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New ठंडी मटकी रो पानी टपके Status, Photo, Video

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White पल्लव की डायरी घोसले जानवरो जैसे पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है रहता जिसमे हवा पानी का अभाव घुटन भरी शाम है ना सूरज ना चाँद का दीदार है अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये कुछ टुकड़े लालच के फेककर गाँवो से होता पलायन है सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से मगर हो चला गुमशुदा आदमी यहाँ अपनी पहचान से प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#alone_sad_shayri #कविता  White पल्लव की डायरी
घोसले जानवरो जैसे
पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है
रहता जिसमे हवा पानी का अभाव
घुटन भरी शाम है
ना सूरज ना चाँद का दीदार है
अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये
कुछ टुकड़े लालच के  फेककर
गाँवो से होता पलायन है
सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से
मगर हो चला गुमशुदा 
आदमी यहाँ अपनी पहचान से
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#alone_sad_shayri रहता जिसमे हवा पानी का अभाव है

19 Love

तेरे एक इशारे पर तेरी हो सकती हूं मैं कुछ नहीं है पास खोने को फिर भी बहुत कुछ खो सकती हूं मैं पत्थर सी बन गई हूं ,और पत्थर बने है जज्बात अगर तू लगाले गले तो जी भरकर रो सकती हूं मैं ......... ©seema patidar

 तेरे एक इशारे पर तेरी हो सकती हूं मैं
कुछ नहीं है पास खोने को 
फिर भी बहुत कुछ खो सकती हूं मैं
पत्थर सी बन गई हूं ,और पत्थर बने है जज्बात
अगर तू लगाले गले तो जी भरकर 
रो सकती हूं मैं .........

©seema patidar

जी भरकर रो सकती हूं मैं ......

16 Love

White पानी की हो किल्लत जितनी, नेता को यह भाता है‌। पानी - पानी कर देने के, वादों पर इतराता है।। पानी स्वयं तत्व होने का अपना बोध कराता है। जिनका पानी उतर गया वह ईंधन ही हो जाता है।। ©Shiv Narayan Saxena

#good_night  White पानी की हो किल्लत जितनी, नेता को यह भाता है‌।
पानी - पानी कर  देने  के,  वादों  पर  इतराता  है।।
पानी  स्वयं  तत्व  होने  का  अपना  बोध कराता है।
जिनका पानी उतर गया वह ईंधन ही हो जाता है।।

©Shiv Narayan Saxena

#good_night पानी की बात. hindi poetry

20 Love

#वीडियो

किसानों ने खाद बीज पानी की उठाई मांग

180 View

White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों, लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता। क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम, तुम्हारे चेहरे पर  मातम सा अब अच्छा नहीं लगता। तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे, तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता। तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।। पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली ©ek_tukda_zindgi _12

#कविता #gajal  White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों,
लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता।

क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम,
तुम्हारे चेहरे पर  मातम सा अब अच्छा नहीं लगता।

तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे,
तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता।

तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब
कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।।

पूनम सिंह भदौरिया
दिल्ली

©ek_tukda_zindgi _12

मेरे जीते जी रो लेता..........#कविता #Poetry #gajal

12 Love

White वो नदी समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए ©Parasram Arora

 White वो नदी  समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ 
क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल 

समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए

©Parasram Arora

नदी और उसका मीता पानी

11 Love

White पल्लव की डायरी घोसले जानवरो जैसे पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है रहता जिसमे हवा पानी का अभाव घुटन भरी शाम है ना सूरज ना चाँद का दीदार है अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये कुछ टुकड़े लालच के फेककर गाँवो से होता पलायन है सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से मगर हो चला गुमशुदा आदमी यहाँ अपनी पहचान से प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#alone_sad_shayri #कविता  White पल्लव की डायरी
घोसले जानवरो जैसे
पिंजरो जैसे फ्लैटों में मानव का अब मकान है
रहता जिसमे हवा पानी का अभाव
घुटन भरी शाम है
ना सूरज ना चाँद का दीदार है
अगर जिंदगी की गुजर बसर के लिये
कुछ टुकड़े लालच के  फेककर
गाँवो से होता पलायन है
सजे है शहर भीडो से, तरक्की के नाम से
मगर हो चला गुमशुदा 
आदमी यहाँ अपनी पहचान से
                                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#alone_sad_shayri रहता जिसमे हवा पानी का अभाव है

19 Love

तेरे एक इशारे पर तेरी हो सकती हूं मैं कुछ नहीं है पास खोने को फिर भी बहुत कुछ खो सकती हूं मैं पत्थर सी बन गई हूं ,और पत्थर बने है जज्बात अगर तू लगाले गले तो जी भरकर रो सकती हूं मैं ......... ©seema patidar

 तेरे एक इशारे पर तेरी हो सकती हूं मैं
कुछ नहीं है पास खोने को 
फिर भी बहुत कुछ खो सकती हूं मैं
पत्थर सी बन गई हूं ,और पत्थर बने है जज्बात
अगर तू लगाले गले तो जी भरकर 
रो सकती हूं मैं .........

©seema patidar

जी भरकर रो सकती हूं मैं ......

16 Love

White पानी की हो किल्लत जितनी, नेता को यह भाता है‌। पानी - पानी कर देने के, वादों पर इतराता है।। पानी स्वयं तत्व होने का अपना बोध कराता है। जिनका पानी उतर गया वह ईंधन ही हो जाता है।। ©Shiv Narayan Saxena

#good_night  White पानी की हो किल्लत जितनी, नेता को यह भाता है‌।
पानी - पानी कर  देने  के,  वादों  पर  इतराता  है।।
पानी  स्वयं  तत्व  होने  का  अपना  बोध कराता है।
जिनका पानी उतर गया वह ईंधन ही हो जाता है।।

©Shiv Narayan Saxena

#good_night पानी की बात. hindi poetry

20 Love

#वीडियो

किसानों ने खाद बीज पानी की उठाई मांग

180 View

White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों, लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता। क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम, तुम्हारे चेहरे पर  मातम सा अब अच्छा नहीं लगता। तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे, तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता। तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।। पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली ©ek_tukda_zindgi _12

#कविता #gajal  White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों,
लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता।

क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम,
तुम्हारे चेहरे पर  मातम सा अब अच्छा नहीं लगता।

तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे,
तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता।

तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब
कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।।

पूनम सिंह भदौरिया
दिल्ली

©ek_tukda_zindgi _12

मेरे जीते जी रो लेता..........#कविता #Poetry #gajal

12 Love

White वो नदी समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए ©Parasram Arora

 White वो नदी  समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ 
क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल 

समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए

©Parasram Arora

नदी और उसका मीता पानी

11 Love

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