"आजादी की लहर , हिंदुस्तान में यूँ छाई है।
लगता है फिर से भारत ने आज़ादी पाई है।
कितने वीर सपूतों ने जान की बाजी लगाई है।
तब जाकर , हमने ये आज़ादी पाई है।
हम बन्द कमरों में आराम से सोते रहे।
उन्होंने अपनी रातो की नींदे गवाईं है ।
तब जाकर हमने आज़ादी पाई है।
हम अपने परिवार के बीच आराम से रहते रहें।
इसीलिए उन्होंने अपने परिवार से दूरी बनाई है।
तब जाकर हमने आज़ादी पाई है।
हम देश में रहकर मज़हबी लड़ाई लड़ते रहे।
उन्होंने आज़ादी कायम रखने को बन्दूक उठाई है।
तब जाकर हमनें ये आज़ादी पाई है ।
मत करो भारत माँ के दामन को दागदार।
उन वीरो ने आज़ादी की बहुत बड़ी कीमत चुकाई है।
तब जाकर हमने ये आज़ादी पाई है।
तब जाकर हमने ये आज़ादी पाई है।।
पूनम आत्रेय
©poonam atrey
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