बनना है या मूर्ख, रिश्तों में मिठास चाहिए या सिर्फ दूरियाँ। जमाने से लड़ो, पर अपनों से नहीं, अपने प्यार को समझो, उसे खोने से नहीं। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #sadquotes  **समझदार और मूर्ख का भेद**  

समझदार वह, जो जमाने से लड़े,  
अपनी औरत की खातिर हर कदम बढ़े।  
हर आँधी-तूफान से टकराए,  
उसके सम्मान को सदा बचाए।  

मूर्ख वह, जो औरत से लड़े,  
उसकी ही बातों में उलझा रहे।  
उसके आँसुओं का मोल न जाने,  
सिर्फ अपने अहम को पहचाने।  

एक सच्चा साथी, जो ढाल बन जाए,  
हर मुश्किल घड़ी में साथ निभाए।  
दुनिया की हर ठोकर से उसे बचाए,  
उसके सपनों में अपना संसार बसाए।  

पर जो मूर्ख हो, वह राह भटक जाए,  
अपनों से ही बैर कर जाए।  
अपने अहंकार में चूर रहे,  
उस रिश्ते की डोर को तोड़ दे।  

समझदार जमाने से टकराता है,  
अपनी औरत को अपना बनाता है।  
मूर्ख अपने स्वार्थ में खो जाता है,  
सच्चे रिश्ते का मोल भूल जाता है।  

तो तय करो, समझदार बनना है या मूर्ख,  
रिश्तों में मिठास चाहिए या सिर्फ दूरियाँ।  
जमाने से लड़ो, पर अपनों से नहीं,  
अपने प्यार को समझो, उसे खोने से नहीं।

©Writer Mamta Ambedkar

#sadquotes

13 Love

Unsplash अनकहे लफ्ज़ अनकहे लफ्ज़ जो होंठों पर ठहर गए, आँखों के किनारों पर गहर गए। हर साँस में कुछ कहने की चाह, पर खामोशी में छिपी रही हर आह। दिल की बात दिल में रह गई, ख़ुद से लड़ते-लड़ते सह गई। जो कह देते तो शायद सुकून होता, पर डर था, कहीं रिश्ता न टूट जाता। उन शब्दों का वज़न हल्का था, पर ख़ामोशी का बोझ भारी। कहने से पहले ही डर गए, कहीं न बिखर जाए ये दुनिया सारी। आज भी वो लफ्ज़ मचलते हैं, हर गूंज में धीरे से चलते हैं। अनसुने, अनदेखे, पर जिंदा हैं, उन लम्हों के आईने में बंद हैं। काश, वक्त को थोड़ा मोड़ पाते, अनकहे लफ्ज़ फिर से बोल पाते। पर शायद खामोशी ही सच्चाई है, जो रह जाए वो ही गहराई है। ©Writer Mamta Ambedkar

#कविता #snow  Unsplash अनकहे लफ्ज़

अनकहे लफ्ज़ जो होंठों पर ठहर गए,
आँखों के किनारों पर गहर गए।
हर साँस में कुछ कहने की चाह,
पर खामोशी में छिपी रही हर आह।

दिल की बात दिल में रह गई,
ख़ुद से लड़ते-लड़ते सह गई।
जो कह देते तो शायद सुकून होता,
पर डर था, कहीं रिश्ता न टूट जाता।

उन शब्दों का वज़न हल्का था,
पर ख़ामोशी का बोझ भारी।
कहने से पहले ही डर गए,
कहीं न बिखर जाए ये दुनिया सारी।

आज भी वो लफ्ज़ मचलते हैं,
हर गूंज में धीरे से चलते हैं।
अनसुने, अनदेखे, पर जिंदा हैं,
उन लम्हों के आईने में बंद हैं।

काश, वक्त को थोड़ा मोड़ पाते,
अनकहे लफ्ज़ फिर से बोल पाते।
पर शायद खामोशी ही सच्चाई है,
जो रह जाए वो ही गहराई है।

©Writer Mamta Ambedkar

#snow

9 Love

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