White है अपना ही पकाया सब, जिसे मै खा नहीं सकती।
लिखे जो गीत ग़ज़लें हैं ,उन्हें मैं गा नहीं सकती।
समंदर भी मुझे हासिल, मगर किस काम का मेरे।
मै उस दरिया पे मरती हूँ, जिसे मै पा नहीं सकती।
ये दुनिया की हकीकत है, सभी को सब नहीं हासिल।
मै तुझपे मर भी जाऊँ पर, तुझे मै भा नहीं सकती।
मेरा रिश्ता है यूँ तुझसे, किसी सबरी का राघव से।
जिसे मै पा तो सकती हूँ, मगर अपना नहीं सकती।
मुझे जिस मोड़ पर अबके, खड़ा करके गया है वो।
कहीं भी आ नहीं सकती, कहीं भी जा नहीं सकती।
©सूर्यप्रताप स्वतंत्र
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