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जिंद़गी ©vish

#कविता  जिंद़गी

©vish

# नये साल को सलाम

15 Love

रूप तुझे .... रूप तुझे अंधारात लखलखणाऱ्या प्रकाशित ताऱ्यांसारखे. रूप तुझे कोळशाच्या खाणीत चमचमणाऱ्या हिऱ्यासारखे. रूप तुझे सागरात असणाऱ्या शिंपल्यातील शुभ्र मोत्यासारखे. रूप तुझे मोगऱ्याचा सुगंध बागेत दरवळल्यासारखे. रूप तुझे साजिरी गोजिरी दिसणाऱ्या नक्षत्रासारखे. रूप तुझे मंद झुळझुळ वाहणाऱ्या संथ वाऱ्यासारखे. रूप तुझे रात्रीच्या गोड लाजणाऱ्या चंद्रासारखे. रूप तुझे सुंदर मनाला भुरळ घालणाऱ्या मोहिनी सारखे. ©Mayuri Bhosale

#मराठीकविता #रूप  रूप तुझे ....

रूप तुझे 
       अंधारात लखलखणाऱ्या  प्रकाशित ताऱ्यांसारखे.
रूप तुझे 
        कोळशाच्या खाणीत चमचमणाऱ्या हिऱ्यासारखे.
रूप तुझे 
        सागरात असणाऱ्या शिंपल्यातील शुभ्र मोत्यासारखे.
रूप तुझे 
        मोगऱ्याचा सुगंध बागेत दरवळल्यासारखे. 
रूप तुझे 
        साजिरी गोजिरी दिसणाऱ्या नक्षत्रासारखे. 
रूप तुझे 
        मंद झुळझुळ वाहणाऱ्या संथ वाऱ्यासारखे.
रूप तुझे 
        रात्रीच्या गोड लाजणाऱ्या चंद्रासारखे. 
रूप तुझे 
       सुंदर मनाला भुरळ घालणाऱ्या मोहिनी सारखे.

©Mayuri Bhosale

#रूप तुझे

13 Love

#वीडियो #माँ

#माँ

387 View

White जय माँ लक्ष्मी🙏💞 ©sweety

#भक्ति  White जय माँ लक्ष्मी🙏💞

©sweety

माँ

15 Love

Maa कहाँ हो लिखो माँ कभी तो मिलो माँ कैसी हो बताओ माँ मिलने तो आओ माँ कितनी दूर हो माँ मेरे पास आओ माँ हर सांस पर कर्ज है तेरा माँ फिर से चुकाने का मौका दो माँ जिंदगी में नहीं सोचा था कभी माँ आप भी मुझे छोड़ कर चलीं जाएंगी माँ ©DR. LAVKESH GANDHI

 Maa  कहाँ हो लिखो माँ 
कभी तो मिलो माँ 
कैसी हो बताओ माँ 
मिलने तो आओ माँ 
कितनी दूर हो माँ 
मेरे पास आओ माँ 
हर सांस पर कर्ज है तेरा माँ 
फिर से चुकाने का मौका दो माँ
जिंदगी में नहीं सोचा था कभी माँ 
आप भी मुझे छोड़ कर चलीं जाएंगी माँ

©DR. LAVKESH GANDHI

#माँ # #मेरी माँ कहाँ हो #

16 Love

White माँ ________ -------------- ‌‌‌‌‌‌ शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे तुमको अपनी बात समझने के लिए मेरे चेहरे के भाव काफी हैं मेरे मन का हाल बतलाने के लिए जीवन के संघर्षों से- जब भी यह मन घबराता है 'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा' तुम्हारा यही कहना याद आता है खो दिया तुमने खु़द को मुझे आकार देने में मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी जो थी तुम्हारे हिस्से में अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी और दिन के अन्त में- तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का बिना बात के रूठ जाने का मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी- तुम्हारा दिल पिघल जाता है समझ में नहीं आता है कि- न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश ©Riyanka Alok Madeshiya

#माँ  White माँ
________
--------------
     ‌‌‌‌‌‌       

शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे
तुमको अपनी बात समझने के लिए
मेरे चेहरे के भाव काफी हैं
मेरे मन का हाल बतलाने के लिए

जीवन के संघर्षों से-
जब भी यह मन घबराता है
'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा'
तुम्हारा यही कहना याद आता है

खो दिया तुमने खु़द को
मुझे आकार देने में
मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी
जो थी तुम्हारे हिस्से में

अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं
तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है

काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, 
और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता

जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए
मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी
और दिन के अन्त में-
तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी

तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का
बिना बात के रूठ जाने का
मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी-
तुम्हारा दिल पिघल जाता है

समझ में नहीं आता है कि-
न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं।

         स्वरचित और मौलिक
           रियंका आलोक मदेशिया
पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश

