Riyanka Alok Madeshiya

Riyanka Alok Madeshiya

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चाॅंद तू चकोर मैं तेरे चहुँ ओर चक्कर लगा के चित्त तेरा मैं चुराउॅंगी। मनभावन, मनमोहनी मूरतियाॅं को मतवारे इस मन में बसाऊॅंगी। प्रेम जो अगर पा लिया इस पागल मन में, तो देख-देख दर्पण में छवि अपनी ही इतराऊँगी। जग -जग रतियों को सोच कर तेरी बतियों को, मौन रहकर मंद मंद मुस्काऊॅंगी। करके श्रृंगार करुॅंगी तेरा इंतजार, तू आए या ना आए मैं तो जग कर पूरी रात गुजरूॅंगी। चाहे दुनियाँ अब बावली कहें मुझको, लेकिन अब मैं तुझको ना बिसराउॅंगी। माना मैं हूंँ गोरी ;तू सांवला सलोना है, प्रेम में तेरे रंग मैं भी रंग जाऊॅंगी। दूॅंगी बिसरा दुख -दर्द इस दुनियाँ के, बस तेरी हो के तुझमे समा जाऊंगी। ©Riyanka Alok Madeshiya

#Chand  चाॅंद तू चकोर मैं तेरे चहुँ ओर चक्कर लगा के चित्त तेरा मैं चुराउॅंगी। 
मनभावन, मनमोहनी मूरतियाॅं को मतवारे इस मन में बसाऊॅंगी। 

प्रेम जो अगर पा लिया इस पागल मन में, 
तो देख-देख दर्पण में छवि अपनी ही इतराऊँगी। 

जग -जग रतियों को सोच कर तेरी बतियों को, 
मौन रहकर मंद मंद मुस्काऊॅंगी। 

करके श्रृंगार करुॅंगी तेरा इंतजार, 
तू आए या ना आए मैं तो जग कर पूरी रात गुजरूॅंगी। 

चाहे दुनियाँ अब बावली कहें मुझको, 
लेकिन अब मैं तुझको ना बिसराउॅंगी। 

माना मैं हूंँ गोरी ;तू सांवला सलोना है, 
प्रेम में तेरे रंग मैं भी रंग जाऊॅंगी।


दूॅंगी बिसरा दुख -दर्द इस दुनियाँ के, 
बस तेरी हो के तुझमे समा जाऊंगी।

©Riyanka Alok Madeshiya

#Chand

14 Love

White माँ ________ -------------- ‌‌‌‌‌‌ शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे तुमको अपनी बात समझने के लिए मेरे चेहरे के भाव काफी हैं मेरे मन का हाल बतलाने के लिए जीवन के संघर्षों से- जब भी यह मन घबराता है 'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा' तुम्हारा यही कहना याद आता है खो दिया तुमने खु़द को मुझे आकार देने में मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी जो थी तुम्हारे हिस्से में अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी और दिन के अन्त में- तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का बिना बात के रूठ जाने का मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी- तुम्हारा दिल पिघल जाता है समझ में नहीं आता है कि- न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश ©Riyanka Alok Madeshiya

#माँ  White माँ
________
--------------
     ‌‌‌‌‌‌       

शब्दों की जरूरत नहीं होती मुझे
तुमको अपनी बात समझने के लिए
मेरे चेहरे के भाव काफी हैं
मेरे मन का हाल बतलाने के लिए

जीवन के संघर्षों से-
जब भी यह मन घबराता है
'मैं हूंँ ना ' , 'सब ठीक हो जायेगा'
तुम्हारा यही कहना याद आता है

खो दिया तुमने खु़द को
मुझे आकार देने में
मैंनें ही तो जी हैं ;वो खु़शियाँ भी
जो थी तुम्हारे हिस्से में

अब लोग रूठतें हैं ; मनातें नहीं हैं
तेरी तरह मेरी ग़लतियाँ छुपाते नहीं है

काश! ये समय का पहिया वापस घूम पाता, 
और मुझे बचपन की गलियों में ले जाता

जब तुम लोगों की नजरों से बचाने के लिए
मुझे काज़ल का टीका लगाया करती थी
और दिन के अन्त में-
तुम खुद अपनी ही लगी नजर उतरती थी

तुमने मुझको हक़ दिया हैं ;खु़द को सताने का
बिना बात के रूठ जाने का
मेरे झूठें ऑंसुओं पर भी-
तुम्हारा दिल पिघल जाता है

समझ में नहीं आता है कि-
न जाने किस मिट्टी से ऊपर वाला माँ को बनाता हैं।

         स्वरचित और मौलिक
           रियंका आलोक मदेशिया
पडरौना ,कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश

©Riyanka Alok Madeshiya

#माँ

13 Love

White मान क्यों नहीं लेते? कि मैं जिन्दा हूंँ! देखो ना ... मेरी हथेलियाँ गर्म है सांसें भी चल रही हैं बस.... ये होंठ ही तो मौन हुए हैं और इन ऑंखों ने सपनों का अर्घ देकर उम्र भर की प्यास चुन ली है और मैं खुद को भूल चुकीं हूँ... बस... बाकी तो सब ठीक है तो तुम! मान क्यों नहीं लेते? कि मैं जिन्दा हूँ... रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya

#sad_dp #SAD  White मान क्यों नहीं लेते? 
कि मैं जिन्दा हूंँ! 
देखो ना ... 
मेरी हथेलियाँ गर्म है
सांसें भी चल रही हैं
बस.... 
ये होंठ ही तो
मौन हुए हैं
और इन ऑंखों ने
सपनों का अर्घ देकर
उम्र भर की प्यास चुन ली है
और मैं खुद को
भूल चुकीं हूँ... 
बस... 
बाकी तो सब ठीक है
तो तुम! 
मान क्यों नहीं लेते? 
कि मैं जिन्दा हूँ...

रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya

#sad_dp

15 Love

White क्या फायदा पूछने का; कि मैं कैसी हूंँ। अपने जैसा छोड़ा था ;बस मैं वैसी हूंँ। ज़ख्मी दिल में अब दर्द कहां होता हैं, अब तो आप जैसे हैं ;मैं वैसी हूंँ। रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya

#SAD  White क्या फायदा पूछने का; कि मैं कैसी हूंँ। 
अपने जैसा छोड़ा था ;बस मैं वैसी हूंँ। 
ज़ख्मी दिल में अब दर्द कहां होता हैं, 
अब तो आप जैसे हैं ;मैं वैसी हूंँ।
रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya

#SAD

10 Love

White ये वक्त जो..... ---------------- ये वक्त जो गुजर रहा है,,, हाथों से रेत की तरह फिसल रहा है, कसती हूँ ;मुट्ठी को जितना- उतनी तेजी से निकल रहा है, मन होकर विकल मेरा उससे ये याचना कर रहा है कि- थोड़ा- सा थम जाओ ना ;इतनी भी क्या जल्दी है! शेष तो अभी कहाँ,,,! कृत्यों की कतार अभी बहुत ही लम्बी है,,,! जीवन- पथ की ये सड़क अभी तो बहुत ही कच्ची है। खुश होना है; खुश करना है, जीवन के उद्देश्यों को पूरा करना है, मानव की इस आकाशगंगा का सूरज मुझको बना है। चलो! तुम थमो नहीं, लेकिन रफ्तार धीमी तो कर सकते हो,,, कार्यों को सिद्ध करने में सहयोग तो कर सकते हो। हौसले में तो है; कमी नहीं , चल भी रही हूंँ तेज ;लेकिन अपनों से थोड़ी सी अपनेपन की प्रतीक्षा है। आएगा वह दिन भी जब तुम- स्वयं को मुझमें पा कर इतराओगें, खुश हो जाओगे जब तुम; मेरे नाम से भी पुकारे जाओगे। थोड़ा- सा थम जाओ ना ;इतनी भी क्या जल्दी है! शेष तो अभी कहाँ,,,! कृत्यों की कतार अभी बहुत ही लम्बी है....! रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya

#वक्त  White ये वक्त जो..... 
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ये वक्त जो गुजर रहा है,,, 
हाथों से रेत की तरह फिसल रहा है, 
कसती हूँ ;मुट्ठी को जितना-
उतनी  तेजी से निकल रहा है, 
मन होकर विकल मेरा
उससे ये याचना कर रहा है कि-
थोड़ा- सा थम जाओ ना ;इतनी भी क्या जल्दी है!
शेष तो अभी कहाँ,,,! 
कृत्यों की कतार अभी बहुत ही लम्बी है,,,! 
जीवन- पथ की ये सड़क अभी तो बहुत ही कच्ची है। 
खुश होना है; खुश करना है, 
जीवन के उद्देश्यों को पूरा करना है, 
मानव की इस आकाशगंगा का सूरज मुझको बना है। 
चलो! तुम थमो नहीं,
लेकिन रफ्तार धीमी तो कर सकते हो,,, 
कार्यों को सिद्ध करने में सहयोग तो कर सकते हो। 
हौसले में तो है; कमी नहीं , 
चल भी रही हूंँ तेज ;लेकिन अपनों से थोड़ी सी अपनेपन की प्रतीक्षा है। 
आएगा वह दिन भी जब तुम-
स्वयं को मुझमें पा कर इतराओगें, 
खुश हो जाओगे जब तुम; मेरे नाम से भी पुकारे जाओगे। 
थोड़ा- सा थम जाओ ना ;इतनी भी क्या जल्दी है! 
शेष तो अभी कहाँ,,,! 
कृत्यों की कतार अभी बहुत ही लम्बी है....!

रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya

White चलना है विश्राम नहीं है.... ------------------------------ चलना है विश्राम नहीं है। व्यर्थ में करना आराम नहीं है। अमूल्य समय गंवाने से, बनता कोई काम नहीं है। समय जो एक बार चला जाएगा। वापस वह लौट कर नहीं आएगा। चाहे तुम जितना जोर लगा लो, समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। जीवन को ना समझो सुमन-पथ। यह तो है ;बिन पहियों का रथ। खींच कर तुमको ले जाना है, और पार करना है यह अग्निपथ। संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya

#चलना  White चलना है विश्राम नहीं है.... 
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चलना है विश्राम नहीं है। 
व्यर्थ में करना आराम नहीं है। 
अमूल्य समय गंवाने से, 
बनता कोई काम नहीं है। 

समय जो एक बार चला जाएगा। 
वापस वह लौट कर नहीं आएगा। 
चाहे तुम जितना जोर लगा लो, 
समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। 

जीवन को ना समझो  सुमन-पथ। 
यह तो है ;बिन पहियों का रथ। 
खींच कर तुमको ले जाना है, 
और पार करना है यह अग्निपथ। 

 संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। 
तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। 
अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, 
तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। 

स्वरचित और मौलिक

रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya

#चलना है विश्राम नहीं है

10 Love

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