White हो गई आज शाम सब कवियों को प्रणाम,
भीनी सी धूप लिए सूर्य देव चलने लगे,
ठंड का है ऐसा काम काँप रहे श्वास थाम,
टोपी मफलर रजाई कम्बल सब निकलने लगे।
गर्म पानी की है भाप, लकड़ी कोयला रहे ताप,
कम्पकपी में आह और आह करने लगे,
सुन रहे है सारे जन, लगा के मन की लगन,
धीरे धीरे सारे वाह वाह करने लगे।
गिर गया है तापमान, लोग सारे परेशान,
सारा भोजन गर्मा गरम निगलने लगे,
वस्त्रों का नहीं है भान, पहने हुए सब समान,
सर्दियों में सूरज की माला जपने लगे।
अंतिम ये बंद देखो, सही लगे तो छंद देखो,
तालियों से क्यों आप परहेज़ करने लगे,
जोश गर है तो दिखाओ, ऐसे नहीं शर्माओ,
जिससे एक एक कर कार्यक्रम आगे बढ़ने लगे।
©Rangmanch Bharat
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