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jindgi_in.poetry
खयालों में बस नही है मेरा बस तुम्हारे खयालों में खोई रहती हूँ जानती हूँ अब तुम्हारे पास वक़्त नहीं है फिर भी उस वक़्त को ढूंढती हूँ क्या ये शिकायत मुझे ही है या सभी को इसका जवाब ढूँढतीं हूँ ये जो वक़्त का फ़ासला आया है हमारे बीच मैं उसकी ख़ता ढुँढती हूँ कामयाबी आपको हर लम्हा मिले ये दुआ करतीं हूँ बस आपके कुछ लम्हों में खुद को ढूँढती हूँ प्यार में जो सज़ा मिली है हमे मैं उस गुनाह को ढूँढती हूँ जिंद़गी ©vish
vish
10 Love
फ़र्ज की राह में चल पड़े जिम्मेदारियों का बोझ उठा कर जिंद़गी जीना भुल गये ख्वाहिशों की चीता जलाकर ©vish
प्यार में खुद को भुला बैठे हम मुकम्मल फिर भी ना ईश्क़ हुआ महोब्बत में ये गुनाह हुआ हमसे बेपनाह हमे इश्क़ हुआ.. ©vish
15 Love
सोचा चलो आज कुछ लिखते हैं दास्ताँ ने ख़ास रखते हैं आपके सामने कुछ महफूज़ रखते हैं कुछ दिल की बात साझा करते हैं महफ़िलें रंगिन हुई होगी कईं इस पल को यादगार करते हैं आज कुछ कह चलते हैं जिंद़गी ©vish
16 Love
जिंद़गी ©vish
14 Love
Unsplash जिंद़गी तेरे साथ हो.. उम्र भर तेरा हाथो में हाथ हो, लड़े हम चाहे जितना भी बिछड़ने की ना कोई बात हो.. ©vish
12 Love
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