a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी की चि | English Poetry

"a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी की चिलचिलाती सर्द और उफनते धुंध मे भी मै दुशाला को कभी ख़ुद के देह का मसान फूकने नही दी जालिम! मेरे देह ने एक परत अलाव से दहकते स्पर्श तुम्हारे ओढ़ रखे है ©चाँदनी"

 a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी की चिलचिलाती सर्द 
और उफनते धुंध मे भी

मै दुशाला को कभी ख़ुद के देह का 
मसान फूकने नही दी

जालिम! मेरे देह ने एक परत
अलाव से दहकते स्पर्श 
तुम्हारे ओढ़ रखे है

©चाँदनी

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset जनवरी की चिलचिलाती सर्द और उफनते धुंध मे भी मै दुशाला को कभी ख़ुद के देह का मसान फूकने नही दी जालिम! मेरे देह ने एक परत अलाव से दहकते स्पर्श तुम्हारे ओढ़ रखे है ©चाँदनी

#जनवरी

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