अँखियों में पानी लेके भीगी सी कहानी लेके, क्या पत | हिंदी Shayari

"अँखियों में पानी लेके भीगी सी कहानी लेके, क्या पता इतने रस्ते हम कैसे चलते गये। जीवन था दूभर सा और घमंड था नश्वर सा, समय की रेत पे ये निशॉं बनते गये। दान बड़ा देना पड़ेगा काँटों को लेना पड़ेगा, धीरे धीरे सारे किस्से दास्तॉं बनते गये। मौत का समंदर था भयंकर बवंडर था, लहरों के चट्टे आसमानी बनते गये। नम सी उम्मीद लेके इश्क़ की खरीद लेके, हम भी रूहानी से जिस्मानी बनते गये। नाटक आज देख के किरदार को समेट के, दर्शक सारे सुन वाहवाही करते गये। अंतिम यह छंद देखो आवाज़ है बुलंद देखो, आप सारे शब्दों की आज़माइश देखते गये। ©Rangmanch Bharat"

 अँखियों में पानी लेके भीगी सी कहानी लेके,

क्या पता इतने रस्ते हम कैसे चलते गये।

जीवन था दूभर सा और घमंड था नश्वर सा,

समय की रेत पे ये निशॉं बनते गये।

दान बड़ा देना पड़ेगा काँटों को लेना पड़ेगा,

धीरे धीरे सारे किस्से दास्तॉं बनते गये।

मौत का समंदर था भयंकर बवंडर था,

लहरों के चट्टे आसमानी बनते गये।

नम सी उम्मीद लेके इश्क़ की खरीद लेके,

हम भी रूहानी से जिस्मानी बनते गये।

नाटक आज देख के किरदार को समेट के,

दर्शक सारे सुन वाहवाही करते गये।

अंतिम यह छंद देखो आवाज़ है बुलंद देखो,

आप सारे शब्दों की आज़माइश देखते गये।

©Rangmanch Bharat

अँखियों में पानी लेके भीगी सी कहानी लेके, क्या पता इतने रस्ते हम कैसे चलते गये। जीवन था दूभर सा और घमंड था नश्वर सा, समय की रेत पे ये निशॉं बनते गये। दान बड़ा देना पड़ेगा काँटों को लेना पड़ेगा, धीरे धीरे सारे किस्से दास्तॉं बनते गये। मौत का समंदर था भयंकर बवंडर था, लहरों के चट्टे आसमानी बनते गये। नम सी उम्मीद लेके इश्क़ की खरीद लेके, हम भी रूहानी से जिस्मानी बनते गये। नाटक आज देख के किरदार को समेट के, दर्शक सारे सुन वाहवाही करते गये। अंतिम यह छंद देखो आवाज़ है बुलंद देखो, आप सारे शब्दों की आज़माइश देखते गये। ©Rangmanch Bharat

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