"वीर विनायक सावरकर जी"
एक मात्र कर्तव्य था जिसका , करना राष्ट्र की साधना ।
अपना फर्ज निभाया उसने, मां भारती की करके आराधना।
उस बेटे को तब सजा, काला पानी की दी जाती है।
अंडमान की जेलें भी , ये क्रुर कहानी बतलाती है।
राजनीति की क्रुर नीतिया ,तब कुछ ऐसा कह जाती है।
खुद को गांधी बतलाकर , सावरकर को गाली दी जाती है।
तुम एक बार जाकर तो देखो , अंडमान काला पानी।
जहां वीर विनायक सावरकर ने , मां भारती को सौंप दी अपनी जवानी।
समझ आ जाये सावरकर तो ,मन मे एक बात को गढ़ लेना ।
अंडमान की जेलों में जाकर ,सावरकर को पढ लेना ।
✍️जितेन्द्र गौतम "इंकलाबी"
©jitu inklabi
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