चाँदनी

चाँदनी

लेखिका मै एक किताब थी ऐ जिंदगी, किताब ही रह गई, तू कहानी थी, हर पन्ने पर बदल गई... गर्व से कहती हू ज्ञानियों के केंद्र और भारत के कंठहार से हू (बिहार) insta I'd: chandni_singh0502

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White मै हर रात ख़ुद को बिधुनते हुए इसी फिराक मे ख्वाब मे तैरते रहती हूँ की उन प्राचीन सभ्यतों मे जैसे रेत को लिखने के लिए पचास शब्द थे काश आज की रात प्रेम पर लिखने के लिए मेरे पास अनंत के कामना से परिपूर्ण महासंख् शब्द होते मै ख्वाब मे इतना लात हाँथ मरते हुए भी नही उबर पाती तो ये सोच के खुद   को डूबा देती हूँ की स्मृति के लिए भी तो कोई शब्द नही  अंततः रात लबालब उफनता है और उगल देता है अपने आखिरी प्रहर मे सूर्य मुझे फ़िर से छान लेता है एक नये ऊर्जा से ग्रस्त रात के लिए....!! ©चाँदनी

#sad_shayari  White मै हर रात ख़ुद को बिधुनते हुए
इसी फिराक मे ख्वाब मे तैरते रहती हूँ की

उन प्राचीन सभ्यतों मे जैसे
रेत को लिखने के लिए पचास शब्द थे

काश आज की रात प्रेम पर लिखने के लिए
मेरे पास अनंत के कामना से परिपूर्ण
महासंख् शब्द होते

मै ख्वाब मे इतना लात हाँथ मरते हुए
भी नही उबर पाती तो ये सोच के खुद  
को डूबा देती हूँ की स्मृति के लिए
भी तो कोई शब्द नही 

अंततः रात लबालब उफनता है और
उगल देता है अपने आखिरी प्रहर मे

सूर्य मुझे फ़िर से छान लेता है एक नये
ऊर्जा से ग्रस्त रात के लिए....!!

©चाँदनी

#sad_shayari

21 Love

Unsplash कभी - कभी मै मै नही होती तुम होते हो तब मै देख पाती हूँ मेरी उंगलियों मे फसी तुम्हारी उँगलियाँ बेइंतेहा, बेशुमार और "बा कामाल" प्रेम रच डालती है मुझे ये कहना था उनसे जो ये मेरी हुनर समझते है दरसल वो तुम्हारी समझे और तुम मेरी ©चाँदनी

#lovelife  Unsplash कभी - कभी मै
मै नही होती तुम होते हो

तब मै देख पाती हूँ
    मेरी उंगलियों मे फसी तुम्हारी उँगलियाँ
बेइंतेहा, बेशुमार और "बा कामाल"
 प्रेम रच डालती है

मुझे ये कहना था उनसे जो ये मेरी हुनर
समझते है दरसल वो तुम्हारी समझे

और तुम मेरी

©चाँदनी

#lovelife

18 Love

White अध्यात्म के किलक बिंदु पर जाते ही देह तुम्हें त्याग देता है तब तुम हवा को मुठ्ठी मे बांध सकते हो नदी को स्वास के घर्षण से सोख सकते हो पहाड़ को एक फूक से पाट सकते हो हृदय की गिनती को रोक रूहों का विनयम कर सकते हो ये अवस्था इतना विकराल होता है कि त्रासदी को भी खा जाता है ©चाँदनी

#अध्यात्म  White अध्यात्म के किलक बिंदु पर
जाते ही देह तुम्हें त्याग देता है

तब तुम हवा को मुठ्ठी मे
बांध सकते हो

नदी को स्वास के घर्षण से
सोख सकते हो

पहाड़ को एक फूक से
पाट सकते हो
 
हृदय की गिनती को रोक रूहों का
विनयम कर सकते हो

ये अवस्था इतना विकराल होता है कि
त्रासदी को भी खा जाता है

©चाँदनी

White सुनो मिर्जा! तुम प्रेमी- प्रेमिका के भेद मे मत पड़ना इनके स्वाँग ने सब ले डूबा है मेरी कद्र का इतना मान रखो और जाओ उन परती जमीनों पर निस्वार्थ प्रेम बो दो जिन पर किसान भी अनाज उपजाने से हिचकते है उन पहाड़ों को आवाज़ दे के जगा दो जो सदियों से किसी खास के लालसा मे दहकते दर्प बने हुए है जाओ उन नदियों को अपने होंठो का सलाम दे के अनंत तक बुझा दो उनकी प्यास फ़िर देखना जिन जिन को तुम मुक्त होंगे उन उन मे सिर्फ़ मुझे पाओगे वरना मुझ पहेली को प्रेम के बिना ईश भी सुलझा नही पायेंगे ©चाँदनी

#love_shayari  White सुनो मिर्जा! तुम प्रेमी- प्रेमिका
के भेद मे मत पड़ना

इनके स्वाँग ने सब ले डूबा है
मेरी कद्र का इतना मान रखो और

जाओ उन परती जमीनों पर निस्वार्थ
 प्रेम बो दो जिन पर किसान भी अनाज
 उपजाने से हिचकते है

उन पहाड़ों को आवाज़ दे के
जगा दो जो सदियों से किसी
 खास के लालसा मे दहकते दर्प बने हुए है

जाओ उन नदियों को अपने होंठो का सलाम दे
के अनंत तक बुझा दो उनकी प्यास 
 
फ़िर देखना जिन जिन को तुम मुक्त होंगे
उन उन मे सिर्फ़ मुझे पाओगे

वरना मुझ पहेली को
प्रेम के बिना ईश भी सुलझा नही पायेंगे

©चाँदनी

#love_shayari

15 Love

जनवरी अपने हथेली पर मेरे प्रेम की धुंध लिए जा रही है तुम सिहरन भरो तो समझना ये सर्द वादों की पक्की है ©चाँदनी

#सर्द  जनवरी अपने हथेली पर मेरे प्रेम 
की धुंध लिए जा रही है

तुम सिहरन भरो तो समझना
ये सर्द वादों की पक्की है

©चाँदनी

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी की चिलचिलाती सर्द और उफनते धुंध मे भी मै दुशाला को कभी ख़ुद के देह का मसान फूकने नही दी जालिम! मेरे देह ने एक परत अलाव से दहकते स्पर्श तुम्हारे ओढ़ रखे है ©चाँदनी

#जनवरी  a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी की चिलचिलाती सर्द 
और उफनते धुंध मे भी

मै दुशाला को कभी ख़ुद के देह का 
मसान फूकने नही दी

जालिम! मेरे देह ने एक परत
अलाव से दहकते स्पर्श 
तुम्हारे ओढ़ रखे है

©चाँदनी
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