White सुनो मिर्जा! तुम प्रेमी- प्रेमिका के भेद मे | हिंदी Poetry

"White सुनो मिर्जा! तुम प्रेमी- प्रेमिका के भेद मे मत पड़ना इनके स्वाँग ने सब ले डूबा है मेरी कद्र का इतना मान रखो और जाओ उन परती जमीनों पर निस्वार्थ प्रेम बो दो जिन पर किसान भी अनाज उपजाने से हिचकते है उन पहाड़ों को आवाज़ दे के जगा दो जो सदियों से किसी खास के लालसा मे दहकते दर्प बने हुए है जाओ उन नदियों को अपने होंठो का सलाम दे के अनंत तक बुझा दो उनकी प्यास फ़िर देखना जिन जिन को तुम मुक्त होंगे उन उन मे सिर्फ़ मुझे पाओगे वरना मुझ पहेली को प्रेम के बिना ईश भी सुलझा नही पायेंगे ©चाँदनी"

 White सुनो मिर्जा! तुम प्रेमी- प्रेमिका
के भेद मे मत पड़ना

इनके स्वाँग ने सब ले डूबा है
मेरी कद्र का इतना मान रखो और

जाओ उन परती जमीनों पर निस्वार्थ
 प्रेम बो दो जिन पर किसान भी अनाज
 उपजाने से हिचकते है

उन पहाड़ों को आवाज़ दे के
जगा दो जो सदियों से किसी
 खास के लालसा मे दहकते दर्प बने हुए है

जाओ उन नदियों को अपने होंठो का सलाम दे
के अनंत तक बुझा दो उनकी प्यास 
 
फ़िर देखना जिन जिन को तुम मुक्त होंगे
उन उन मे सिर्फ़ मुझे पाओगे

वरना मुझ पहेली को
प्रेम के बिना ईश भी सुलझा नही पायेंगे

©चाँदनी

White सुनो मिर्जा! तुम प्रेमी- प्रेमिका के भेद मे मत पड़ना इनके स्वाँग ने सब ले डूबा है मेरी कद्र का इतना मान रखो और जाओ उन परती जमीनों पर निस्वार्थ प्रेम बो दो जिन पर किसान भी अनाज उपजाने से हिचकते है उन पहाड़ों को आवाज़ दे के जगा दो जो सदियों से किसी खास के लालसा मे दहकते दर्प बने हुए है जाओ उन नदियों को अपने होंठो का सलाम दे के अनंत तक बुझा दो उनकी प्यास फ़िर देखना जिन जिन को तुम मुक्त होंगे उन उन मे सिर्फ़ मुझे पाओगे वरना मुझ पहेली को प्रेम के बिना ईश भी सुलझा नही पायेंगे ©चाँदनी

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