©Riyanka Alok Madeshiya

#माँ

13 Love

जिंद़गी ©vish

#कविता  जिंद़गी

©vish

# नये साल को सलाम

15 Love

रूप तुझे .... रूप तुझे अंधारात लखलखणाऱ्या प्रकाशित ताऱ्यांसारखे. रूप तुझे कोळशाच्या खाणीत चमचमणाऱ्या हिऱ्यासारखे. रूप तुझे सागरात असणाऱ्या शिंपल्यातील शुभ्र मोत्यासारखे. रूप तुझे मोगऱ्याचा सुगंध बागेत दरवळल्यासारखे. रूप तुझे साजिरी गोजिरी दिसणाऱ्या नक्षत्रासारखे. रूप तुझे मंद झुळझुळ वाहणाऱ्या संथ वाऱ्यासारखे. रूप तुझे रात्रीच्या गोड लाजणाऱ्या चंद्रासारखे. रूप तुझे सुंदर मनाला भुरळ घालणाऱ्या मोहिनी सारखे. ©Mayuri Bhosale

#मराठीकविता #रूप  रूप तुझे ....

रूप तुझे 
       अंधारात लखलखणाऱ्या  प्रकाशित ताऱ्यांसारखे.
रूप तुझे 
        कोळशाच्या खाणीत चमचमणाऱ्या हिऱ्यासारखे.
रूप तुझे 
        सागरात असणाऱ्या शिंपल्यातील शुभ्र मोत्यासारखे.
रूप तुझे 
        मोगऱ्याचा सुगंध बागेत दरवळल्यासारखे. 
रूप तुझे 
        साजिरी गोजिरी दिसणाऱ्या नक्षत्रासारखे. 
रूप तुझे 
        मंद झुळझुळ वाहणाऱ्या संथ वाऱ्यासारखे.
रूप तुझे 
        रात्रीच्या गोड लाजणाऱ्या चंद्रासारखे. 
रूप तुझे 
       सुंदर मनाला भुरळ घालणाऱ्या मोहिनी सारखे.

©Mayuri Bhosale

#रूप तुझे

13 Love

#वीडियो #माँ

#माँ

387 View

White जय माँ लक्ष्मी🙏💞 ©sweety

#भक्ति  White जय माँ लक्ष्मी🙏💞

©sweety

माँ

15 Love

Maa कहाँ हो लिखो माँ कभी तो मिलो माँ कैसी हो बताओ माँ मिलने तो आओ माँ कितनी दूर हो माँ मेरे पास आओ माँ हर सांस पर कर्ज है तेरा माँ फिर से चुकाने का मौका दो माँ जिंदगी में नहीं सोचा था कभी माँ आप भी मुझे छोड़ कर चलीं जाएंगी माँ ©DR. LAVKESH GANDHI

 Maa  कहाँ हो लिखो माँ 
कभी तो मिलो माँ 
कैसी हो बताओ माँ 
मिलने तो आओ माँ 
कितनी दूर हो माँ 
मेरे पास आओ माँ 
हर सांस पर कर्ज है तेरा माँ 
फिर से चुकाने का मौका दो माँ
जिंदगी में नहीं सोचा था कभी माँ 
आप भी मुझे छोड़ कर चलीं जाएंगी माँ

©DR. LAVKESH GANDHI

#माँ # #मेरी माँ कहाँ हो #

16 Love

White माँ ________ -------------- ‌‌‌‌‌‌ शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे तुमको अपनी बात समझने के लिए मेरे चेहरे के भाव काफी हैं मेरे मन का हाल बतलाने के लिए जीवन के संघर्षों से- जब भी यह मन घबराता है 'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा' तुम्हारा यही कहना याद आता है खो दिया तुमने खु़द को मुझे आकार देने में मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी जो थी तुम्हारे हिस्से में अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी और दिन के अन्त में- तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का बिना बात के रूठ जाने का मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी- तुम्हारा दिल पिघल जाता है समझ में नहीं आता है कि- न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश ©Riyanka Alok Madeshiya

#माँ  White माँ
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     ‌‌‌‌‌‌       

शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे
तुमको अपनी बात समझने के लिए
मेरे चेहरे के भाव काफी हैं
मेरे मन का हाल बतलाने के लिए

जीवन के संघर्षों से-
जब भी यह मन घबराता है
'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा'
तुम्हारा यही कहना याद आता है

खो दिया तुमने खु़द को
मुझे आकार देने में
मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी
जो थी तुम्हारे हिस्से में

अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं
तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है

काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, 
और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता

जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए
मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी
और दिन के अन्त में-
तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी

तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का
बिना बात के रूठ जाने का
मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी-
तुम्हारा दिल पिघल जाता है

समझ में नहीं आता है कि-
न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं।

         स्वरचित और मौलिक
           रियंका आलोक मदेशिया
पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश

©Riyanka Alok Madeshiya

#माँ

13 Love

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