White मै हर रात ख़ुद को बिधुनते हुए
इसी फिराक मे ख्वाब मे तैरते रहती हूँ की
उन प्राचीन सभ्यतों मे जैसे
रेत को लिखने के लिए पचास शब्द थे
काश आज की रात प्रेम पर लिखने के लिए
मेरे पास अनंत के कामना से परिपूर्ण
महासंख् शब्द होते
मै ख्वाब मे इतना लात हाँथ मरते हुए
भी नही उबर पाती तो ये सोच के खुद
को डूबा देती हूँ की स्मृति के लिए
भी तो कोई शब्द नही
अंततः रात लबालब उफनता है और
उगल देता है अपने आखिरी प्रहर मे
सूर्य मुझे फ़िर से छान लेता है एक नये
ऊर्जा से ग्रस्त रात के लिए....!!
©चाँदनी
#sad_shayari